तिथि

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तिथि के गिनती के खगोलशास्त्रीय ब्याख्या

वैदिक समय मापन आ बाद के हिंदू कैलेंडर सभ में तिथि समय के एक ठो माप हवे जे एक ठो सूर्य-सापेक्ष चंद्रमास (सिनोडिक महीना) के 1/30वाँ हिस्सा होला। एकरा के चंद्रमा आधरित दिन या चंद्रमा आधारित तारीख भी बूझल जा सकेला।

तिथि सुरुज आ चंद्रमा के बीच हर 12° देशंतारीय कोण के पूरा होखला पर बदले ले।[1] अमौसा के सुरुज आ चंद्र एक सीध में होलें, एकरे बाद चंद्रमा अपने परिक्रमा में आगे बढे ला आ सूर्य आ चंद्रमा के बीचे के कोणीय अंतर बढ़त जाला। हर 12° पर एक तिथि पूरा हो जाले आ पूरा 360° पूरा होखले पर फिर अमौसा के स्थिति, यानि सुरुज चंद्र एक सीध में हो जालें।[2]

हालाँकि चंद्रमा के 12° आगे बढ़े में हमेशा बराबर समय ना लागे ला आ एही से तिथि छोट-बड़ होत रहे लीं। एक तिथि के समय लगभग 19 घंटा से ले के 26 घंटा ले के हो सकेला।[3]

तिथि हिंदू पञ्चांग के प्रमुख हिस्सा हवे। तिथि, वार, नक्षत्र, करण आ योग नाँव के पाँच चीज के लिखित सारिणी के पञ्चांग कहल जाला। ज्यादातर हिंदू तिहुआर सभ एही चंद्रमा आधारित तिथि के अनुसार मनावल जालें। नेपाल नियर देसन में ई तारीख के गिनती के मुख्य तरीका हवे हालाँकि, नेपाली तिथि सूर्य के गति के आधार पर होले, बाकी इनहन के नाँव उहे होला जे चंद्रमा आधारित तिथि सभ के होला।

तारीख के रूप में[संपादन करीं]

हिंदू पद्धति में दिन के सुयूआत सुरुज उगे के समय से अगिला सूर्योदय तक के होला, जबकि अंग्रेजी सिस्टम में रात के बारह बजे से ले के अगिला रात के बारह बजे ले। एही से तारीख के रूप में तिथि के प्रयोग (दिन गिने खातिर) जब होला तब सूर्योदय के समय जवन तिथि होल ओही के ओह दिन के तिथि (तारीख) मान लिहल जाला।[1] एकरा के "उदया तिथि" कहल जाला। अगर एक सूर्योदय के समय कौनों तिथि रहल जे अगिला सूर्योदय के भी रहि गइल तब अगिला दिन के भी उहे तिथि होखी। मतलब कि एकही तिथि दू दिन कुल के तिथि कहाई, एकरा के बढ़ती कहल जाला। एकरे उल्टा, अगर कौनों तिथि सूर्योदय के बाद सुरू भइल आ अगिला सूर्योदय के पहिलहीं खतम हो गइल तब उ कौनों दिन के तिथि ना कहा पाई काहें कि कौनों दिन ओह तिथि में सूर्योदय ना भइल। एकरा के तिथि हानि (क्षय) या घटती कहल जाई।

पर्व तिहुआर के गणना में[संपादन करीं]

अधिकतर हिंदू तिहुआर सभ तिथि अनुसार पड़े लें। कुछ तिहुआर सूर्य के अलग अलग राशि में प्रवेश के समय, जेकरा के संक्रांति कहल जाला, के अनुसार भी पड़े लें; उदाहरण खातिर खिचड़ी, सतुआन आ बहुरा वगैरह। लेकिन दशहरा, दिपावली, होली, जन्माष्टमी नियर तिहुआर चंद्रमा आधारित तिथि के अनुसार गिनल जालें। एह में से कुछ तिहवार सभ के उदया तिथि के पड़ल भी मानल जाला आ कुछ में तिथि के सटीक समय पर सुरुआत आ अंत के भी महत्त्व होला।[4] कुछ तिहवार में तिथि के साथे-साथ नक्षत्र के भी महत्त्व होला।

तिथि सभके नाँव[संपादन करीं]

