सोनपुर मेला

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सोनपुर मेला
सोनपुर के मेला में हाथी
ऑफिशियल नाँवसोनपुर मेला, हरिहर क्षेत्र मेला
मनावे वालाहिंदू लोग
प्रकारधार्मिक
सुरूकातिक महीना के पुर्नवासी

सोनपुर मेला भारतीय राज्य बिहार के सारन जिला में सोनपुर नाँव के जगह पर लागे वाला मेला हवे। मुख्य रूप से ई मेला मवेशी सभ के मेला हवे जहाँ पालतू जानवरन के बिक्री-खरीद होखे ला। मेला हिंदू कैलेंडर के हिसाब से कातिक महीना के पुर्नवासी से सुरू होला[2] जेकरा के गंगा नहान भी कहल जाला।

सोनपुर शहर, हिंदू धरम में पबित्र मानल जाए वाली नदी गंगानेपाल से बह के आवे वाली गंडक नदी के संगम पर बसल हवे। हेइजा श्री हरिहरनाथ के मंदिर बा, इलाका के हरिहर क्षेत्र कहल जाला, आ एहिजे ई मेला लागे ला। मंदिर आ जगह के पबित्र माने के वजह पुराणन में बर्णित गजेंद्र मोक्ष के कथा हवे, जेकरे अनुसार अपना भक्त हाथी के मगरमच्छ द्वारा पकड़ लिहल जाए पर विष्णु आ के ओकरा के बचवले रहलें।

कुछ समाचारन में एकरा के एशिया के सभसे बड़हन पशु मेला बतावल जाला।[नोट 1] एह मेला के देखे खाती भारते ना बलुक बिदेस के लोग भी आवे ला।[3]

राज्य सरकार एकरे खाती कई किसिम के बेवस्था भी करे ले। सरकारी पुलिस के अलावा, मेला में चोरी-चकारी से निपटे खाती आ भुलाइल लोगन के खोज करे खाती इहाँ सामुदायिक पुलिस (स्वयंसेवक लोग के ब्यवस्था) भी कई साल से चल रहल बा।[4]

पुराणिक महत्व आ मान्यता[संपादन करीं]

गजेंद्र मोक्ष, मूर्ती के रूप में।

हिंदू धार्मिक कथा आ पुराणन के अनुसार गंगा-गंडक के संगम वाला इलाका के हरिहर क्षेत्र कहल जाला। सोनपुर में हरिहरनाथ के मंदिर भी स्थापित बाटे। पौराणिक कथा सभ में "गजेंद्र मोक्ष" के कथा मिले ला।[5] कथा के मोताबिक, ग्राह (मगरमच्छ) द्वारा गज (हाथी) के पकड़े के आ बिष्णु द्वारा अवतार ले के ग्राह से मुक्ति दियवले रहलें। मानल जाला की एह घटना के क्षेत्र इहे क्षेत्र हवे।[6] जहाँ भगवान विष्णु अपना भक्त हाथी के प्राण के रक्षा मगरमच्छ से कइले रहीं, तबे से उहाँ के भगवान श्रीहरि आ हरिहरनाथ कहल जाला।

कुछ बिद्वान लोग, वैष्णव लोग आ शैव लोग के आपसी बिबाद के दूर करे खाती हरी (बिष्णु) आ हर (शिव) के सम्मिलित रूप वाला देवता भगवान के हरिहर के कल्पना आ अस्थापना के भी इहाँ के प्रमुख देवता के उत्पत्ती के आधार माने ला। कुछ अन्य बिबरन में शालिग्रामी (इ गंडक के अन्य नाँव हवे) आ गंगा के संगम के कारण भी एह क्षेत्र के हरिहर क्षेत्र मानल जाए के बात मिले ला।[7] एह क्षेत्र के सात गो पुण्य क्षेत्र सभ में भी शामिल कइल जाला।[8]

