भारतीय शास्त्रीय भाषा

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भारत सरकार छवगो भारतीय भाषा सभ के भारत के शास्त्रीय भाषा के दरजा देले बाटे। 2004 में भारत सरकार एह बात के घोषणा कइलस के जवन भाषा सभ कुछ निश्चित कड़क मापदंड सभ के संतोषत होखें उनहन के भारत के 'शास्त्रीय भाषा' (क्लासिकल लैंगुएज) के दरजा दिहल जा सकेला।[1] एकर स्थापना संस्कृति मंत्रालय द्वारा भाषा बिद्वानन के समिति के साथे मिल के कइल गइल। एह समिति के निर्माण भारत सरकार द्वारा भाषा के शास्त्रीय भाषा के श्रेणी में रखे के माँग पर बिचार करे खातिर करल गइल रहे।

शास्त्रीय भाषा[संपादन करीं]

भारत सरकार से घोषित भइल शास्त्रीय भाषा के सारणी नीचे दिहल गइल बा:

भाषा स्वलिपिये घोषणा संदर्भ
तमिल தமிழ் 2004 [2]
संस्कृत संस्कृतम् 2005 [3]
तेलुगु తెలుగు 2008 [4]
कन्नड़ ಕನ್ನಡ 2008 [4]
मलयालम മലയാളം 2013 [5]
ओडिया ଓଡ଼ିଆ 2014 [6][7]

मापदंड[संपादन करीं]

2004 में 'शास्त्रीय भाषा' के प्राचीनता खातिर भाषा के अस्तित्व के कम से कम 1000 साल के अस्तित्व के कामचलाउ मापदंड के रूप में रखल गइल।[8]

2006 में एगो अखबारी यादी में पर्यटन आ संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी राज्यसभा में बतवली के, 'शास्त्रीय भाषा' के रूप में वर्गीकरण खातिर बिचार कइल जाए वाली भाषा के योग्यता के निर्धारण करे खातिर नीचे के मापदंड तय कइल गइल।[9]

  • 1500-2000 साल के कालावधि में एकर सुरुआती ग्रंथ/रेकार्डेड इतिहास के उच्च प्राचीनता।
  • प्राचीन साहित्य/ग्रंथ के समुह, जेके बोलनिहारन के पीढ़ी-दर-पीढ़ी द्वारा एगो मूल्यवान बिरासत मानल गइल होखे।
  • साहित्यिक परंपरा मौलिक होखे आ दुसरा भाषा आ समुदाय से उधार ना लिहल होखे।
  • शास्त्रीय भाषा आ साहित्य आधुनिक से अलग होखे के कारण शास्त्रीय भाषा आ एकरे बाद के रूप भा एकरे शाखा सभ के बीच भी बिसंगति हो सके ला।
  • शास्त्रीय भाषा आ साहित्य, आधुनिक से अलग होखे के कारण शास्त्रीय भाषा आ एकरे बाद के रूप चाहे एकरे शाखो के बीच अलगापन हो सके ला।[10]}}

लाभ[संपादन करीं]

एक बेर कवनो भाषा के शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता हो गइला के बाद मानव संसाधन आ बिकास मंत्रालय ओकरा के बढ़ावा देवे खातिर तनी लाभ देला:

  • भारतीय शास्त्रीय भाषा में बिख्यात बिद्वानन खातिर दू गो बड़हन वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार
  • शास्त्रीय भाषा में अभ्यास खातिर एगो श्रेष्ठता के केंद (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के स्थापना करल गइल बा।
  • युनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) से निहोरा कइल जाई के कम से कम केंद्रीय विश्वविद्यालयन में शास्त्रीय भारतीय भाषा के नामी बिद्वानन खातिर शास्त्रीय भाषा में एगो निश्चित संख्या में प्रोफेशनल चेयर बनावल जाव।

मान्यता के माँग[संपादन करीं]

पछिला कई बरिस से पालि भासा, बंगाली, मराठीमणिपुरी भाषा के शास्त्रीय दरजा देवे के मांग कइल जा रहल बाटे।

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. "India sets up classical languages". BBC. 17 सितंबर 2004. Retrieved 1 मई 2007.
  2. "Front Page : Tamil to be a classical language". द हिंदू. चेन्नई, भारत. 18 सितंबर 2004. Archived from the original on 3 March 2018. Retrieved 1 अगस्त 2010.
  3. "National : Sanskrit to be declared classical language". द हिंदू. चेन्नई, भारत. 28 अक्टूबर 2005. Archived from the original on 4 September 2016. Retrieved 1 अगस्त 2010.
  4. 4.0 4.1 "Declaration of Telugu and Kannada as classical languages". Press Information Bureau. Ministry of Tourism and Culture, Government of India. Archived from the original on 3 March 2016. Retrieved 31 अक्टूबर 2008.
  5. "'Classical' status for Malayalam". The Hindu. Thiruvananthapuram, India. 24 May 2013. Retrieved 25 May 2013.
  6. "Odia gets classical language status". द हिंदू. 20 February 2014. Retrieved 20 फरवरी 2014.
  7. "Milestone for state as Odia gets classical language status". द टाइम्स ऑफ इंडिया.
  8. "India sets up classical languages". बीबीसी (ब्रिटिश अंग्रेजी में). 17 सितंबर 2004.
  9. "CLASSICAL LANGUAGE STATUS TO KANNADA". प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो, भारत सरकार. 8 अगस्त 2006. Archived from the original on 18 January 2012. Retrieved 6 नवंबर 2008.
  10. "Reviving classical languages – Latest News & Updates at Daily News & Analysis". Dnaindia.com. 13 अगस्त 2015. Retrieved 28 दिसंबर 2017.