माघ: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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एकरे अलावा [[इलाहाबाद]] में माघ के महीना में पूरा महीना भर चले वाला [[माघ मेला]] लागे ला।<ref>{{cite book |last1=भार्गव |first1=गोपाल |title=उत्तर प्रदेश की कला एवं संस्कृति |date=2011 |publisher=Gyan Publishing House |isbn=978-81-7835-892-5 |url=https://books.google.co.in/books?id=ihlrKLrUF0QC&newbks=1&newbks_redir=0&lpg=PA205&dq=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE&hl=hi&pg=PA205#v=onepage&q=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE&f=false |language=hi}}</ref> प्रयाग के [[त्रिवेणी संगम|त्रिबेनी संगम]] क्षेत्र में पूरा महीना भर लोग रह के गंगा नहान आ पूजा-प्रार्थना करे ला। एकरा के ''कल्पवास'' कहल जाला। माघ मेंला के प्रमुख नहान परब सभ में [[मौनी अमौसा|मौनी अमावस्या]], [[बसंत पंचिमी|बसंत पंचमी]] आ माघी पूर्णिमा होखे लें। हर बारहवाँ बरिस इहे माघ मेला [[कुंभ मेला]] के रूप में मनावल जाला आ तब एकर नहान परब [[शिवराति|शिवरात]] (महाशिवरात्रि, फागुन में पड़े ले) ले हो जालें।
एकरे अलावा [[इलाहाबाद]] में माघ के महीना में पूरा महीना भर चले वाला [[माघ मेला]] लागे ला।<ref>{{cite book |last1=भार्गव |first1=गोपाल |title=उत्तर प्रदेश की कला एवं संस्कृति |date=2011 |publisher=Gyan Publishing House |isbn=978-81-7835-892-5 |url=https://books.google.co.in/books?id=ihlrKLrUF0QC&newbks=1&newbks_redir=0&lpg=PA205&dq=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE&hl=hi&pg=PA205#v=onepage&q=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE&f=false |language=hi}}</ref> प्रयाग के [[त्रिवेणी संगम|त्रिबेनी संगम]] क्षेत्र में पूरा महीना भर लोग रह के गंगा नहान आ पूजा-प्रार्थना करे ला। एकरा के ''कल्पवास'' कहल जाला। माघ मेंला के प्रमुख नहान परब सभ में [[मौनी अमौसा|मौनी अमावस्या]], [[बसंत पंचिमी|बसंत पंचमी]] आ माघी पूर्णिमा होखे लें। हर बारहवाँ बरिस इहे माघ मेला [[कुंभ मेला]] के रूप में मनावल जाला आ तब एकर नहान परब [[शिवराति|शिवरात]] (महाशिवरात्रि, फागुन में पड़े ले) ले हो जालें।

== साहित्य में ==
माघ महीना के नाँव पर संस्कृत के एगो कवि के नाँव हवे जिनकर रचना शिशुपालवधम् संस्कृत के प्रमुख महाकाव्य ग्रंथ मानल जाला। कहानी ई बतावल जाला कि कवी के नाम कुछ अउरी रहल बाकी भारवि (शब्दार्थ: सूर्य के आभा) नाँव के कवी से अपना के श्रेष्ठ बनावे खाती आपन नाँव माघ रख लिहलें (माघ में सुरुज के परभाव कम हो जाला)। एकरे परमान में उद्धरण दिहल जाला — "तावद्भाभारवेर्भाति यावद् माघस्य नोऽदयः"। माघ के कबिता एतना कठिन हवे की कहनाम बा की माघ महिन्ना आ माघ के कबिता से केकरा जाड़ न हो जाई! — "माघेनैव च माघेन कम्पः कस्य न जायते"।<ref>{{cite book |last1=वाटवे |first1=केशव नारायण |title=संस्कृत काव्य के पाँच प्राण |date=2008 |publisher=किताबघर प्रकाशन |location=नई दिल्ली |isbn=97881497 |page=258 |url=https://books.google.co.in/books?id=ukbCMjb5olUC&newbks=1&newbks_redir=0&lpg=PA258&dq=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%E0%A5%87%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%83%20%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%A8%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A5%87&hl=hi&pg=PA258#v=onepage&q=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%E0%A5%87%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%83%20%E0%A4%95%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%A8%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A5%87&f=false}}</ref>

