बिजयदसिमी
| बिजयदसिमी | |
|---|---|
| अन्य नाँव | दसहरा |
| मनावे वाला | हिंदू |
| प्रकार | धार्मिक |
| महत्त्व | देवी शक्ति के महिसासुर पर बिजय, राम के रावण पर बिजय। |
| मनावे के तरीका | सबेरे टीका लगावल आ नीलकंठ देखल; साँझ बेरा मिठाई बाँटल, मेला आ झाँकी देखल। |
| Observances | नया कपड़ा पहिरल, लिलार पर टीका लगावल, रावण के पुतला जरावल, परसाद बाँटल, मेला। |
| समय | हर साल कुआर सुदी दसिमी अक्टूबर में |
| ई लेख एगो कड़ी के हिस्सा हवे जेकर बिसय बा |
| हिंदू धर्म |
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रिवाज
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बिजयदसिमी (संस्कृत : विजयादशमी) या दसहरा भा दशहरा एगो हिंदू तिहुआर ह जेवन कुआर महीना की दसिमी तिथी के मनावल जाला। ई तिहुआर बुराई के चीन्हा रावण पर अच्छाई के प्रतीक राम के बिजय के रूप में मनावल जाला आ एह दिन रावण के पुतला जरा के खुसी मनावल जाल। बंगाल में दुर्गा पूजा के समापन एही दसहरा से होला।
बिजयदसिमी भारत आ नेपाल के अलग-अलग इलाका में अलग तरीका से आ अलग-अलग कारन से मनावल जाला। दक्खिन, पूरब, उत्तर-पूर्वी आ कुछ उत्तरी राज्यन में विजयदशमी दुर्गा पूजा के समापन के निशानी ह, जे देवी दुर्गा के महिषासुर पर जीत के याद करावेला, जेकर मकसद धर्म के बचावल आ कायम रखल रहल। उत्तर, मध्य आ पश्चिमी राज्यन में ई रामलीला के अंत के निशानी ह आ भगवान राम के रावण पर जीत के याद में मनावल जाला। बाकी कहीं-कहीं ई दुर्गा के अलग-अलग रूपन के प्रति श्रद्धा जतावे के पर्व ह।
विजयादशमी के जश्न में जुलूस निकालल जाला जे नदी भा समुंदर के तीरे ले जाला। एह जुलूस में दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेशा आ कार्तिकेय के माटी के बनल मूर्ति संगीत आ जयकारा संग ले जाइल जाला। बाद में ई मूर्तियन के पानी में विसर्जन करके बिदाई दिआ जाला। कुछ जगहन पर बुराई के प्रतीक रावण के विशाल पुतला पड़ाका आ आतिशबाजी के संग जलावल जाला, जेकरा से बुराई के अंत के निशानी मनावल जाला।
ई तिहुआर दीपावली के तैयारियन के शुरुआत के संकेत भी देला, जे विजयादशमी के बीस दिन बाद मनावल जाला आ रोशनी के प्रमुख पर्व ह।
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[संपादन करीं]संदर्भ
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