जानवर के मेला भइला के बावजूद इ खाली जानवर मेला ना ह। इ भोजपुरिया समाज के मेला भी ह जहाँ रउआ भोजपुरी सभ्यता आ संस्कृति के जाने पहचाने के मौका मिले ला। भोजपुरिया पकवान से लेके भोजपुरिया कला तक के दर्शन इहाँ हो जाला।[9] एही मेला में अपना ज़माना के मशहूर नौटंकी अदाकारा गुलाब बाई के जलवा रहे जेकरा के ओह समय के लोग अब्बो इयाद करे ला। हालत ई कि अब्बो एह मेला में गुलाब बाई के नाँव से कई गो इस्टेज लागे लें।[10]

इतिहासी महत्व[संपादन करीं]

सोनपुर मेला में घूमत बिदेसी सैलानी लोग

सोनपुर मेला खाली मवेशी बेचे-खरीदे के जगह ना हवे। अतना लोग के भारी भीड़ एकट्ठा होला कि ई एगो सामाजिक-सांस्कृतिक सम्मेलन बन जाला। एह मेला के दौरान होखे वाला पब्लिक के भीड़ के चलते इहाँ कुछ इतिहासी सम्मलेन भी भइल बाने। एह में से दू गो प्रमुख बाने।

सन 1908 में एही सोनपुर के मेला में बिहार प्रांतीय कांग्रेस के गठन भइल रहल।[11] एह पहिली बैठक के अध्यक्षता सरफ़राज हुसैन खान कइलेन।[12] कांग्रेस पार्टी के लोग बाद में भी एहिजा आ अइसने मेला सभ में जा के नया सपोर्टर जुटावे के कोसिस करे।[13]

एगो अन्य दुसरी प्रमुख चीज कि हेइजे स्वामी सहजानंद सरस्वती 1920 में "किसान सभा" के भी गठन कइले रहलें आ एह सभा के अध्यक्ष बनलें।[14] कुछ अन्य बिबरन में, एहिजे 1888 में अखिल भारतीय गौरक्षा समीति के स्थापना होखे के बात भी बतावल जाला।[13][15]

राहुल सांकृत्यायन के हवाला से एह मेला के उत्पत्ती शुंग बंस के शासन काल से भइल बतावल जाले। जबकि बिहार सरकार के पर्यटन बिभाग के हवाला से एह मेला के प्राचीन होखे के बारे में बतावल गइल बा कि चंद्रगुप्त मौर्य भी इहाँ से हाथी खरीदें।[16] कुछ जगह बिबरन मिले ला कि पहिले ई मेला पटना के उत्तर में मौजूद हाजीपुर में लागे आ औरंगजेब के जमाना में एह जगह लागे शुरू भइल। पहिले खाली भर पूजा हेइजा होखे।[15]

बाबा हरिहरनाथ के मंदिर के इतिहास के बारे में कथा बतावल जाला कि ई राम द्वारा जनक के इहाँ जात समय बनवावल गइल रहे। बाद में एकर मरम्मत के काम राजा मान सिंह द्वारा करावल गइल आ अपना अंतिम रूप में, वर्तमान मंदिर के निर्माण राजा राम नारायण द्वारा मुग़ल काल के अंतिम समय में करावल गइल।[15]

आवागमन[संपादन करीं]

सोनपुर रेलवे टीशन

सोनपुर शहर बिहार के सारन जिला के सभसे पूरबी माथ पर बा। ई गंगा आ गंडक के संगम पर बसल हवे। बिहार के राजधानी पटना से एकर दूरी बस लगभग 30 किलोमीटर बा आ ई पटना से उत्तर ओर, तनिका पछिमाहुत दिसा में पड़े ला, गंगा नदी के उत्तरी किनारा पर सोनपुर-हाजीपुर आ दक्खिनी किनारे पर पटना बा।

