जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू | |
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भारत के पहिलका परधानमंत्री | |
कार्यकाल 15 अगस्त 1947 – 27 मई 1964 | |
नरेश | जॉर्ज 6 (26 जनवरी 1950 ले) |
राष्ट्रपति | राजेंद्र प्रसाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
Governor General | The Earl Mountbatten of Burma Chakravarti Rajagopalachari (until 26 January 1950) |
डिप्टी | वल्लभभाई पटेल (1950 ले) |
इनसे पहिले | इंहे के, अन्तरिम भारत सरकार के परधानमंत्री रहली |
इनके बाद | गुलज़ारीलाल नन्दा |
रक्षामंत्री | |
कार्यकाल 31 अक्टूबर 1962 – 14 नवंबर 1962 | |
इनसे पहिले | V. K. Krishna Menon |
इनके बाद | Yashwantrao Chavan |
कार्यकाल 30 जनवरी 1957 – 17 अप्रिल 1957 | |
इनसे पहिले | Kailash Nath Katju |
इनके बाद | V. K. Krishna Menon |
कार्यकाल 10 फरवरी 1953 – 10 जनवरी 1955 | |
इनसे पहिले | N. Gopalaswami Ayyangar |
इनके बाद | Kailash Nath Katju |
Minister of Finance | |
कार्यकाल 13 February 1958 – 13 March 1958 | |
इनसे पहिले | Tiruvellore Thattai Krishnamachariar |
इनके बाद | Morarji Desai |
कार्यकाल 24 July 1956 – 30 August 1956 | |
इनसे पहिले | Chintaman Dwarakanath Deshmukh |
इनके बाद | Tiruvellore Thattai Krishnamachariar |
Minister of External Affairs | |
कार्यकाल 2 September 1946 – 27 May 1964 | |
इनसे पहिले | Position established |
इनके बाद | Gulzarilal Nanda |
Vice President of Executive Council | |
कार्यकाल 2 September 1946 – 15 August 1947 | |
सांसद, लोकसभा | |
कार्यकाल 1952-1964 | |
इनसे पहिले | constituency established |
इनके बाद | Vijaya Lakshmi Pandit |
सीट | Phulpur, उत्तर प्रदेश |
निजी जानकारी | |
जनम | Allahabad, North-Western Provinces, British India (अबहिन के उत्तर प्रदेश, भारत) | 14 नवंबर 1889
निधन | 27 मई 1964 नई दिल्ली, भारत | (उमिर 74)
Resting place | Shantivan |
राजनीतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस |
जीवनसाथी | Kamala Nehru (बि. 1916; नि. 1936) |
संतान | इंदिरा गाँधी |
माई-बाबूजी | मोतीलाल नेहरू Swarup Rani Nehru |
महतारी संस्था | Trinity College, Cambridge (B.A.) Inner Temple (Barrister-at-Law) |
अकुपेशन |
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सम्मान | भारत रत्न (1955) |
दस्खत |
जवाहरलाल नेहरु (नवंबर 14, 1889 - मई 27, 1964) एगो भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, भारत के पहीलका परधानमंत्री आ आजदी से पहिले आ ओकर बाद के राजनीति के एगो मुख्य किरदार रहन। इहां के 1947 से 1964 ले भारत के परधानमंत्री रहली। इहां क जनम उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद में भइल रहे। इहाँ के इनकर कश्मीरी पंडित होखला के चलते पंडित नेहरु ओ कहल जाला आ भारत लइका लोग इहाँ के चाचा नेहरू नांव से चिन्हेला।
स्वरूप रानी आ मोतीलाल नेहरू के पुत, एगो वकील आ राष्ट्रवादी नेता, नेहरू ट्रिनिटी कॉलेज, केंब्रिज से स्नातक आ इनर टेमपल से वाकालत के पढ़ाई कइली। भारत अइला प इहाँ के इलाहाबाद हाइकोर्ट मे दाखिला लिहली आ भारत के राजनीति मे रुचि लेवे लगली, आ बाद मे वकालत छोड़ि के एही मे आ गइली।
नेहरू आ कांग्रेस के 1930 के दशक मे भारतीय राजनीति के प्रभुत्व के रूप मे देश को आजादी के दिशा मे ले गइल रहे। एगो धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के उनकर बिचार के पुष्टि तब भइल जब कांग्रेस 1937 के प्रांतीय चुनावन के जीत लिहलस आ बहुते प्रांतन मे सरकार बनइलस; दोसरा ओरि, अलगाववादी मुस्लिम लीग के प्रदर्शन बहुत खराब रहल। बाकिर, 1942 मे भारत छोड़ो आंदोलन के बाद ई सभ उपलब्धियन से गंभीर रूप से समझौता कइल गइल, जेह मे अंग्रेज सभ कांग्रेस के एगो राजनीतिक संगठन के रूप मे प्रभावी ढंग से कुचल दिहलस। नेहरू, जे अनिच्छा से तत्काल स्वतंत्रता बदे गांधी जी के आह्वान पर ध्यान दिहलन, काहे कि ऊ दोसरका विश्व जुद्ध घड़ी मित्र देशन के जुद्ध के प्रयासन के समर्थन कइल चाहत रहन, एगो लाम समय के जेल के अवधि से एगो बहुते परिवर्तित राजनीतिक परिदृश्य अइलन। आपन पुरान कांग्रेसी सहजोगी आ अब बिरोधी मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व मे मुस्लिम लीग भारत मे मुस्लिम राजनीति पर हावी हो गइल रहे। सत्ता के बंटवारा ला कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच बातचीत बिफल रहल आ 1947 मे भारत के स्वतंत्रता आ खूनी विभाजन का मार्ग प्रशस्त भइल।