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=== पुराण में ===
पुराण में कथा के मोताबिक माघ महीना के एकादशी के दिने अँवरा (आँवला) के जनम भइल रहे।<ref>{{cite book |last1=Bedi |first1=Ramesh |title=Gunkari Phal |date=1 सितंबर 2002 |publisher=Rajkamal Prakashan |isbn=978-81-267-0598-6 |url=https://books.google.co.in/books?id=ktwmq3hekOIC&newbks=1&newbks_redir=0&lpg=PA108&dq=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8&hl=hi&pg=PA108#v=onepage&q=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8&f=false |language=hi}}</ref>

=== लोक में ===
घाघ आ भड्डरी के कई गो कहावत माघ के बारे में परसिद्ध बाड़ीं।<ref>{{cite book |last1=Dwivedi |first1=Devnarayan |title=Ghagh Aur Bhaddari Ki Kahawatein |date=2006 |publisher=Diamond Pocket Books (P) Ltd. |isbn=978-81-288-1368-9 |url=https://books.google.co.in/books?id=k9uds-8fxkEC&newbks=1&newbks_redir=0&lpg=PA61&dq=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8&hl=hi&pg=PA61#v=onepage&q=%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%98%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8&f=false |language=hi}}</ref>


== संदर्भ ==
== संदर्भ ==

23:14, 10 जनवरी 2022 तक ले भइल बदलाव

माघ (माघ) हिंदू कलेंडर के एक ठो महीना बा।

काशी क्षेत्र में प्रचलन में बिक्रम संवत के अनुसार माघ साल के इगारहवाँ महीना होला। अंगरेजी (ग्रेगोरियन कैलेंडर) के हिसाब से एह महीना के सुरुआत कौनों फिक्स डेट के ना पड़ेला बलुक खसकत रहेला। आमतौर पर ई जनवरी/फरवरी के महीना में पड़े ला।

भारतीय राष्ट्रीय पंचांग, जेवन सुरुज आधारित होला, में माघ इगारहवाँ महीना हवे आ ग्रेगोरियन कैलेंडर के 21 जनवरी से एकर सुरुआत होले। नेपाल में प्रयुक्त कैलेंडर के हिसाब से ई साल के दसवाँ महीना हवे। बंगाली कैलेंडर में भी ई दसवाँ महीना होला।

नाँव

आकास में सिंह राशि के चित्र। एह में दाहिने नीचे देखावल रेग्युलस तारा के भारतीय ज्योतिष में मघा तारा कहल जाला।

माघ महीना के नाँव भारतीय ज्योतिष आ खगोलशास्त्र में बर्णित मघा नक्षत्र के नाँव पर रखल गइल हवे। शाब्दिक अरथ होला मघा नक्षत्र के महीना। अइसन एह कारण से कहल जाला कि एह महीना के पुर्नवासी (पूर्णिमा) के चंद्रमा आकास में मघा नक्षत्र में (चाहे एकरे आसपास) देखालाई पड़े ला।

परब-तिहुआर

इलाहाबाद के संगम पर 2001 के कुंभ मेला के एगो सीन।
अन्हार पाख
  • चउथ — सकट चउथ, जेकरा संकष्टी गणेश चतुर्थी कहल जाला।
  • एकादशी — षटतिला एकादशी।[1]
  • अमौसा — मौनी अमौसा
अँजोर पाख
  • पंचिमी — बसंत पंचिमी
  • एकादशी — जया एकादशी।
  • पुर्नवासी — माघी पूर्णिमा।
सुरुज के हिसाब से