नीचे तिथि सभ के नाँव दिहल जा रहल बा। आमतौर पर भोजपुरी में अन्हार आ अँजोर पाख खातिर बदी आ सुदी के प्रयोग होला। संस्कृत में जेकरा के चैत्र शुक्ला प्रतिपदा कहल जाला ओके भोजपुरी में चइत सुदी एक्कम कहल जाई। बाकी के नाँव भी अइसहीं:

संख्या अन्हार पाख (बदी) संख्या अँजोर पाख (सुदी) नेपाली नाँव[5] संस्कृत नाँव स्वामी देवता
पौराणिक[2]
स्वामी खातिर अन्य मत
या अन्य नाँव
1 एक्कम 1 एक्कम परेवा प्रतिपदा अग्नि
2 दूइज 2 दूइज दुतिया द्वितीया धाता ब्रम्हा
3 तीजि 3 तीजि तृतीया तृतीया उमा पार्वती
4 चउथि 4 चउथि चउथि चतुर्थी गणेश यम
5 पंचिमी 5 पंचिमी पञ्चमी पञ्चमी नाग
6 छठि 6 छठि षष्ठी षष्ठी गुह कार्तिकेय
7 सत्तिमी 7 सत्तिमी सप्तमी सप्तमी रवि
8 अष्टिमी 8 अष्टिमी अष्टमी अष्टमी शिव
9 नउमी 9 नउमी नौमी/नउमी/नवमी नवमी दुर्गा अम्बिका
10 दसिमी 10 दसिमी दसमी दशमी यम धर्मराज
11 एकादसी 11 एकादसी एकादसी एकादशी विश्वे रुद्र
12 दुआदसी 12 दुआदसी द्वादसी द्वादशी हरि विष्णु, आदित्य
13 तेरसि 13 तेरसि त्रिदसी त्रयोदशी काम कामदेव
14 चतुर्दसी 14 चतुर्दसी चतुर्दसी चतुर्दशी शिव काली
30 अमौसा 15 पुर्नवासी औंसी
/पुर्ने
अमावस्या
/पूर्णिमा
शशि पितर (अमौसा), चंद्र

तिथि गणना के तरीका[संपादन करीं]

तिथि के गणना करे खातिर परंपरागत रूप से सूर्यसिद्धांत आधारित तरीका[6] ज्यादातर हिंदू पतरा सभ में प्रयोग होला। एह तरीका के अनुसार सूर्य आ चंद्रमा के भोगांश (longitude) के अंतर के गणना कइल जाले। मीन राशि आ मेष राशि के संधि के शून्य अंश मान के इहाँ से सगरी ग्रह सभ के कोणीय दूरी के ओह ग्रह के भोगांश कहल जाला। पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगावे ले एह कारण से सूर्य भी एह राशि-चक्र में चलत नजर आवे ला आ सूर्य के भोगांश के गणना होले।

चूंकि, अमौसा के सुरुज आ चंद्र दुनों एक सीध में होलें, इनहन के भोगांश बाराबर होला। एकरे बाद चंद्रमा आगे बढे ला। चंद्रमा के गति लगभग 13 कला (डिग्री/अंश) रोज के होले आ सुरुज के 1 कला। एही से रोज के अंतर लगभग 12 कला के होला आ रोज (12 कला के अंतर के कारण) एक तिथि बदले ले। हालंकि चंद्रमा के पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा के पथ भी दीर्घवृत्त होला आ पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर परिक्रमा के पथ भी, एही से सूर्य आ चंद्रमा के भोगांश (longitude) में 12 कला के अंतर में हमेशा बराबर समय न लागे ला।

