मौसम

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कपासी बादर साफ मौसम के पहिचान होखे लें।

मौसम (अंग्रेजी: weather) कौनो अस्थान पर ओ समय की वायुमंडल की दशा के बतावेला।[1] वायुमण्डलीय दशा में तापमान, बरखा, हवा में नमी, हवा क चाल आ दिशा वगैरह चीज के गिनल जाला आ मौसम की बारे में बतावत घरी इनहने क वर्णन कइल जाला। पृथ्वी पर, ज्यादातर मौसमी घटना सभ ग्रह के वायुमंडल के सभसे निचला परत, ट्रोपोस्फियर में[2][3] स्ट्रेटोस्फियर के ठीक नीचे होखे लीं। मौसम के मतलब होला दिन-प्रतिदिन के तापमान, बरखा आ अउरी वायुमंडलीय स्थिति सभ के बिबरन जबकि जलवायु वायुमंडलीय स्थिति सभ के लंबा समय ले औसतन बनावे के शब्द हवे।[4] मौसम में साल भर में होखे वाला बदलाव जवना क क्रम निश्चित होला कि हे महीना में अइसन मौसम रही, सीजन बनावेला। सीजन चाहे ऋतु क मतलब होला साल क एगो अइसन हिस्सा जेवना में हर साल एक्के नियर मौसम रहेला। भारत में जाड़ा, गर्मी, आ बरसात क तीन गो अलग-अलग सीजन होला। जब बिना कौनों बिसेस संदर्भ के मौसम शब्द के इस्तेमाल कइल जाला तब आमतौर पर "मौसम" के मतलब पूरा पृथ्वी के मौसम के रूप में समझल जाला।

कारन[संपादन करीं]

पृथ्वी पर मौसम के आम घटना सभ में हवा, बादर, बरखा, बर्फ, कोहरा आ धूल के तूफान सामिल बाड़ें। कम आम घटना सभ में प्राकृतिक आपदा जइसे कि बवंडर, टारनेडो, तूफान, चक्रवात आ बर्फ के तूफान सामिल बाड़ें। लगभग सभ आमतौर प परिचित मौसमी घटना सभ ट्रोपोस्फियर (वायुमंडल के निचला हिस्सा) में होखे लीं।[3] मौसम स्ट्रेटोस्फियर में जरूर होला आ ट्रोपोस्फियर के नीचे के मौसम के प्रभावितो क सके ला, बाकी एकर सटीक मकेनिज्म के बारे में बहुत कम जानकारी बाटे।[5]

मौसम मुख्य रूप से एक जगह से दुसरा जगह के बीच हवा के दबाव, तापमान आ नमी के अंतर के कारण होला। ई अंतर कौनों भी खास जगह पर सुरुज के कोण के कारण हो सके ला, जवन उष्णकटिबंधी इलाका से अक्षांश के हिसाब से अलग-अलग होला। दुसरा शब्द में कहल जाय तब उष्णकटिबंधी इलाका से जेतना दूर पड़े ला, सूरज के कोण ओतने कम होला जेकरा चलते ऊ जगह ढेर सतह पर सूरज के रोशनी के फइलला के कारण ठंडा हो जाले।[6] ध्रुवीय आ उष्णकटिबंधी हवा के बीच के तापमान के मजबूत बिपरीतता के कारण बड़ पैमाना पर वायुमंडलीय सर्कुलेशन सेल आ जेट धारा के जन्म होला।[7] मध्य अक्षांश सभ में मौसम के सिस्टम, जइसे कि एक्स्ट्राट्रोपिक चक्रवात, जेट स्ट्रीम के बहाव के अस्थिरता के कारण होला (देखीं बैरोक्लिनिटी)।[8] उष्णकटिबंधीय इलाका में मौसम के सिस्टम, जइसे कि मानसून भा झंझावात के सिस्टम, अलग-अलग प्रक्रिया के कारण होला।

चूँकि पृथ्वी के धुरी एकरे कक्षा तल (ऑर्बिटल प्लेन) के सापेक्ष ओरमल होला, साल के अलग-अलग समय पर सुरुज के रोशनी अलग-अलग कोण पर परे ले। जून में उत्तरी गोलार्ध सुरुज के ओर झुकल होला, एह से कौनों भी उत्तरी गोलार्ध अक्षांश पर सुरुज के रोशनी दिसंबर के तुलना में सीधे ओह जगह पर पड़े ला (देखीं जलवायु पर सुरुज के कोण के परभाव)।[9] एह असर से मौसम पैदा हो जाला। हजारन से लाखन साल के दौरान पृथ्वी के कक्षा पैरामीटर में बदलाव पृथ्वी के मिले वाला सौर ऊर्जा के मात्रा आ बितरण के प्रभावित करे ला आ लंबा समय ले जलवायु पर परभाव डाले ला। (देखीं मिलांकोविच चक्र)।[10]

