भागीरथी
भागीरथी नदी | |
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नाँव | संस्कृत में भागीरथी माने भगीरथ द्वारा ले आइल गइल |
लोकेशन | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तराखंड, |
क्षेत्र | गढ़वाल मंडल |
जिला | उत्तरकाशी जिला, टिहरी जिला |
भौतिक लच्छन सभ | |
Source | गोमुख (गो, गाइ + मुख, मुँह), गंगोत्री कस्बा से करीबन 18 किमी (11.2 मील) के दूरी पर |
- coordinates | 30°55′32″N 79°04′53″E / 30.925449°N 79.081480°E |
- elevation | 3,892 मी (12,769 फीट) |
Source confluence | अलकनंदा |
मुहाना | गंगा नदी |
- location | देवप्रयाग, उत्तराखंड, भारत |
- coordinates | 30°08′47″N 78°35′54″E / 30.146315°N 78.598251°E |
- elevation | 475 मी (1,558 फीट) |
लंबाई | 205 किमी (127 मील) |
थाला के साइज | 6,921 किमी2 (7.450×1010 वर्ग फु) |
Discharge | |
- average | 257.78 m3/s (9,103 cu ft/s) |
- maximum | 3,800 m3/s (130,000 cu ft/s) |
[1] |
भागीरथी भारत के उत्तराखंड राज्य में बहे वाली एगो हिमालयी नदी बा जेवन हिंदू धर्म में सभसे पबित्र मानल जाये वाली गंगा नदी के दू ठो सुरुआती धारा में गिनल जाले। परंपरा में एकरा के गंगा के मुख्य सोता मानल जाला बाकी जलबिज्ञानी लोग दुसरकी धारा अलकनंदा के मुख्य माने लें काहे से की ऊ एकरा ले लमहर बा।
भागीरथी आ अलकनंदा के संगम देवप्रयाग में होला। एही संगम के बाद नदी के नाँव गंगा हो जाला।
नाँव
[संपादन करीं]कथा सभ के मोताबिक भगीरथ सूर्यवंशी राजा सगर के बंसज रहलें जिनकर गंगा के स्वर्ग से धरती पर ले आवे में महत्व वाला योगदान रहल।[2] भगीरथ के ई कथा हिंदू धर्मग्रंथ रामायण, महाभारत आ पुराणन में मिले ला।[3][2]
आपन संप्रभुता देखावे खातिर राजा सगर अश्वमेध यज्ञ कइलें जेकर घोड़ा साल भर ले भ्रमण करे खातिर छोड़ाइल। इंद्र एह जग्य के पूरा ना होखे देवे के नीयत से घोड़ा के चोरा लिहलें। घोड़ा के गायब होखे के खबर सुन के राजा सगर अपना साठ हजार बेटा लोगन के घोड़वा के खोजे खाती भेजलें।[2] अंत में इंद्र के चाल के कारन घोड़ा कपिल मुनि के आश्रम में भेंटाइल। ई बूझ के कि कपिल मुनि घोड़वा के चोरवले बाड़ें, सगर के बेटा लोग उनके ध्यान में बाधा कइल आ समाधि भंग हो जाये पर कपिल मुनि के करोध भरल नजर से जरि के सब जना भसम हो गइल।[2] ई खबर पा के सगर अपना नाती अंशुमान के भेजलें कि कपिल मुनि से भेंट क के पता लगावें कि कवना बिधि अब उनुके बेटा लोगन के आत्मा के मुक्ती भेंटाई।[4]
कपिल मुनि बतवलें कि बस एकही उपाय बा कि स्वर्ग में बहे वाली नदी गंगा के पानी ओह लोगन के मुक्ती दिया सके ला। अंशुमान के पोता भगीरथ संन्यास ले के ब्रह्मा आ शिव के खुस करे निकल चललें। तपस्या के बाद ब्रह्मा गंगा के नीचे उतरे दिहलें आ शिव आपन जटा में गंगा के बेग रोक लिहलें कि पृथिवी खंड-खंड न हो जाय।[4]
जब गंगा उतरली आ शिव के जटा से निकल चलली भगीरथ उनुके पहाड़ी, मैदानी हिस्सा से होखत समुंद्र ले लिया गइलें जहाँ कपिल मुनि के आश्रम रहे आ उनुके पुरखा लोग तर गइल।[2] भगीरथ के एही जोगदान के कारन गंगा के नाँव भागीरथी परल।[5][6]
नदी के मारग