नेहरू के कांग्रेस स्वतंत्र भारत के पहिलका प्रधानमंत्री के पद लेवे बदे चुनलस, अइसे तऽ नेतृत्व के सवाल के 1941 ए मे फरिआ लिहल गइल रहे, जब गांधी नेहरू के आपन राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप मे सकरले रहन। प्रधानमंत्री के रूप मे, उहाँ के भारत के आपन दृष्टिकोण के साकार करे मे लाग गइली। भारत के संविधान 1950 मे अधिनियमित भइल, जेकरा बाद उहाँ के आर्थिक, सामाजिक आ राजनीतिक सुधारन के एगो महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के शुरुआत कइली। मुख्य रूप से, उहाँ के एगो बहुल, बहुदलीय प्रणाली के पोषण करत, एगो उपनिवेश से एगो गणतंत्र भारत के संक्रमण के निरीक्षण कइली। बिदेश नीति मे, उहाँ के भारत के दक्खिन एशिया मे एगो क्षेत्रीय आधिपत्य के रूप मे पेश करत गुटनिरपेक्ष आंदोलन मे अग्रणी भूमिका निभइली।
नेहरू के नेतई मे कांग्रेस 1951, 1957 आ 1962 के राष्ट्रीय आ राज्यन के राजनीति मे बहुत नीमन प्रदर्षण कइलस। इहाँ के जनम दिन के भारत मे बाल दिवस के रूप मे मनावल जाला।
जीवन परिचय
[संपादन करीं]जवाहर लाल नेहरू क पैदाइश इलाहाबाद में एगो धनी-मानी वकील मोतीलाल नेहरू की घरे भइल। उहाँ की माता जी क नाँव स्वरूप रानी नेहरू रहे। उहाँ के मोतीलाल नेहरू क एकलौता लरिका रहलीं। जवाहिरलाल की अलावा मोती लाल नेहरू क तीन गो लइकी रहलीं। नेहरू जी कश्मीरी वंश क सारस्वत ब्राह्मण रहलें।
जवाहरलाल नेहरू आपन स्कूली शिक्षा हैरो से, आ कॉलेज क शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पढले रहलीं। एकरी बाद ऊ वकालत क डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरा कइलें। इंग्लैंड में उहाँ क सात साल रहल रहलीं जेवना से उहाँ की फैबियन समाजवाद आ आयरिश राष्ट्रवाद में रूचि पैदा भइल।
जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लवट के वकालत शुरू कइलें। 1916 में उनकर बियाह कमला नेहरू की संघे भइल। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग में शामिल हो गइलें। राजनीति में उनकर असली दीक्षा दू साल बाद 1919 में भइल जब ऊ महात्मा गाँधी की संपर्क में अइलें। ओ समय महात्मा गांधी रॉलेट अधिनियम क बिरोध करत रहलें। नेहरू, महात्मा गांधी की सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन की प्रति बहुत रूचि लिहले।
नेहरू अपना परिवारो के महात्मा गांधी की उपदेशों की अनुसार बना लिहलें। जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू पश्चिमी कपड़ा आ महंगी संपत्ति क त्याग क दिहल लोग। ऊ लोग अब खादी कुर्ता आ गाँधी टोपी पहिने लागल लोग। जवाहर लाल नेहरू 1920-1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिहलें आ एही की दौरान पहिली बेर उनके गिरफ्तार कइल गइल। कुछ महीना की बाद उनके रिहा कर दिहल गइल।
जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुनल गइलें आ दू बरिस ले ए पड़ पर रहलें। 1926 में ब्रिटिश अधिकारी लोगन से सहयोग की कमी क हवाला देके इस्तीफा दे दिहलें।
