अरवल जिला
अरवल जिला | |
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बिहार के जिला | |
![]() अरवल जिला के बिहार में लोकेशन | |
देश | भारत |
राज्य | बिहार |
मंडल | मगध |
मुख्यालय | अरवल |
सरकार | |
• लोकसभा सीट | जहानाबाद |
• बिधान सभा सीट | अरवल आ कुर्था |
रकबा | |
• कुल | 638 किमी2 (246 बर्गमील) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 700,843 |
• जनघनत्व | 1,100/किमी2 (2,800/बर्गमील) |
• शहरी | 51,849 |
जनसंख्या आँकड़ा | |
• साक्षरता | 67.44 प्रतिशत |
• लिंगानुपात | 928 |
प्रमुख हाइवे | NH 98, NH 110 |
वेबसाइट | सरकारी वेबसाइट |
अरवल(कायथी: 𑂃𑂩𑂫𑂪) जिला बिहार राज के एगो जिला हे। ई मगध प्रमंडल के अंतर्गत आवाs हे।कुछ साल पहिले तक़ इ जहानाबाद जिला के भाग हल।इ जिला के सोन नद (सोन पुल्लिंग हे) के वरदान प्राप्त हे।जिला के मुख्य व्यवसाय कृषि हे।यहाँ बहुत ही उर्वर आउ सोन से सिंचित माटी हे।छोटे बडे नहर से सिंचाई के उतम व्यवस्था हे।केयाल के अहरा बिहार राज्य के सबसे बडा अहरा हे।लारी में माता सती माई के मंदिर लंगटा बाबा मंदिर ,पोखवाँ के वागेश्वरी माई, मधुश्रमा मे च्यवन ऋषि आश्रम, देकुड मे बाबा दुधेश्वरनाथ इ जिला के प्रमुख पवित्र स्थल हे।जमीन्दारी उन्मूलन के पहिले इ अरवल जिला के क्षेत्र केयाल राज पण्डुई राज आउ पहाडपुर जमींदारी के भाग हल।इ जिला के पुराना इतिहास बहुत गौरवशाली हे, केयालगढ के नेतृत्व मे यहाँ के लोग औरंगजेब जइसन बर्बर मुगल शासक से सोन के खुला मैदान मे महीनो टक्कर लेलन हल।इ लडाइ बाबा दुधेश्वरनाथ मंदिर के सुरक्षा के ले के शुरू होएल हल, जेकरा औरंगजेब तोड़े के ठान लेलक हल।देकुड मे बाबा दुधेश्वर नाथ के प्राचीन मंदिर हे जेकर अग्रहार के रूप मे गुप्तकाल मे राजा नरसिह वर्मन सूर्यशरमन् नाम के वत्सगोत्री ब्राह्मण के केयालगढ के साथ १२२ गाँव देलन हल।मंदिर के देख-रेख और पाण्डित्य के जिम्मेवारी केयाल के वत्सगोत्री अग्रहार ब्राह्मण के हल।रणपण्डित मयुर भट्ट के भी जन्म स्थान एही जिला के केयाल ही हे जे १२वी सदी मे बेतिया राज के नीव रखलन हल।एही जिला महाकवि बाणभट्ट के रूप मे भारत के एगो महान विद्वान देलक हे।
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