1857 के बिद्रोह (Indian Rebellion of 1857) भा 1857 के क्रांति भारत में भइल एक ठो बिद्रोह रहल जे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ़ रहल आ मई 1857 से जुलाई 1859 ले चलल।[2][3][4] ई एक ठो सिपाही बिद्रोह के रूप में शुरू भइल जब ईस्ट इंडिया कंपनी के सेना के सिपाही 10 मई 1857 के, मेरठ छावनी से बिद्रोह के सुरुआत कइलें, आ ई जल्दिये पुरा उत्तर भारत में फइल गइल। बहादुर शाह जफर के भारत के बादशाह घोषित कर दिहल गइल आ अलग-अलग जगह पर अलग लोग एकर नेतृत्व कइल। बिहार आ सटल उत्तर प्रदेश के इलाका में बाबू कुँवर सिंह के नेतृत्व में ई लड़ाई लड़ल गइल।[5] The rebellion posed a considerable threat to East India Company power in that region,[6] and was contained only with the fall of Gwalior on 20 June 1858.[5] एह बिद्रोह के कई ठो नाँव से जानल जाला, जइसे कि भारतीय बिद्रोह(इंडियन म्यूटिनी), भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, 1857 के क्रांति, आ सिपाही बिद्रोह।
↑Prichard, Iltudus Thomas (1869). The Administration of India from 1859-1868: The First Ten Years of Administration Under the Crown. London: Macmillan & Co.
↑Buckland, Charles Edward (1901). Bengal under the lieutenant-governors (v.01): being a narrative of the principal events and public measures during their periods of office, from 1854-1898. Calcutta: S K Lahiri.
↑Bayly 1990, p. 170 harv error: no target: CITEREFBayly1990 (help) Quote: "What distinguished the events of 1857 was their scale and the fact that for a short time they posed a military threat to British dominance in the Ganges Plain."