शंकरदेव

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श्रीमंत शंकरदेव
शंकरदेव
बिष्णु प्रसाद राभाके बनावल एगो कल्पना आधारित चित्र।[1]
जनम26 सितंबर 1449,
बोरदोआ (अब नगाओं जिला में) आसाम, भारत
निधन23 अगस्त 1568, मंगर
भेलादोंगा, ( अब कूच बिहार जिला), बंगाल
पदवी/उपाधि/सम्मान"महापुरुष"
अस्थापकएकासरन धर्म
दर्शनएकासरन धरम

श्रीमंत शंकरदेव (1449–1568) आसाम के एगो संत, बिद्वान, कवी, नाटककार, धार्मिक-सामाजिक सुधारक रहलें जिनकर आसाम के संस्कृति आ इतिहास में बिसेस अस्थान बाटे। भारत के 15वीं-16वीं सदी के जमाना के इतिहास में, जवना समय लगभग पूरा भारत में भक्ती-आंदोलन चलल आ गुरु नानक, रामानंद, नामदेव, कबीर, चैतन्य महाप्रभु नियर लोग बाकी जगह पर भक्ती के उपदेश देत रहल, शंकरदेव आसाम में एह आंदोलन के अगुआ बनलें। उनुका के पुराना परंपरा के बचल-खुचल सांस्कृतिक धरोहर के सहेज के ओकरे साथे नया किसिम के संगीत (बोरगीत), नया किसिम के नाटक के बिधा (अनिका नाट, भाओना), नया नाच के रूप (सत्त्रिया) नया किसिम के साहित्यिक भाषा (ब्रजबुली) नियर चीजन के परंपरा चलावे खाती जानल-मानल जाला। शंकरदेव बहुते सगरी साहित्य के रचना कइलेन जेह में बिद्वान लोग खाती बिबिध धार्मिक ग्रंथ, भक्ती के ग्रंथ, कबिता आ गीत, नाटक नियर चीज सामिल बाटे।


संदर्भ[संपादन करीं]

  1. This portrait, created by Bishnu Rabha in the 20th-century, is generally accepted as the "official" portrait of Sankardev, whose likeness in pictorial form is not available from any extant form A Staff Reporter (14 October 2003). "Portrait of a poet as an artist". The Telegraph. Retrieved 8 May 2013.