सूर्यसिद्धांत
सूर्यसिद्धांत भारतीय ज्योतिष (खगोलिकी) के एगो ग्रंथ हवे जेकर रचना 4थी सदी के बाद के काल भा 5वीं सदी के सुरुआती दौर में भइल।[1] ग्रंथ के कई किसिम के पाठ मौजूद बाने आ छठईं सदी के ज्योतिषी वराहमिहिर एकरा हवाला अपने ग्रंथ में दिहले बाने। मानल जाला कि एह ग्रंथ के बिकास, एही नाँव से काफी समय ले होखत चल गइल।[3] एह में चौदह भा पनरह अध्याय बाने।[4] एकरे 12वीं सदी के एगो संस्करण के अंग्रेजी में अनुवाद पच्छिमी बिद्वान बर्जेस द्वारा 1860 में कइल गइल।[2]
सूर्यसिद्धांत में बिबिध ग्रह सभ आ चंद्रमा के गति के गणना करे के बिधि बतावल गइल बाटे। बिबिध नक्षत्र सभ से सोझा ग्रह सभ के गति, आकार, उनहन के परिकरमा के रास्ता के आकार आ अउरी कई किसिम के गणना के जानकारी दिहल गइल बाटे।[5] ग्रंथ में पृथिवी के गोल आकृती के मानल गइल बा[4] आ एकरा के केंद्र मान के एकरे चारों ओर सुरुज, चंद्रमा आ ग्रहन के गति के गणना कइल गइल बा; ग्रह सभ में यूरेनस, नेपच्यून आ प्लूटो वगैरह के नाँव नइखे गिनावल गइल।[6] ग्रंथ के अनुसार पृथिवी के ब्यास 8,000 मील (आधुनिक: 7,928 मील), चंद्रमा के ब्यास 2,400 मील (आधुनिक: ~2,160 मील) आ पृथिवी से चंद्रमा के दूरी 258,000 मील (आधुनिक: ~238,000) बतावल गइल बा।[5] एह ग्रंथ में सुरुआती दौर के ट्रिगनामेट्री आ सेक्साजेसिमल माप के बिबरन दिहल गइल बाटे।[1][7]
सूर्यसिद्धांत भारतीय ज्योतिष के कई आधार ग्रंथ सभ में से एक हवे जिनहन के मदद से सही गणना आ ग्रह के इस्थिति के भबिस्यबाणी संभव होखे ला।[8] हिंदू पतरा जे चंद्रमा आ सुरुज के मिलजुल आधार पर बनल कलेंडर हवे, में सुरुज आधारित साल के गणना खातिर मुख्य आधार ग्रंथ हवे।[9]
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ 1.0 1.1 1.2 Menso Folkerts, Craig G. Fraser, Jeremy John Gray, John L. Berggren, Wilbur R. Knorr (2017), Mathematics, Encyclopaedia Britannica, Quote: "(...) its Hindu inventors as discoverers of things more ingenious than those of the Greeks. Earlier, in the late 4th or early 5th century, the anonymous Hindu author of an astronomical handbook, the Surya Siddhanta, had tabulated the sine function (...)"
- ↑ 2.0 2.1 P Gangooly (1935, Editor), Translator: Ebenezzer Burgess (1930), Translation of Surya Siddhanta: A Textbook of Hindu Astronomy, University of Calcutta, page 1
- ↑ Kim Plofker (2009). Mathematics in India. Princeton University Press. pp. 71–72 with footnotes. ISBN 0-691-12067-6.
- ↑ 4.0 4.1 Markanday, Sucharit; Srivastava, P. S. (1980). "Physical Oceanography in India: An Historical Sketch". Oceanography: The Past. Springer New York. pp. 551–561. doi:10.1007/978-1-4613-8090-0_50. ISBN 978-1-4613-8092-4., Quote: "According to Surya Siddhanta the earth is a sphere."
- ↑ 5.0 5.1 Richard L. Thompson (2007). The Cosmology of the Bhagavata Purana. Motilal Banarsidass. pp. 16, 76–77, 285–294. ISBN 978-81-208-1919-1.
- ↑ Richard L. Thompson (2004). Vedic Cosmography and Astronomy. Motilal Banarsidass. p. 10. ISBN 978-81-208-1954-2.
- ↑ Brian Evans (2014). The Development of Mathematics Throughout the Centuries: A Brief History in a Cultural Context. Wiley. p. 60. ISBN 978-1-118-85397-9.
- ↑ Pingree, David (1971). "On the Greek Origin of the Indian Planetary Model Employing a Double Epicycle". Journal for the History of Astronomy. SAGE Publications. 2 (2): 80–85. Bibcode:1971JHA.....2...80P. doi:10.1177/002182867100200202.
- ↑ Roshen Dalal (2010). Hinduism: An Alphabetical Guide. Penguin Books. p. 89. ISBN 978-0-14-341421-6., Quote: "The solar calendar is based on the Surya Siddhanta, a text of around 400 CE."