कछार
कछार (अंग्रेजी: floodplain चाहे flood plain) नदी के तीरे के नम, निचाई वाला हिस्सा होला जे नदी के कगार से ले के नदी घाटी के सीमा तक ले बिस्तार लिहले होला। आम तौर पर ई नदी में ब्यापक बाढ़ आवे पर पानी में बूड़ जाला; भले हर साल ना बूड़े। एकरा किनारे के खड़ा ढाल वाला बाहरी कगार सभ के ब्लफ़ (bluffs) कहल जाला। कुछ लोग पूरा जलोढ़ मैदान के कछार कह देला[1] जबकि जलोढ़ मैदान के दू हिस्सा होखे लें, पुराना जलोढ़ के बाँगर कहल जाला आ नया जलोढ़ के खादर कहल जाला। कछार के सकेत आ सटीक अरथ में इस्तेमाल एही नया जलोढ़ भा खादर खातिर कइल जाला।
नदी के आम दसा में किनारा भा तीर रिवरबैंक कहाला। ई मंद ढाल वाला भी हो सके ला आ खड़ा ढाल वाला भी। नदी से ठीक सटल अंदरूनी खड़ा ढाल वाला चीज के कगार (अंग्रेजी में क्लिफ़) कहल जाला। क्लिफ़ के बाद प्राकृतिक बंधा (नैचुरल लीवी) पावल जा सके लीं आ इनहन के पार, बंधा आ ब्लफ़ के बीचा में दलदली जमीनी हिस्सा पावल जा सके लें - जिनहन के बैकस्वैंप कहल जाला। कुछ दशा में पातर जलधारा एह लीवी आ ब्लफ़ के बीचा में मूल नदी के समांतर बहत हो सके ले - एकरा के याज़ू नदी भा याजू जलधारा कहल जाला।
नदी अपना कछार में नया जलोढ़ जमा क के उपजाऊ मैदान बनावे ले आ एह जगह पर बिना खाद पानी के खेती होखे ला, जब बाढ़ के सीजन न होखे। इकोलॉजी के हिसाब से भी ई इलाका महत्व के होला आ एह क्षेत्र में बेसी जीवबिबिधता पावल जाले। हाल के समय में मानव हस्तक्षेप के चलते कई जगहन पर नदी के कछार में प्राकृतिक बहाव के बेवस्था (ड्रेनेज सिस्टम) में घातक बेवधान पैदा भइल बाड़ें[2] आ एकरा चलते बाढ़ के समस्या अउरी गम्हीर भइल बा।
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ सेंगर, शैलेन्द्र (2011). भारत ज्ञान कोश (हिंदी में). Atmaram & Sons. ISBN 978-81-89362-17-1.
- ↑ Malviya, Pankaj (7 मई 2021). Ganga aur Bihar: Golden Past to Present (हिंदी में). Notion Press. ISBN 978-1-64983-797-4.
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