गैर-बराबर सौर ताप (तापमान आ नमी के ढाल के जोन सभ के निर्माण, या फ्रंटोजेनेसिस) के कारण मौसम खुदो बादर आ बरखा के रूप में हो सके ला।[11] आमतौर पर ढेर ऊँचाई के जगह सभ कम ऊँचाई के जगहन के तुलना में ठंडा होखे लीं, ई सतह के तापमान के बेसी होखे आ रेडिएशनल ताप के परिणाम होला जेवना से एडियाबैटिक लैप्स रेट पैदा होला।[12][13] कुछ स्थिति में वास्तव में ऊँचाई के साथ तापमान बढ़ जाला। एह घटना के इन्वर्जन के रूप में जानल जाला आ एकरे कारण पहाड़ के चोटी सभ के नीचे के घाटी सभ से ढेर गरम हो सके ला। इन्वर्जन से कोहरा के निर्माण हो सके ला आ अक्सर ई एक किसिम के टोपी के काम करे ला जे झंझावात के बिकास के दबावे ला। स्थानीय पैमाना पर तापमान में अंतर एह से हो सके ला काहें से कि अलग-अलग सतह सभ (जइसे कि समुंद्र, जंगल, बर्फ के चादर भा मनुष्य के बनावल चीज) सभ के अलग-अलग भौतिक बिसेसता होला जइसे कि परावर्तन, खुरदरापन भा नमी के मात्रा नियर चीज अलग-अलग हो सके लीं।

पृथ्वी के सतह के तापमान में अंतर के चलते दबाव में अंतर पैदा हो जाला। गरम सतह अपना ऊपर के हवा के गरम करे ला जेकरा चलते हवा में फइलाव आवे ला आ एकर घनत्व घटे ला जेकरा चलते सतह पर हवादाब में कमी आवे ला। सतह पर अइसन हवादाब में अंतर से दाब ढाल बने ला आ एकरा चलते हवा में बहाव पैदा हो जाला जब बेसी दाब वाला क्षेत्र से कम दाब वाला क्षेत्र के ओर हवा बहे लागे ले, हवा में पृथ्वी के घुमरी के कारन कोरिओलिस प्रभाव के चलते बिचलन पैदा होखे ला। एह तरीका के सहज सिस्टम से इमर्जेंट बेहवार पैदा होखे ला आ बेसी जटिल सिस्टम आ अउरी मौसमी घटना सब के निर्माण होखे ला। हवा के बहाव के अइसन सिस्टम के बड़हन पैमाना के उदाहरण हैडली सेल बाटे आ छोट पैमाना के उदाहरण समुंद्रतीरे के बयार बा।

भबिस्यवाणी[संपादन करीं]

मौसम के भबिस्यवाणी भा पूर्वानुमान बिज्ञान आ टेक्नालॉजी के अइसन प्रयोग हवे जेह में भविष्य के समय आ कौनों दिहल गइल जगह खातिर वायुमंडल के स्थिति के अनुमान लगावल जाला। मनुष्य सहस्राब्दियन से अनौपचारिक रूप से मौसम के अनुमान लगावे के कोसिस कइले बा आ औपचारिक रूप से कम से कम उन्नीसवीं सदी से ई काम हो रहल बाटे।[14] मौसम के पूर्वानुमान वायुमंडल के वर्तमान स्थिति के बारे में मात्रात्मक डेटा एकट्ठा क के आ वायुमंडलीय प्रक्रिया सभ के वैज्ञानिक समझ के इस्तेमाल से ई अनुमान लगावे खातिर कइल जाला कि वायुमंडल के दसा सब के निकट भबिस्य में बिकास कइसे होखी।[15]

इहो देखल जाय[संपादन करीं]

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. मरियम बेबस्टर डिक्शनरी (Merriam-Webster Dictionary) Weather. Retrieved on 05 दिसंबर 2014.
  2. Glossary of Meteorology. Hydrosphere. Archived 15 मार्च 2012 at the Wayback Machine Retrieved on 27 June 2008.
  3. 3.0 3.1 "Troposphere". Glossary of Meteorology. 2012-09-28. Archived from the original on 2012-09-28. Retrieved 2020-10-11.
  4. "Climate". Glossary of Meteorology. American Meteorological Society. Archived from the original on 7 July 2011. Retrieved 14 May 2008.
  5. O'Carroll, Cynthia M. (18 अक्टूबर 2001). "Weather Forecasters May Look Sky-high For Answers". Goddard Space Flight Center (NASA). Archived from the original on 12 July 2009.
  6. नासा. World Book at NASA: Weather. Archived copy at WebCite (10 March 2013). Retrieved on 27 June 2008.
  7. John P. Stimac. [1] Air pressure and wind. Retrieved on 8 May 2008.
  8. Carlyle H. Wash, Stacey H. Heikkinen, Chi-Sann Liou, and Wendell A. Nuss. A Rapid Cyclogenesis Event during GALE IOP 9. Retrieved on 28 June 2008.
  9. Windows to the Universe. Earth's Tilt Is the Reason for the Seasons! Archived 8 अगस्त 2007 at the Wayback Machine Retrieved on 28 June 2008.
  10. Milankovitch, Milutin. Canon of Insolation and the Ice Age Problem. Zavod za Udz̆benike i Nastavna Sredstva: Belgrade, 1941. ISBN 86-17-06619-9.
  11. Ron W. Przybylinski. The Concept of Frontogenesis and its Application to Winter Weather Forecasting. Retrieved on 28 June 2008.
  12. Mark Zachary Jacobson (2005). Fundamentals of Atmospheric Modeling (2nd ed.). Cambridge University Press. ISBN 978-0-521-83970-9. OCLC 243560910.
  13. C. Donald Ahrens (2006). Meteorology Today (8th ed.). Brooks/Cole Publishing. ISBN 978-0-495-01162-0. OCLC 224863929.
  14. Eric D. Craft. An Economic History of Weather Forecasting. Archived 3 मई 2007 at the Wayback Machine Retrieved on 15 April 2007.
  15. नासा. Weather Forecasting Through the Ages. Archived 10 सितंबर 2005 at the Wayback Machine Retrieved on 25 May 2008.