[संपादन करीं]भागीरथी नदी के सोता गंगोत्री ग्लेशियर के निचला हिस्सा से गौमुख के लगे निकसे ला। एकरा बाद ई गंगोत्री कस्बा के ओर आवे ला जे लगभग 18 किमी के दूरी पर बाटे। एहिजे एह में एगो अउरी सोता से आवे वाली धारा केदार गंगा बाएँ से मिले ले। एकरा बाद धारा नीचे आवे ले आ गहिरा गॉर्ज से हो के भैरोंघाटी में पहुँचे ले; भैरोंघाटी से हर्सिल आ ओकरा बाद भागीरथी ग्रेनाइट नाँव के भूबैज्ञानिक ढाँचा के क्रास करे ले। एकरे बाद ई चाकर घाटी में आ जाले आ एह में दू गो अउरी सहायिका झाला के नगीचे मिले लीं। नदी आगे बह के उत्तरकाशी आवे ले आ एकरे बाद धारासू, चिन्यालीसौर आ पुराना टिहरी टाउन से हो के देवप्रयाग पहुँचे ले। देवप्रयाग में अलकनंदा एह में बाएँ से आ के मिले ले आ एह पबित्र संगम के बाद से नदी के नाँव गंगा हो जाला।[7]
परंपरा आ कथा-कहानी (माइथोलॉजी) में भागीरथी के गंगा नदी के मुख्य सोता वाली धारा मानल जाला। हाइड्रोलॉजी के हिसाब से, अगर लंबाई आ पानी के बहाव के मात्रा (डिस्चार्ज) देखल जाय, अलकनंदा मुख्य धारा हवे। अलकनंदा के लंबाई, एकरे सहायिका सभ के साथे 664.5 किमी (412.9 मील) हवे जबकि भागीरथी आ एकरे सहायिका सभ के लंबाई देवप्रयाग से पहिले 456.5 किमी (283.7 मील) के बाटे।[7]
सहायिका धारा सभ
[संपादन करीं]भागीरथी नदी में कई ठो सहायिका आ के मिले लीं; सोता के सुरुआत से क्रम में इनहन के नाँव नीचे दिहल गइल बा:
- केदार गंगा, गंगोत्री में (ऊँचाई 3,049 मी (10,003 फीट)),
- जाध गंगा (जाह्नवी), भैरोंघाटी में (ऊँचाई 2,650 मी (8,690 फीट)),
- काकोरा गाद अउरी जालंधरी गाद, हर्सिल के नगीचे (ऊँचाई 2,745 मी (9,006 फीट)),
- सियान गाद, झाला के लगे (ऊँचाई 2,575 मी (8,448 फीट)),
- असि गंगा, उत्तरकाशी में (ऊँचाई 1,158 मी (3,799 फीट)),
- भिलंगना नदी, टेहरी (पुरानी टिहरी) में (ऊँचाई 755 मी (2,477 फीट)).
भिलंगना नदी खुद खटलिंग ग्लेशियर (ऊँचाई 3,717 मी (12,195 फीट)) से, गौमुख से लगभग 50 किमी (31 मील) दक्खिन ओर से निकसे ले। बिबादास्पद टिहरी बान्ह भिलंगना नदी आ भागीरथी के संगम पर बनावल गइल हवे। बंधा के लोकेशन टिहरी के लगे 30°22′32″N 78°28′48″E / 30.37556°N 78.48000°E पर बाटे
भागीरथी नदी बेसिन के सभसे ऊँच जगह चौखंभा-I (ऊँचाई 7,138 मी (23,419 फीट)) हवे।
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देवप्रयाग में टर्बुलेंस वाली भागीरथी
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भागीरथी, सेडीमेंट वाली अलकनंदा से मिले से पहिले
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देवप्रयाग में भागीरथी के अलकनंदा से संगम (फोटो में बाएँ ऊपरी कोना से आवे वाली भागीरथी)
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देवप्रयाग में संगम के एगो अउरी सीन (फोटो में दाहिने से जा के मिल रहल भागीरथी)
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टिहरी बान्ह, दुनियाँ के 5वाँ सभसे ऊँच बंधा हवे
बान्ह
[संपादन करीं]प्लानिंग, निर्माण में, चालू कुल मिला के 18 गो बंधा भागीरथी पर बाड़ें, सोता से आगे के क्रम में नीचे दिहल गइल बाटे:
# | Name | Ht | MW | Status | FRL | MWL | HRT | TRT | TWL | RBL | Coordinates |
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1 | कारमोली बान्ह | 140 | प्लानिंग बा | 8.6 | |||||||
2 | गंगोत्री बान्ह | 55 | प्लानिंग बा | 5.2 | |||||||
3 | जाधगंगा बान्ह | 50 | प्लानिंग बा | 1.1 | |||||||
