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हीनयान

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हीनयान बौद्ध धर्म के एगो शाखा बाटे। हीनयान एगो संस्कृत भाषा क शब्द ह, जवन एगो समय पर बौद्ध धर्म के श्रावकयानप्रत्यक्षबुद्धयान मार्गन खातिर सामूहिक रूप से इस्तेमाल होखे। ई शब्द पहिली-दूसरकी सदी ईसवी में उभरल। हीनयान (भा थेरवाद) के बुद्ध के शिक्षा के प्राथमिक या "छोट (हीन) वाहन (यान)" मानल जाला। एकर तुलना महायान से कइल जाला, जवन बुद्ध के शिक्षा के "महान (महा) वाहन (यान)" कहल जाला। तीसरा वाहन के वज्रयान कहल जाला, जे "अविनाशी (वज्र) वाहन" के रूप में जानल जाला।

पच्छिमी विद्वान लोग हीनयान शब्द के एकदम से शुरुआती दौर के बौद्ध शिक्षा खातिर इस्तेमाल कइलें, काहे कि महायान शिक्षा आमतौर पर बाद में आइल।[sources 1] बाकिर आधुनिक बौद्ध विद्वान लोग एह शब्द के अपमानजनक माने लें, आ एकरा बदले "निकाय बौद्ध धर्म" शब्द के इस्तेमाल करे के सिफारिश करें लें।

हीनयान शब्द के कुछ गलत तरीका से थेरवाद के पर्यायवाचियो मान लिहल जाला, जबकि थेरेवाद बौद्ध धर्म के मुख्य धारा श्रीलंका आ दक्षिण-पूर्व एशिया में बा। संस्कृत में "हीनयान" के शाब्दिक अर्थ "छोट/अपूर्ण वाहन" या "छोट मार्ग" होला। महायान परंपरा के अनुसार, हीनयान क अनुयायी लोग खाली भर पाँच शील (पाँच नैतिक नियम) के पालन करे के बाध्य रहेलन।

उत्पत्ती

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जान नाटियर के हिसाब से, साइत हीनयान शब्द महायान शब्द से बाद में आइल आ बाद में बौद्ध पारिभाषिक शब्दावली में जोड़ल गइल; ई बिरोध आ टकराव के रिजल्ट के रूप में आइल, अइसन टकराहट, जे बोधिसत्त्व आदर्श आ श्रावक आदर्श के बीच में पैदा भइल। पहिले बोधिसत्त्वयान शब्द आइल, जे बाद में महायान ("महान वाहन") के विशेषण के रूप में इस्तेमाल होखे लागल। बाकिर बाद में जब बोधिसत्त्व शिक्षा के ले के आलोचनात्मक दृष्टिकोण बढ़ल, त हीनयान शब्द के गढ़ल गइल, जे पहले से स्थापित महायान शब्द के विरोध में इस्तेमाल भइल।

पुरान महायान ग्रंथन में आमतौर पर महायान शब्द के बोधिसत्त्वयान के पर्यायवाची आ विशेषण के रूप में इस्तेमाल कइल गइल बा, जबकि हीनयान शब्द शुरुआती ग्रंथन में बहुत कम मिलेला, बलुक पुरान अनुवाद में त ई शब्द लगभग नदारदे बाटे। एह से, अक्सर महायान आ हीनयान के बीच देखल जाए वाला समानता भा तुलनात्मक बिरोध दुनों चीज भ्रामक हो सकेला, काहे कि ई दुनों शब्द एके समय में गढ़ल ना गइल रहलें।

पॉल विलियम्स के हिसाब से, "ए बात के गहराई से जमल गलतफहमी बा कि महायान हमेशा आ हर जगह हीनयान पर कठोर आलोचना कर रहल बा, लेकिन हमरा ग्रंथन से ई साबित ना होला।" जबकि कुछ जगह टकराव के प्रमाण जरूर मिले ला, ओकरे साथे साथ भारी प्रमाण एहू बात के बाड़ें कि दुनों परंपरा शांति से सह-अस्तित्व में रहल बाड़ी।

हीनयान आ महायान

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चीनी भिक्षु यीजिंग, जे 7वीं शताब्दी में भारत आए रहलें, महायान आ हीनयान के बीच ए तरह से भेद कइलें:

"दुनों एके समान विनय (संयम आ आचार-संबंधी नियम) के अपनावेलन, दुनों पाँच अपराधन के निषेध मानेलन आ चार आर्यसत्य के अभ्यास करेलन। जे लोग बोधिसत्त्वन के आदर करेला आ महायान सूत्रन के पढ़ेला, ऊ महायानी कहल जाला; जबकि जे ई काम ना करेलन, ऊ हीनयानी कहल जालन।"[1]

7वीं सदी के चीनी बौद्ध भिक्षु ह्वेनसांग जब श्रीलंका गइल रहले, त ऊ ओहिजा महाविहार आ अभयगिरि विहार के एके साथ अस्तित्व में देखलें। उ महाविहार के भिक्षु लोग के "हीनयान स्थविर" (यानि हीनयान के अनुयायी स्थविर भिक्षु) कहलें, जबकि अभयगिरि विहार के भिक्षु लोग के "महायान स्थविर" (यानि महायान माननिहार स्थविर भिक्षु) कहलें। ह्वेनसांग आगे लिखेलन:

"महाविहारवासी महायान के अस्वीकार करेलन आ हीनयान के अभ्यास करेलन, जबकि अभयगिरि विहारवासी हीनयान आ महायान दुनों के अध्ययन करेलन आ त्रिपिटक के प्रचार करेलन।"[2]


बिस्तृत फुटनोट

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  1. Monier-Williams Sanskrit-English Dictionary (Oxford, 1899), "Proper Noun: simpler or lesser vehicle. Name of the earliest system of Buddhist doctrine (opposite to the later Mahayana; see यान)."

स्रोत ग्रंथ

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  • Hirakawa, Akira; Groner, Paul (2007), History of Indian Buddhism: From Sakyamuni to Early Mahayana, Motilal Banarsidass, hdl:10125/23030, ISBN 978-8120809550
  • Williams, Paul (2009), Mahayana Buddhism: The Doctrinal Foundations, Routledge, ISBN 978-0-415-35653-4