राजेंद्र प्रसाद
राजेंद्र प्रसाद | |
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स्वतंत्र भारत के पहिलका राष्ट्रपति | |
कार्यकाल 26 जनवरी 1950 – 13 मई 1962 | |
परधानमंत्री | जवाहरलाल नेहरू |
उप राष्ट्रपति | सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
इनसे पहिले | पदमी स्थापित भइल |
इनके बाद | सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
पहिल कृषि मंत्री | |
पद पर रहलें 15 अगस्त 1947 – 14 जनवरी 1948 | |
परधानमंत्री | जवाहरलाल नेहरू |
इनसे पहिले | पदमी स्थापित भइल |
इनके बाद | जयरामदास दौलतराम |
भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष | |
पद पर रहलें 9 दिसंबर 1946 – 24 जनवरी 1950 | |
परधानमंत्री | जवाहरलाल नेहरू |
उप राष्ट्रपति |
हरेन्द्र कुमार मुखर्जी वी. टी. कृष्णामाचारी |
इनसे पहिले | सच्चिदानन्द सिन्हा |
इनके बाद | पदमी समाप्त |
निजी जानकारी | |
जनम |
जीरादेई, बङाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश राज (वर्तमान - बिहार, भारत ) | 3 दिसंबर 1884
निधन |
28 फरवरी 1963 पटना, बिहार, भारत | (उमिर 78)
राजनीतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवनसाथी | राजवंशी देवी |
संतान | मृत्युंजय प्रसाद |
महतारी संस्था | कलकत्ता विश्वविद्यालय |
सम्मान | भारत रत्न (1962) |
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसंबर, 1884 — 28 फरवरी, 1963) आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति रहलन। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में एगो प्रमुख भूमिका निभवलन। उ स्वतंत्रता सेनानी आ कांग्रेस पक्ष के नेता रहलन। उ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे भरपुर जोस के सङे भाग लीहलन। उ संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप मे भारतीय संविधान के मुसद्दा (रूपरेखा) तैयार कैले रहलन। उ परमाधिपत्यक भारत के प्रथम सरकार मे मंत्रीमंडल के प्रधान तरीके सेवा देलन। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सौसे देस में खूब लोकप्रिय होखला के कारण राजेन्द्र बाबू आ देशरत्न कहके सोर कइल जाला।
युवा जीवन[संपादन करीं]
राजेन्द्र प्रसाद के जनम बिहार के सिवान जिला मे छपरा नीयरे जिरादेई गाँव मे भईल रहे। उनकर बाबूजी महादेव सहाय फ़ारसी भाषा आ संस्कृत भाषा के विद्वान रहलन। उनकर माई कमलेश्वरी देवी धार्मिक स्वभाव के रहली, उ राजेन्द्र प्रसाद के रामायण के खीसा सुनावत रहली। पाच बरिस के उमर के बाल राजेन्द्र प्रसाद के एगो मौलवी लगे फारसी भाषा सिखावेला पेठावत् रहली। एकरा बाद उनके छपरा जिला विध्यालय मे प्राथमिक शिक्षा ला दाखील करावल गईल। उनकर बियाह 12 बरिस के राजवंशी देवी सङे करावल गईल। (नोध: उ समये समाजमे बाललगन के रिवाज रहे) एकरा बाद उ आपन बड़काभैया महेन्द्र प्रसाद सङे पटना के आर.के.घोष एकेडेमी मे अभ्यास खातिर दाखील भईलन। जबके तनिके समयमे उ फेनु छपरा जिला विध्यालय पाछे अईलन आ उहासे उ 18 बरिस के उमर मे कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षा पास कैले। उ 1902 मे "प्रेसिडेन्सी कोलेज" मे प्रवेश लेलन। बिहार केसरी डॉ.श्री कृष्ण सिन्हा आ बिहार विभूती डॉ. अनुराग नारायण सिन्हा के सम्पर्कमे उन्का मे देससेवा के भावना जागृत भइल । 1915 मे कायदाशास्त्र मे ऑनर्स अनुस्नातक के उपाधि, सुवर्ण चन्द्रक सङे प्राप्त कैलन। बाद मे कायदाशास्त्र मे पी.एच.डी. के उपाधीओ प्राप्त कैलन। उ बिहार के भागलपुर मे वकीलात कैलन,आ उ समये उहवा उ बहुते नामियर व्यक्ति गिनास।
आजादी के संघर्ष बेरीया[संपादन करीं]
जवाहरलाल नेहरू, भुलाभाई देसाई आ बाबु राजेन्द्र प्रसाद ए.आइ.सी.सी.के बैठक मे, एप्रिल,1939 वकीलात सुरू कैला के तनिके बेरा मे राजेन्द्र प्रसाद आजादी के सङ्घर्ष मे जोड़ैलन। महात्मा गाँधी के आदेश से उ चम्पारण सत्याग्रह मे स्वयंसेवक के रूप मे जोड़ैलन। महात्मा गाँधी के प्रत्ये पूरा वफादारी, समर्पण आ उत्साह रखले उ 1921 में युनिवर्सिटी के सभ्य पद से ईसतीफा दिहलन। उ महात्माजी के सङे अंग्रेजी शिक्षा के बहिष्कार के लड़ाई मे आपन सुपुत्र मृत्युंजय प्रसाद, खुबे होशियार विधार्थी के युनिवर्सिटी मे से उठा के "बिहार विधापीठ" मे दाखिल करैलन, जाहा भारतीय संस्कृती मुजब शिक्षा प्रदान करल जाला। उ "सर्चलाइट" आउर "देस" नाँव के पत्रन मे लेखो लिखलन आ ई पत्रन खातिर योगदानो दिहलन। उ प्रदर्शन,चर्चा आ प्रवचनन ला खुब प्रवास करस। 1914 मे बिहार आ बङाल मे भईल दाहार से असरग्रस्तन के मदद, राहतकाज मे उ खुबे सक्रिय भाग भजवले। 15 जनवरी 1934 के रोज बिहार मे भईल धरतीकम्प बेरा उ जेल मे रहन। ई समये राजेन्द्र प्रसाद आपन खास सङहतीया आ जेष्ठ ऐसन डॉ.अनुराग नारायण सिन्हा के सभ जीमवारी सौपलन। जबकी दू दिन बाद उ जेलमुक्त भईलन। उ फंड जमा करेके जीमवारी उठैलन। ई समये भारत के वाइसरोओ फंड शरू कैले, उन्कारा से अन्दाजीत तिन गुना रूपिया 38,00,000 के फंड राजेन्द्र प्रसाद एकठा कैलन। 1935 के "क्वेटा भूकम्प" बखत, उन्के देस छोड़े के मनाही रहे, उ सिंध आ पंजाब मे राहत समितीयन के गठन कैले।
ओक्टोबर 1934 मे, मुम्बइ अधिवेशन मे, उ कांग्रेस के अध्यक्ष तरीके चुनैलन। एकरा बाद 1939मे, सुभाषचन्द्र बोझ के ईस्तीफा बाद, फेनु से आध्यक्षपदे चुनैलन।
भारत के स्वतंत्र भईला के बाद उ भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप मे काजभार सम्भरले। बार बरीस बाद 1962 मे उ आपन पद से निवृति के घोषणा कैले। उन्के भारत के सर्वोच्च नागरीक सम्मान भारत रत्न से विभुषित कैल गईल।
संदर्भ[संपादन करीं]
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