रेल से भी सोनपुर तीशन पहुँचल जा सकत बा। हाजीपुर के पच्छिम ओर ई रेलवे इस्टेशन मौजूद बा आ एकरे आगे अउरी पच्छिम जा के लाइन दू दिसा में चल जाले, छपरा खाती आ दक्खिन मुंह के मुड़ के दीघा-सोनपुर पुल (लोकनायक जयप्रकाश सेतु) पार क के पटना के पच्छिमी हिस्सा में घुसे ले।

नोट[संपादन करीं]

  1. सोनपुर मेला के एशिया के सभसे बड़ मवेशी मेला बतावल जाला, हालाँकि ई साफ नइखे कि दुनिया में अउरी कहाँ एकरा ले बड़ मेला लागे ला।

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. "विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला शुरू, नहीं होगी हाथियों की बिक्री | Zee Business". Zee Business (हिंदी में). Retrieved 30 नवंबर 2018.
  2. "Marriages made in Sonepur cattle fair". The Hindu. 2014-11-12. Retrieved 2017-12-01.
  3. "many foreigners from several countries visit sonpur mela– News18 Hindi". Hindi.news18.com. 2017-11-19. Retrieved 2017-12-01.
  4. सीटू तिवारी पटना से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए. "मुस्कान बिखेरती सोनपुर की सामुदायिक पुलिस - BBC हिंदी". Bbc.com. Retrieved 2017-12-01.
  5. "history of sonpur fair|बिहार के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है सोनपुर मेला - Navbharat Times" (हिंदी में). Navbharattimes.indiatimes.com. Retrieved 2017-12-01.
  6. Last updated: 4 नबम्बर, 2017 2:06 AM. "10 lakh pilgrims arrive at Sonpur fair , Bihar Hindi News - Hindustan". Livehindustan.com. Retrieved 2017-12-01.
  7. Bharat Ke Pavitra Teerthsthal. Grantha Akādamī. 2010. pp. 65–. ISBN 978-81-88267-99-6.
  8. Chandrapal Sharma (1 September 2017). भारतीय संस्कृति और मूल अंकों के स्वर : अंक चक्र : Bhartiya Sanskriti aur Mool Anko ke Swar Ank Chakra. Diamond Pocket Books Pvt Ltd. pp. 209–. ISBN 978-93-5278-487-5.
  9. "बिहार में सोनपुर मेले की धूम - BBC हिंदी". Bbc.co.uk. Retrieved 2017-12-01.
  10. "सोनपुर मेला: जब स्टेज पर आती थीं गुलाब बाई तो थम जाती थीं सांसे". दैनिक जागरण (हिंदी में). 27 नवंबर 2018. Retrieved 30 नवंबर 2018.
  11. Narendra Kumar Pandey. Dr Shrikrishan Singh Itihas Ke Aaine Me. pp. 15–. ISBN 978-81-7721-299-0.
  12. Mohammad Sajjad (13 August 2014). Muslim Politics in Bihar: Changing Contours. Routledge. pp. 10–. ISBN 978-1-317-55982-5.
  13. 13.0 13.1 Anand A. Yang (1 February 1999). Bazaar India: Markets, Society, and the Colonial State in Bihar. University of California Press. pp. 160–. ISBN 978-0-520-91996-9.
  14. Dinesh Datt Sharma. Swami Sahajananda Saraswati : Amrit Kalash. pp. 133–. ISBN 978-93-5048-880-5.
  15. 15.0 15.1 15.2 "Sonepur Mela History, History Behind Sonepur Fair". Festivalsofindia.in. Archived from the original on 2016-11-03. Retrieved 2017-12-01.
  16. अतहर इमाम ख़ान सोनपुर से, बीबीसी हिंदी के लिए. "सोनपुर मेलाः चंद्रगुप्त मौर्य भी यहां से हाथी घोड़ा ख़रीदा करते - BBC हिंदी". Bbc.com. Retrieved 2017-12-01.