माघ महीना के अंजोर के पहिला नौ दिन गुप्त नवरातर होखे लें।[2] ई देवी दुर्गा के पूजा के दिन हवें हालांकि, आम जनता द्वारा ना मनावल जालें। आम लोग, ब्यापक रूप से दू गो नवरातर मनावे ला: शरद के नवरात्र आ बसंत के नवरात्र जे क्रम से कुआर आ चइत के महीना में पड़े लें।

एकरे अलावा इलाहाबाद में माघ के महीना में पूरा महीना भर चले वाला माघ मेला लागे ला।[3] प्रयाग के त्रिबेनी संगम क्षेत्र में पूरा महीना भर लोग रह के गंगा नहान आ पूजा-प्रार्थना करे ला। एकरा के कल्पवास कहल जाला। माघ मेंला के प्रमुख नहान परब सभ में मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी आ माघी पूर्णिमा होखे लें। हर बारहवाँ बरिस इहे माघ मेला कुंभ मेला के रूप में मनावल जाला आ तब एकर नहान परब शिवरात (महाशिवरात्रि, फागुन में पड़े ले) ले हो जालें।

साहित्य में

माघ महीना के नाँव पर संस्कृत के एगो कवि के नाँव हवे जिनकर रचना शिशुपालवधम् संस्कृत के प्रमुख महाकाव्य ग्रंथ मानल जाला। कहानी ई बतावल जाला कि कवी के नाम कुछ अउरी रहल बाकी भारवि (शब्दार्थ: सूर्य के आभा) नाँव के कवी से अपना के श्रेष्ठ बनावे खाती आपन नाँव माघ रख लिहलें (माघ में सुरुज के परभाव कम हो जाला)। एकरे परमान में उद्धरण दिहल जाला — "तावद्भाभारवेर्भाति यावद् माघस्य नोऽदयः"। माघ के कबिता एतना कठिन हवे की कहनाम बा की माघ महिन्ना आ माघ के कबिता से केकरा जाड़ न हो जाई! — "माघेनैव च माघेन कम्पः कस्य न जायते"।[4]

मालिक मुहम्मद जायसी अपना बारहमासा में माघ महिन्ना में पाला पड़े आ काम भावना के बढ़े के जिकिर कइले बाड़ें।[5]

पुराण में

पुराण में कथा के मोताबिक माघ महीना के एकादशी के दिने अँवरा (आँवला) के जनम भइल रहे।[6]

लोक में

घाघ आ भड्डरी के कई गो कहावत माघ के बारे में परसिद्ध बाड़ीं।[7]

संदर्भ

  1. पर्वतीय, लीलाधर शर्मा (1995). भारतीय संस्कृति कोश (हिंदी में). राजपाल एंड संस. ISBN 978-81-7028-167-2.
  2. Bhalla, Prem P. (22 अगस्त 2017). ABC of Hinduism (अंग्रेजी में). Educreation Publishing.
  3. भार्गव, गोपाल (2011). उत्तर प्रदेश की कला एवं संस्कृति (हिंदी में). Gyan Publishing House. ISBN 978-81-7835-892-5.
  4. वाटवे, केशव नारायण (2008). संस्कृत काव्य के पाँच प्राण. नई दिल्ली: किताबघर प्रकाशन. p. 258. ISBN 97881497. {{cite book}}: Check |isbn= value: length (help)
  5. Tyagi, Amita (1 जनवरी 2014). "NCERT Prashn-Uttar Hindi - Aechhik for Class XII" (हिंदी में). Arihant Publications India limited.
  6. Bedi, Ramesh (1 सितंबर 2002). Gunkari Phal (हिंदी में). Rajkamal Prakashan. ISBN 978-81-267-0598-6.
  7. Dwivedi, Devnarayan (2006). Ghagh Aur Bhaddari Ki Kahawatein (हिंदी में). Diamond Pocket Books (P) Ltd. ISBN 978-81-288-1368-9.