1926 से 1928 ले, जवाहरलाल अखिल भारतीय कांग्रेस समिति क महासचिव की रूप में सेवा कइलें। 1928-29 में, कांग्रेस की वार्षिक सत्र क आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में भइल। एही सत्र में जवाहरलाल नेहरू आ सुभाष चन्द्र बोस दूनो जना पूरा राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग क समर्थन कइल लोग, जबकि मोतीलाल नेहरू आ अउरी नेता लोग ब्रिटिश साम्राज्य की छत्रछाया में रहते एगो प्रभुत्व सम्पन्न राज्य की मांग का समर्थनकइल लोग। ए मुद्दा के हल करे खातिर गाँधीजी बिचा में क रास्ता निकाल के कहलें कि ब्रिटेन के भारत के राज्य क दर्जा देवे खातिर दू बरिस क समय दिहल जाई आ अगर अइसन ना भइल तब कांग्रेस पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता खातिर एगो राष्ट्रीय संघर्ष शुरू करी। नेहरू आ बोस ई मांग कइल लोग कि ए समय के कम कर के एक साल कर दिहल जाय लेकिन ब्रिटिश सरकार एकर कौनो जवाब ना दिहलस।
दिसम्बर 1929 में, कांग्रेस क वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित कइल गइल आ एही में जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी क अध्यक्ष चुनल गइलें। एअही सत्र में प्रस्ताव पारित भइल जेवना में 'पूर्ण स्वराज्य' क मांग कइल गइल। 26 जनवरी, 1930 के लाहौर में जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत का झंडा फहरवलें। गांधियो जी 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान कइलें। आंदोलन बहुत सफल रहल आ ई ब्रिटिश सरकार के प्रमुख राजनीतिक सुधार की आवश्यकता के स्वीकार करे खातिर मजबूर कइ दिहलस।
जब ब्रिटिश सरकार भारत अधिनियम 1935 प्रख्यापित कइलस तब कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ला क फैसला कइलस। नेहरू चुनाव से बाहर रहलें लेकिन बाहर से जोर-सोर से पार्टी खातिर राष्ट्रव्यापी अभियान चलवलें। कांग्रेस लगभग हर प्रांत में सरकारन क गठन कइलस आ केन्द्रीय असेंबली में सबसे ढेर सीटन पर जीतल।
नेहरू कांग्रेस की अध्यक्ष पद खातिर 1936 आ 1937 में चुनल गइलें। उनकरा के 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की दौरान गिरफ्तारो कइल गइल आ 1945 में छोड दिहल गइल। 1947 में भारत आ पाकिस्तान की आजादी की समय नेहरू जी अंग्रेजी सरकार की साथे भइल बातचीत में महत्वपूर्ण भागीदारी कइलें।
भारत क प्रथम प्रधानमंत्री
[संपादन करीं]सन् 1947 में भारत के आजादी मिलला पर जब भावी प्रधानमंत्री खातिर कांग्रेस में मतदान भइल तब सरदार पटेल के सबसे ढेर मत मिलल। उनकी बाद सर्वाधिक मत आचार्य कृपलानी के मिलल रहे। बाकी गांधी के कहला पर सरदार पटेल आ आचार्य कृपलानी नाँव वापस ले लिहल लोग आ जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री बनावल गइल।
1947 में नेहरू जी आजाद भारत क पहिला प्रधानमंत्री बनलें। अंग्रेज लोग करीब 500 देशी रियासतन के एक्के संघे स्वतंत्र कइले रहे लोग आ ओ समय ए सगरी रियासतन के एगो राज्य में शामिल कइल सभसे बड़ चुनौती रहे। जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारत की निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभवलें। ऊहे योजना आयोग क गठन कइलें, विज्ञान आ प्रौद्योगिकी की विकास के प्रोत्साहित कइलें आ तीन लगातार पंचवर्षीय योजना क शुभारंभ कइलें। उनकी नीति की कारण देश में कृषि आ उद्योग क एगो नया युग शुरु भइल। नेहरू जी भारत की विदेश नीति की विकास में प्रमुख भूमिका निभवलें।
जवाहर लाल नेहरू जोसिप बरोज़ टिटो आ अब्दुल गमाल नासिर की संघे मिलके एशिया आ अफ्रीका में उपनिवेशवाद खतम करे खातिर एगो गुट निरपेक्ष आंदोलन बनवलें। वह कोरियाई युद्ध क अंत करे खातिर, स्वेज नहर विवाद सुलझावे खातिर, आ कांगो समझौता जइसन अन्य अंतरराष्ट्रीय समस्या कुल की समाधान में मध्यस्थ रहलें। पश्चिम बर्लिन, ऑस्ट्रिया, आ लाओस नियर कई गो अउरी विस्फोटक मुद्दा कुल की समाधान में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहे। उनके साल 1955 में भारत रत्न से सम्मनित कइल गइल।
बाकी नेहरू पाकिस्तान आ चीन की संघे भारत की संबंधन में सुधार ना कर पवलें। पाकिस्तान की संघे समझौता तक पहुँचले में कश्मीर मुद्दा आ चीन की संघे मित्रता में सीमा विवाद रोड़ा साबित भइल। नेहरू चीन की ओर मित्रता क हाथ भी बढवलें, लेकिन 1962 में चीन धोखा से आक्रमण क के नेहरू के एगो अइसन बड़ झटका दिहलस कि शायद उनकर मौत भी एही कारण से भइल। 27 मई, 1964 के जवाहरलाल नेहरू क दिल क दौरा पडल आ उनकर मौत हो गइल।
संदर्भ
[संपादन करीं]