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भारतीय मानसून

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तमिलनाडु के ऊपर दखिनी पच्छिमी मानसून के बादर
दक्खिनी पच्छिमी मानसून के नक्शा पर देखावल बा

भारतीय मानसून चाहे दक्खिन एशिया के मानसून एगो मौसम सिस्टम बा जेवन पूरा बैस्विक स्तर प कई इलाकन में घटित होखे वाला मानसून सभ में से एशियाई मानसून क हिस्सा हवे। सबसे पहिले एही भारतीय मानसून के मौसम सिस्टम के पहिचान अरब सागर के इलाका में भइल आ एकर नाँव अरबी के मौसिम के आधार प रखल गइल। ई मौसम सिस्टम खाली भारते के ना बलुक पूरा भारतीय उपमहादीप के प्रभावित करे ला। भारत आ आसपास के देसवन खातिर एकर महत्व बहुत बा काहें से की पूरा खेती आ अउरी आर्थिक क्रिया एह सीजनल बदलाव के साथ प्राचीन समय से सेट हो चुकल बा।

अरब सागर में समुंदरी यात्रा करे वाला जहाजी लोग सभसे पहिले एकर पहिचान कइल[1] जब ऊ लोग अफिरका, भारत आ दक्खिनी पच्छिमी एशिया के बिचा में यात्रा करे।

उपमहादीप पर एकरे बिस्तार के हिसाब से एकरा के दू प्रकार में बाँटल जाला:

एगो दुसरा आधार पर एकरा के दू हिस्सा में भी बाँटल जाला, बरखा ले आवे वाली हवा के बहे के दिसा में बदलाव के आधार पर:

  • दक्खिनी-पच्छिमी मानसून (SW Monsoon)
  • उत्तरी-पूरबी मानसून (NE Monsoon)[नोट 1]

जलवायु बदलाव

[संपादन करीं]

कई ठो मौसम आ जलवायु संबंधी सिमुलेशन सभ में ई अनुमान लगावल गइल बा की जलवायु बदलाव के चलते भारतीय मानसून के वर्तमान पैटर्न में कुछ बदलाव जरूर होखी। अँटकर ई लगावल गइल बा की भारतीय मानसून के दौरान होखे वाला बरखा में 5 से 10 परसेंट ले के बढ़ती हो सके ला।[2]

  1. हवा के नाँव एह आधार पर दिहल जाला कि ऊ कवना दिसा से आवत बाटे। एकर माने ई भइल की दक्खिनी-पच्छिमी मानसून में बहे वाली हवा दक्खिन आपच्छिम के दिसा से आवेले। एही तरे उत्तरी पूरबी मानसून में हवा उत्तर-पूरुब ओर से दक्खिन पच्छिम के ओर बहे ले।
  1. Helaine Selin, ed. (1997). Encyclopaedia of the history of science, technology, and medicine in non-western cultures. स्प्रिंजर. pp. 766–. ISBN 978-0-7923-4066-9. Retrieved 17 दिसंबर 2015.
  2. "The Indian Monsoon in a Changing Climate". RMetS (अंग्रेजी में).