कैलेण्डर चाहे कलेंडर समय की गणना के व्यवस्थित कइला क साधन हवे जेवना में दिन हफ्ता आ साल में बाँट के समय क हिसाब रक्खल जाला।
आजकल अधिकतर देश ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना चुके हैं। किन्तु अब भी कई देश ऐसे हैं जो प्राचीन कैलेंडरों का उपयोग करते हैं। इतिहास में कई देशों नें कैलेंडर बदले। आइए उनके विषय में एक नजर देखें:
समय घटना
3761 ईपू यहूदी कैलेंडर का आरंभ
2637 ईपू मूल चीनी कैलेंडर आरंभ हुआ
56 ईपू विक्रम संवंत आरंभ
45 ईपू रोमन साम्राज्य के द्वारा जूलियन कैलेंडर अपनाया गया
0 इसाई कैलेंडर का आरंभ
6676 ईपू सनातन धर्म(हिन्दू) सर्वप्रथम सप्तऋषि संवंत आरंभ हुआ
597 ब्रिटेन में जूलियन कैलेंडर को अपनाया गया
622 ईपू इस्लामी कैलेंडर की शुरुआत
1582 कैथोलिक देश ग्रेगोरियन कैलेंडर से परिचित हुए
1752 ब्रिटेन और उसके अमेरिका समेत सभी उपनिवेशो में ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया
1873 जापान नें ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया
1949 चीन नें ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया
तिथि कौनों एगो दिन क पहिचान कइले क साधन हवे। दूसरा तरीका से कहल जाय त तिथि कौनो दिन विशेष क नाँव हवे।
भारत में सामान्य रूप से अंग्रेजी ग्रेगेरियन कैलेण्डर आ हिन्दू पंचांग क इस्तेमाल होला। आजकाल ग्रेगेरियन कैलेण्डर पुरा दुनिया में सबसे ढेर इस्तेमाल होला।
कैलेण्डर शब्द क उत्पत्ति लातीन भाषा की calendarium से भइल हवे जेवना का मतलब किताब में लिखल होला; ई पुराना जमाना में हर महीना की पहिला दिन (kalendae) के लिस्ट बनवला खातिर इस्तेमाल होखे।[1]
अंतर्राष्ट्रीय रूप से स्टैण्डर्ड मानल जाए वाला आ पुरा दुनिया में इस्तेमाल होखे वाला कलेंडर हवे। एकर आधार वर्ष ईसा की जन्म के मानल जाला आ ए से पहिले की समय के BC ("Before Christ") या ईसा पूर्व (ईपू) आ बाद की सालन के AD ("Anno Domini") या ईसवी (ई॰) कहल जाला। कुछ लोग ई॰ के "CE" ("Common Era") आ ई॰ पू॰ के "BCE" ("Before Common Era") भी कहेला।
पत्रा चाहे पंचांग से तिथि, वार, नक्षत्र, योग आ करण क हिसाब रक्खल जाला। पाँच चीज क गणना कइले की कारन एके पञ्चांग कहल जाला। हिन्दू पंचांग में शक संवत आ विक्रमी संवत क प्रयोग साल की गिनती खातिर होला।
हिन्दू पंचांग सूर्य आ चंद्रमा दूनो पर आधारित गणना करेला। हिन्दू महीना चंद्रमा की कला पर आधारित होला आ एक पुर्नवासी (पूरणमासी या पूर्णिमा) से आगिला पुर्नवासी ले होला। महीना के दू गो पाख में बाँटल जाला। जवना हिस्सा में चन्द्रमा बढ़त रहे ला (अमवसा से पुर्नवासी ले) ओके अँजोरिया चाहे शुक्लपक्ष कहल जाला। जेवना हिस्सा में चंद्रमा घटे लागे ला (पुर्नवासी कि बाद से अमावसा ले) ओके अन्हरिया या कृष्णपक्ष कहल जाला। एगो पाख 13-15 दिन क होला।
पाख में एक्कम, दुइज, तीज, चउथ, पंचिमी, छठ, सत्तिमी, अष्टिमी, नवमी, दसमी, एकादशी, दुआदसी (द्वादशी), तेरस, चतुर्दशी, आ पुर्नवासी/अमौसा (अमावस्या) तिथि होले। एगो तिथि क समय ओतना होला जेतना देर में चंद्रमा की गति की कारन, चंद्रमा आ सूर्य की बिचा में बारह अंश बीत जाय। चंद्रमा पृथ्वी क चक्कर दीर्घवृत्तीय रास्ता पर लगावेला एही से कबो ई 12 अंश क दूरी जल्दी तय हो जाले आ कबो ढेर समय लागेला आ तिथि छोट-बड़ होत रहेलिन। अमावसा कि अंत आ अँजोरिया की एक्कम क शुरुआत होले जब सूर्य आ चंद्रमा की बिचा में शून्य अंश क कोण बनेला। पुर्नवासी के ई कोण 180 अंश हो जाला मने पृथ्वी सूर्य आ चंद्रमा की बिचा में होले।