आरण्य देवी मंदिर, आरा

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आरण्य देवी मंदिर भारत के बिहार राज्य के आरा जिला में स्थित हिन्दू मंदिर बा। भोजपुर जिला के मुख्यालय आरा के नाम एही मंदिर के देवी के नाम पर रखल गइल बा। इहाँ स्थापित देवी के शहर के अधिष्ठात्री मानल जाला आ इहाँ के लोग के आराध्य देवी हई।[1]

श्री आरण्य देवी मंदिर
मां आरण्य देवी
मां आरण्य देवी
मां आरण्य देवी
आरण्य देवी मंदिर, आरा is located in Bihar
आरण्य देवी मंदिर, आरा
बिहार में अवस्थिति
भूगोल
भूगोलीय स्थिति25°34′04″N 84°40′23″E / 25.5678967°N 84.6729917°E / 25.5678967; 84.6729917निर्देशांक: 25°34′04″N 84°40′23″E / 25.5678967°N 84.6729917°E / 25.5678967; 84.6729917
देशभारत
Stateबिहार
जिलाभोजपुर
क्षेत्रआरा
संस्कृति
प्रमुख देवता
  • शिव
  • राम
  • हनुमान
प्रमुख देवीअरण्यानी
उत्सव मूर्ति
  • आदिशक्ति
  • दुर्गा
प्रमुख तिहुआर/उत्सव
  • नवरात्रि
  • दशहरा
  • दीपावली
  • महाशिवरात्रि
  • सावन

सत्ययुग से कलियुग तक मान्यता प्राप्त ई मंदिर देवी भागवत पुराण के अनुसार 108 शक्तिपीठ के साथे सिद्धीपीठ भी बा।[2] मंदिर के भवन बहुत पुरान नइखे बाकिर प्राचीन काल से पूजा के वर्णन बा। संवत 2005 में स्थापित एह मंदिर के बारे में कई गो किंवदंती प्रचलित बा। एकर संबंध महाभारत काल से बा। एकरा के भगवान राम के जनकपुर यात्रा के संदर्भ से भी जुड़ल बा।[3]

वर्तमान में मंदिर भवन के जर्जर हालत के चलते पुरनका के गिरा के एगो नया बहुमंजिला भवन के निर्माण हो रहल बा।[4]

इतिहास और स्थापना[संपादन करीं]

संवत 2005 में स्थापित अरण्य देवी के मंदिर शहर के शीश महल चौक के उत्तर-पूरुब छोर पर स्थित बा। एह देवी के शहर के अध्यक्ष देवता मानल जाला। कहल जाला कि भगवान राम, लक्ष्मण आ महर्षि विश्वामित्र जब धनुष यज्ञ खातिर बक्सर से जनकपुर जात रहले त इहाँ गंगा में नहा के देवी आदिशक्ति के पूजा करत रहले। महर्षि विश्वामित्र भगवान राम आ लक्ष्मण के अरण्य देवी के महिमा के बारे में बतवले रहले। ओकरा बाद उ सोनभद्र नदी पार क गईले।[5]

कहानी इहो बा कि प्राचीन काल में ओह जगह पर खाली आदिशक्ति के मूर्ति रहे। एह मंदिर के चारो ओर जंगल रहे। वनवास के दौरान पांडव लोग अरराह में रहे। पाण्डव लोग आदिशक्ति के पूजा करत रहे। देवी एगो सपना में सबसे बड़ पांडव धर्मराज युधिष्ठिर के संकेत दिहली कि उ अरण्य देवी के मूर्ति स्थापित करस। तब धर्मराज युधिष्ठिर इहाँ माँ आरण्य देवी के प्रतिमा स्थापित कइले। राजा मयूर्ध्वज द्वापर युग में एह जगह पर राज करत रहले। उनके शासन काल में भगवान श्रीकृष्ण पांडु के पुत्र अर्जुन के साथ इहाँ अइले। श्रीकृष्ण राजा के दान के परीक्षण करत राजा से अपना शेर के भोजन खातिर अपना बेटा के दाहिना अंग के मांस मंगले। राजा-रानी जब आरा (लकड़ी फाड़े के औजार) से अपना बेटा के मांस खातिर फाड़े लगले त देवी प्रकट होके ओ लोग के दर्शन देली।[6]

जहाँ एह मंदिर में स्थापित बड़हन मूर्ति के सरस्वती के रूप मानल जाला, छोटकी मूर्ति के महालक्ष्मी के रूप मानल जाला। एह मंदिर में साल 1953 में श्री राम, लक्ष्मण, सीता, भारत, शत्रुघन आ हनुमान जी के अलावा अन्य देवता लोग के मूर्ति के स्थापना भइल।

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. "बिहार: श्रद्धालुओं के लिए खुला आरण्य देवी का मंदिर, कोरोना गाइडलाइंस का रखना होगा खास ख्याल". ABP Live (हिंदी में).{{cite news}}: CS1 maint: unrecognized language (link)
  2. "माता का वो शक्तिपीठ जहां पूरी होती है अधूरी मनोकामना, मत्स्य पुराण में भी स्वरूप का वर्णन". Zee News (हिंदी में).{{cite news}}: CS1 maint: unrecognized language (link)
  3. "VIDEO : यहां 'आरण्य' देवी की पूजा करके भगवान राम ने तोड़ा था धनुष, पढ़ें रोचक मान्यताएं". दैनिक भास्कर (हिंदी में).{{cite news}}: CS1 maint: unrecognized language (link)
  4. "सार्वजनिक प्रदर्शन:108 फीट ऊंचा बनेगा आरण्य देवी का नया मंदिर". दैनिक भास्कर (हिंदी में).{{cite news}}: CS1 maint: unrecognized language (link)
  5. "मां आरण्य देवी मंदिर का अद्भुत है इतिहास, देखें Video:रामायण काल से जुड़ी है कहानी, देवी के नाम पर ही रखा गया शहर का नाम; मन्नत पूरी होने तक घी के बड़े दीये जलाते हैं श्रद्धालु". दैनिक भास्कर (हिंदी में).{{cite news}}: CS1 maint: unrecognized language (link)
  6. "Navratri: यहां के राजा मयूरर्ध्वज के सामने प्रकट हुईं थी देवी". हिन्दुस्तान (हिंदी में).{{cite news}}: CS1 maint: unrecognized language (link)

बाहरी कड़ियां[संपादन करीं]