गणना के बिधि[6][7] में चंद्रमास के 10,000 वाँ हिस्सा के पूरा करे में लागे वाला समय के आधार बना के गणना होले। यानि एक अमौसा से दूसरा अमौसा के समय के 10,000 हिस्सा में बाँट दिहल जाय त एक तिथि के औसत समय (10,000÷30=) 333 हिस्सा होखी। एही के उलट के कहल जाय तब एक (सौर) दिन में चंद्रमा एह 10,000 हिस्सा सभ में से औसतन 338.6319 हिस्सा पार करे ला। इहे चंद्रमा के औसत गति होला। हालाँकि कि चंद्रमा के दीर्घवृत्तीय मार्ग आ पृथ्वी के दीर्घवृत्तीय मार्ग के कारण होखे वाला विचलन (एनामली) के भी एह औसत में जोड़े के पड़े ला। चंद्रमा के औसत एनामली के मान 36.2916 आ सूर्य (पृथ्वी) के औसत एनामली 2.7378 बतावल गइल बाटे। एकरे बाद भी जवन मान आवे ला ऊ एक तरह से सटीक मान ना होला आ सटीक मान निकाले खातिर एह चंद्रमा आ सूर्य के एनामली के सटीक गणना हर तिथि खातिर बिसेस रूप से करे के पड़े ला।

तिथि के मान के गणना से आइल परिणाम आ सूर्य ग्रहण (ई अमावस्या के बेध द्वारा जाँच के तरीका हवे) के समय के बेध द्वारा आपस में सामंजस्य भी बइठावल जाला। आधुनिक समय में एकरे गणना के कंप्यूटर आधारित तरीका भी ईजाद कइल बाटे।[8] वर्तमान समय में बहुत सारा ऑनलाइन पञ्चांग में अंग्रेजी तारीख डाल के हिंदू तिथि प्राप्त कइल जा सकत बाटे।

शुभ-अशुभ बिचार [संपादन करीं]

फलित ज्योतिष में तिथि सभ के शुभ आ अशुभ परिणाम वाला वर्गीकरण भी मिले ला। एक ठो वर्गीकरण के अनुसार तिथि सभ के छह गो प्रकार में बाँटल जाला - नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता, पूर्णा।[9] एह में भद्रा (भदरा) आ रिक्ता के आमतौर पर अशुभ मानल जाला। हालाँकि इनहन के अशुभता के बिचार में वार (हप्ता के दिन) के भी शामिल कइल जाला।

एकरे आलावा अउरी कई प्रकार के शुभाशुभ संबंधी नियम बतावल गइल बाड़ें आ अलग-अलग ग्रंथन में इनहन मे आपस में अंतर भी मिले ला। कुछ विद्वान् लोग के विचार अनुसार ई तिथि के शुभ-अशुभ रूप में प्रचलन पौराणिक काल में हिंदू धर्म में बढ़ल अंधविश्वास के नतीजा हवे आ प्राचीन वैदिक ज्योतिष में अइसन कौनों बात नइखे कहल गइल।[10]

इहो देखल जाय[संपादन करीं]

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. 1.0 1.1 L.D.S. Pillai (1 December 1996). Panchang and Horoscope. Asian Educational Services. pp. 3–. ISBN 978-81-206-0258-8.
  2. 2.0 2.1 पाण्डेय, हरिहर (2006). हमारा ज्योतिष और धर्मशास्त्र. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ. p. 61.
  3. Defouw, Hart; Robert Svoboda (2003). Light on Life: An Introduction to the Astrology of India. Lotus Press. p. 186. ISBN 0-940985-69-1.
  4. L.D.S. Pillai (1 December 1996). Panchang and Horoscope. Asian Educational Services. pp. 12–. ISBN 978-81-206-0258-8.
  5. Archibald Turnbull (1992). Nepali Grammar & Vocabulary. Asian Educational Services. pp. 51–. ISBN 978-81-206-0102-4.
  6. 6.0 6.1 Robert Sewell; S.B. Dikshit (31 मई 1995). The Indian Calendar, with Tables for the Conversion of Hindu and Muhammadan Into A.D. Dates, and Vice Versa. Motilal Banarsidass Publishe. pp. 77–. ISBN 978-81-208-1207-9.
  7. Sudha Bhujle and M N Vahia, Calculations of tithis: An Extension of Surya Sidhanta formulation
  8. Nachum Dershowitz, Edward M. Reingold, Indian Calendrical Calculations
  9. "TITHI". http://astrology.aryabhatt.com (अंग्रेजी में). Retrieved 15 अक्टूबर 2016. {{cite web}}: External link in |website= (help)
  10. पाण्डेय, हरिहर (2006). हमारा ज्योतिष और धर्मशास्त्र (हिंदी में). उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ. p. 56-70.

बाहरी कड़ी[संपादन करीं]