4 | भैरोंघाटी-I बान्ह | 380 | प्लानिंग बा | ||||||||
5 | भैरोंघाटी-II बान्ह | 65 | प्लानिंग बा | ||||||||
6 | हर्सिल बान्ह | 210 | प्लानिंग बा | 5.06 | |||||||
7 | लोहारीनाग पाल बान्ह | 600 | कैंसिल | 2,147 | 1,667 | 13.85 | .51 | 1.665 | 30°58′6″N 78°41′56″E / 30.96833°N 78.69889°E | ||
8 | पाल मनेरी-I बान्ह | 78 | 480 | कैंसिल | 1,665 | 1,667 | 12.563 | 1.378 | |||
9 | मनेरी बान्ह | 38 | 90 | चालू | 8.631 | ||||||
10 | जोशियारा बान्ह | 304 | चालू | 16.0 | |||||||
11 | भिलंगना-II बान्ह | 11 | प्लानिंग बा | ||||||||
12 | भिलंगना-I बान्ह | 22.5 | प्लानिंग बा | 2.0 | |||||||
13 | टिहरी बान्ह | 260.5 | 2,400 | चालू | 830 | 835 | 1.634 | .8625 | 30°22′40″N 78°28′50″E / 30.37778°N 78.48056°E | ||
14 | कोटेश्वर बान्ह | 97.5 | 400 | चालू | 612.50 | 615 | |||||
15 | कोटली बेल 1ए बान्ह | 82.5 | 195 | निर्माण में | |||||||
16 | कोटली बेल 1बी बान्ह | 90 | 320 | कैंसिल | |||||||
17 | कोटली बेल-II बान्ह | 82 | 530 | कैंसिल |
नोट आ संदर्भ
[संपादन करीं]संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ Catchment Area Treatment:, Bhagirathi River Valley Development Authority, Uttaranchal
- ↑ 2.0 2.1 2.2 2.3 2.4 Eck, Diana L. (2012). India : a sacred geography. New York: Harmony Books. pp. 216–221.
- ↑ Mankodi, Kirit (1973) "Gaṅgā Tripathagā"Artibus Asiae 35(1/2): pp. 139-144, p. 140
- ↑ 4.0 4.1 Sen, Sudipta (2019). Ganges : the many pasts of an Indian River. New Haven: Yale University Press. p. 56.
- ↑ Rice, Earle, Jr. (2013). The Ganges river. Hockessin, Del.: Mitchell Lane Publishers. p. 9.
- ↑ Gopal, Madan (1990). K.S. Gautam (ed.). India through the ages. Publication Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India. p. 76.
- ↑ 7.0 7.1 Singh, Sandeep (2018), Singh, Dhruv Sen (ed.), "Alakhnanda–Bhagirathi River System", The Indian Rivers: Scientific and Socio-economic Aspects (अंग्रेजी में), Singapore: Springer, p. 108, doi:10.1007/978-981-10-2984-4_8, retrieved 2022-04-08
- ↑ "Map of the Bhagirathi River showing dams" (PDF). Dams, Rivers & People. South Asian Network on Dams Rivers & People(sandrp.in). August 2008. Archived from the original (PDF) on 23 May 2011. Retrieved 7 March 2010.
स्रोत ग्रंथ
[संपादन करीं]- Wilson, W. (1860). A summer ramble in the Himalayas: with sporting adventures in the Vale of Cashmere. London: Hurst and Blackett. OCLC 58410561. available on microfilm
- Heske, Franz (1937). Im heiligen Lande der Gangesquellen (In the Holy Lands of the Source of the Ganges) (जर्मन में). Neudamm, Germany: J. Neumann. OCLC 35036471.
- Sharma, Man Mohan (1997). Through the Valley of Gods: Travels in the Central Himalayas (2 ed.). New Delhi: Vision Books. OCLC 4547622.
बाहरी कड़ी
[संपादन करीं]विकिमीडिया कॉमंस पर संबंधित मीडिया भागीरथी नदी पर मौजूद बा। |
- भागीरथी नदी Archived 2022-07-05 at the Wayback Machine, इंडिया वाटर पोर्टल पर (हिंदी में)