पार्ट ऑफ़ स्पीच
व्याकरण में पार्ट ऑफ़ स्पीच (अंग्रेजी: part of speech), जेकरा के वर्ड क्लास चाहे ग्रामैटिकल कैटेगरी भी कहल जाला शब्द सभ के श्रेणी भा वर्ग (कटेगरी) होलीं जिनहन में, हर कटेगरी में, आवे वाला शब्द सभ के व्याकरणिक लच्छन एक नियर होखें। एक्के कटेगरी के शब्द, वाक्यविन्यास (सिंटैक्स) में एक नियर बेहवार करे लें, कबो-काल्ह इनहन में एकही नियर मॉर्फोलॉजिकल (रूप आधारित) बेहवार भी देखे के मिले ला आ कभी-काल्ह इनहन में एकही नियर सिमेंटिक (अर्थ आधारित) बेहवार भी देखे में आवे ला। अंग्रेजी ग्रामर में आम पार्ट ऑफ़ स्पीच जे गिनावल जालें: नाउन, प्रोनाउन, वर्ब, एडजेक्टिव, एडवर्ब, प्रीपोजीशन, कंजंक्शन, इंटरजेक्शन, न्यूमेरल, आर्टिकल आ डेटरमाइनर बाड़ें।
भारतीय भाषा सभ के व्याकरण में ई वर्गीकरण के तरीका अंग्रेजिये से आइल चीज हवें आ इहाँ पार्ट-ऑफ़-स्पीच के शब्द-भेद चाहे पद-भेद के नाँव से जानल जाला। ई शब्द सभ के वाक्य में काम के आधार पर उनहन के प्रकार में बाँटे के तरीका हवे। भोजपुरी व्याकरण के किताबन में अंग्रेजिये के आधार पर संज्ञा (नाँव), सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, अव्यय (क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक) वगैरह में बाँटल जाला जे वाया हिंदी आइल हवे। हिंदी में शब्दन के ई आठ गो कटेगरी में वर्गीकरण अंग्रेजी के अनुकरण से आइल हवे।[1]
भारतीय व्याकरण परंपरा, जे संस्कृत से निकलल हवे, में मूल शब्द सभ के वाक्य में इस्तेमाल के बजाय उनहन में प्रत्यय चाहे उपसर्ग लगावे के बाद बने वाला रूप के पद कहल जाला आ इनहने पद भा रूप सभ के बर्गीकरण मिले ला। जबकि पार्ट-ऑफ़-स्पीच के कांसेप्ट पच्छिमी व्याकरण (वाया अंग्रेजी आइल) के चीज हवे।
आधुनिक भाषाबिज्ञान में इनहन के शब्द वर्ग (वर्ड क्लास) लेक्सिकल क्लास, आ लेक्सिकल कैटेगरी के इस्कीम में बाँटल जाला। ई बर्गीकरण वाक्य में शब्द के काम (फंक्शन) आ वाक्य में काम अनुसार उनहन में रूप बदलाव (फॉर्म चेंज) के आधार पर कइल जाला। एगो अउरी तरीका से इनहन के बँटवारा कइल जाला खुला आ बंद वर्ग में: खुला वर्ग (ओपन क्लास) में संज्ञा, क्रिया आ विशेषण आवे लें जिनहन में नया सदस्य लगातार शामिल होखत रहे लें जबकि बंद वर्ग (क्लोज्ड क्लास) में सर्वनाम आ संबंधवाचक (कंजंक्शन) आवे लें जिनहन में नया सदस्य साइदे कबो जुड़े लें, अगर जुड़बो करें तब।
कई भाषा सभ में विशेषण के कई वर्ग मिले लें जबकि अंग्रेजी में एकही होला। कुछ भाषा सभ में नाँवआधारित क्लासिफायर होखे लें। कई भाषा सभ में विशेषण आ क्रिया-विशेषण के बीचा में बिभेद ना मानल जाला, चाहे विशेषण आ क्रिया के बीचा में बिभेद ना कइल जाला।
एही से शब्द भा पद सभ के ई वर्गीकरण हर भाषा के सोभाव के आधार पर करे के पड़े ला। हालाँकि, हर वर्ग भा कटेगरी के नाँव भा लेबल दिहले के काम युनिवर्सल पैमाना के हिसाब से होखे ला।
इतिहास
[संपादन करीं]भारत में
[संपादन करीं]6वीं भा 5वीं सदी ईसापूर्व में लिखल निरुक्त में यास्क मुनि शब्दन के चार गो प्रकार में बँटले रहलें:[अ]
- नाम – संज्ञा (noun) जेह में विशेषणो शामिल बा
- आख्यात – क्रिया
- उपसर्ग – क्रिया-पूर्व जुड़े वाला, चाहे प्रीफ़िक्स
- निपात – पार्टिकल, अइसन जेकरा में कवनो बदलाव न होखे
एह चार गो भेद सभ के दू गो बड़हन प्रकार में राखल जाला: विकारी (inflectable) (जेह में क्रिया आ संज्ञा वगैरह आवे लें) आ अविकारी (uninflectable) (प्री-वर्ब आ पार्टिकल सभ)।
तमिल भाषा के प्राचीन व्याकरण ग्रंथ तोलकप्पियम, जे दुसरी सदी ईस्वी के रचना मानल जले, तमिल भाषा के शब्दन के चार प्रकार - पेयार ((பெயர்; संज्ञा), विनाई (வினை; क्रिया), इडाई (क्रिया अउरी संज्ञा के बीचा के संबध के मोडिफाई करे वाला), आ उरि (संज्ञा भा क्रिया के अउरियो क्वालीफाई करे वाला) बतावल गइल बाड़ें।[आ]
संदर्भ
[संपादन करीं]बिस्तृत टिप्पणी
[संपादन करीं]छोट फुटनोट
[संपादन करीं]- ↑ शर्मा 2007, p. 132.
स्रोत ग्रंथ
[संपादन करीं]- शर्मा, रामकिशोर (2007). भाषाविज्ञान, हिंदी भाषा और लिपि (हिंदी में). इलाहाबाद: लोकभारती प्रकाशन. ISBN 978-81-8031-176-5. Retrieved 27 मई 2023.
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