सौर बिसुवत रेखा

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सौर बिसुवत रेखा ओह अक्षांस के कहल जाला जेकरे ऊपर सुरुज के रोशनी सीधा पड़े जब दुपहरिया के बारह बजे। पृथ्वी के झुकाव के कारण ई कर्कमकर रेखा के बीच साल भर में घसकत रहे ला।[1]

सौर बिसुवत रेखा के एह घसकाव के सीधा परिणाम वायुदाब के पेटी आ मौसम सिस्टम सभ में उत्तर-दक्खिन होखे वाला घसकाव हवे। सौर बिसुवत रेखा पर सुरुज के किरन सीधा पड़े के कारण ई जगह ढेर गरम हो जालीं आ इहाँ कम दाब के बेल्ट बने ले, एकरा ओर हवा बह के चहुँपे ले, ऊपर उठे ले आ फिर एक ऊँचाई पर पहुँच के ध्रुव के ओर आगे बढ़े ले आ 20° - 30° अक्षांस के आसपास नीचे उतरे ले। पृथ्वी के वायुमंडल में एह कारण चक्र के रूप में बने वाली एह दू ठो सेल सभ के "हेडली सेल" कहल जाला।[2] सौर बिसुवत रेखा के घसकाव से एह हेडली सेल में भी घसकाव होला आ उष्णकटिबंधीय इलाका सभ में हवा आ मौसम में भी सीजन के हिसाब से बदलाव आवे ला।


संदर्भ[संपादन करीं]

  1. "Climate and Currents". Retrieved 22 मई 2017.
  2. Edward Bryant (28 October 1997). Climate Process and Change. Cambridge University Press. pp. 37–. ISBN 978-0-521-48440-4.