व्याकरण

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भाषा बिज्ञान में व्याकरण चाहे ग्रामर (अंग्रेजी: Grammar) अइसन संरचनात्मक या ढाँचागत नियम सभ के समूह हवे जे कौनों प्राकृतिक भाषा के तहत वाक्य, वाक्यांश आ शब्द सभ के बनावट के निर्धारित करे लें। एह नियम सभ के अध्ययन करे वाली बिद्या भा ज्ञान के शखवो के व्याकरणे कहल जाला।

प्राकृतिक भाषा के बोले वाला व्यक्ति, खासतौर से अगर ऊ भाषा ओह व्यक्ति के मूल भाषा होखे, एह नियम सभ के बचपने में सीख लेला आ ई कौनों अलग ट्रेनिंग भा शिक्षा से ना सीखल जाला बलुक आसपास के लोग के बोलत सुन के सीखल जाला। बाद में शिक्षा द्वारा सीखल जाए वाली भाषा सभ खाती व्याकरण के ज्यादे नियम धियान पूर्वक ओह भाषा संबंधी निर्देश वगैरह के देख-पढ़ के सीखे के पड़े ला।

व्याकरण शब्द के इस्तेमाल कौनों भाषा के व्याकरण के नियम सभ के बतावे वाली किताबो खातिर हो सके ला। मने कि अइसन किताब जेह में ओह भाषा के संरचना के मूलभूत नियम बतावल गइल होखें ताकि भरम के स्थिति में किताब के संदर्भ लिहल जा सके, जरूरत पड़े पर किताब में नियम देखल जा सके। ज्यादे विवरणात्मक तरीका से लिखल किताब सभ जिनहन में नियम के साथे-साथ बिस्तृत व्याख्या आ नियम के उत्पत्ती वगैरह के भी विवेचना होखे विवरणात्मक व्याकरण (डेस्क्रिप्टिव ग्रामर) कहाला।

भाषा बिज्ञान से बहरें, व्याकरण शब्द के इस्तेमाल शब्द के उच्चारण आ लिखाई, मने कि हिज्जे के बेहवार आ ओह प बिचार, वगैरह के खातिर भी हो सके ला। हालाँकि, भाषा बिज्ञानी लोग एह सभ चीजन के व्याकरण के बिसय ला बलुक फोनोलॉजीऑर्थोग्राफी वगैरह के बिसय माने ला।

शब्दइतिहास[संपादन करीं]

व्याकरण शब्द संस्कृत भाषा के हवे। व्य+आ √कृ से एकर उत्पत्ती बतावल जाला।[1] व्याकरण के अर्थ हवे कौनों शब्द (चाहे वाक्य) के बिच्छेद कऽ के ओकरे आकृति के पूरा ज्ञान करावल।[2] उदाहरण खातिर "पठति", "पाठयति", "पठन" वगैरह में मूल धातु का बा आ कवन प्रत्यय वगैरह लागल बा एकर बिबेचन क के समझावे वाली बिद्या व्याकरण हवे।

व्याकरण के "शब्दानुशासन" भी कहल जाला। पतंजलि अपना महाभाष्य में एकरा के शब्दानुशासन कहलें[नोट 1] आ कैयट शब्दानुशासन के व्याकरण के अन्वर्थ कहे लें।[नोट 2]

एकरा शब्दानुशासन वाला नाँव के व्याख्या में भोजपुरी के वैयाकरण रसिक बिहारी ओझा 'निर्भीक' के कहनाम बा:

व्याकरण के दोसर नाँव शब्दानुशासन ह। ... एकरा में मार्का के शब्द 'अनु' बा। व्याकरण भाषा प शासन ना करे। व्याकरण अपना आज्ञा से शब्द के स्वरूप में परिवर्तन नइखे कर सकत। ओकरा अर्थ में कवनो हेर-फेर नइखे कर सकत। भाषा के गति नइखे बदल सकत। ऊ त अनुशासन भर कर सके ला। ... परम्परा से जवना शब्द के रूप चलल आ रहल बा आ जेकर जवना अर्थ में प्रयोग बा, व्याकरण ओकरे अनुगमन करी। ओकरे पीछे चली। ऊ भाषा के अनुसार चली आ भाषा के गति भंग करे वाला अनाड़ी-अनजान भा बहकल-सहकल लोग के सही राह प ले आई। ईहे एकर अनुशासन बा।

— रसिक बिहारी ओझा 'निर्भीक', "भोजपुरी शब्दानुशासन"[3]

अंग्रेजी के शब्द ग्रामर (grammar) पुरानी ग्रीक भाषा के γραμματικὴ τέχνη (ग्रामाटिके टेक्ने) से आइल बतावल जाला, जेकर मतलब हवे "अक्षर सभ के कला" "art of letters", ई खुद γράμμα (ग्रामा), "अक्षर" से आइल हवे जे γράφειν (ग्राफेन), "लिखल, चित्रांकन कइल" से निकलल हवे।[4]

इतिहास[संपादन करीं]

शब्द आ भाषा सभ के नियम के व्यवस्थित ज्ञान के शुरुआत भारत में लोहा जुग में संस्कृत भाषा में भइल आ सभसे प्राचीन ग्रंथ सभ में यास्क के निरुक्त (ल. 6वीं सदी ईपू) आ पाणिनि के अष्टाध्यायी (ल. 6वीं-5वीं सदी ईपू[5]) उपलब्ध बाने; हालाँकि, इहो लोग अपना से पहिले के निरुक्तकार आ वैयाकरण लोग के नाँव गिनवले बा बाकी ओह लोग के रचना अब उपलब्ध ना बाटे। एकरे बाद पिंगल (200 ईपू) आ कात्यायन आ पतंजलि (2सदी ईसवी) के एह ग्रंथन पर लिखल भाष्य उपलब्ध बाने। दक्खिन भारत में तमिल भाषा के सभसे सुरुआती व्याकरण तोलकप्पियम के उत्पत्तीकाल लगभग पाँचवी सदी ईसवी के बतावल जाला। कुछ सुरुआती ज्ञान बेबिलोनिया के लोगन के भी व्याकरण के बारे में रहल ऊ लोग भाषा संबंधी कुछ बिबरन दिहल।[6]

पच्छिमी जगत में ज्ञान के शाखा के रूप में ग्रामर के बिकास हेलेनिस्टिक सभ्यता के समय के बतावल जाला आ राइनस (Rhyanus) अउरी एरिस्टार्कस (Aristarchus) नियर बिद्वान लोग के एकर श्रेय दिहल जाला जे लगभग तीसरी सदी ईसा पूर्ब में भइल रहे लोग। व्याकरण के सभसे पुरान मालुम किताब आर्ट ऑफ ग्रामर भा व्याकरण के कला (Τέχνη Γραμματική) बाटे, ई साफ-साफ आ कारगर तरीका से बोले आ लिखे के संक्षिप्त गाइड हवे, ई प्राचीन यूनानी बिद्वान डायोनिसियस थ्रैक्स (Dionysius Thrax) (ल. 170–ल. 90 ई.पू) के लिखल हवे जे समोथ्रेस के एरिस्टार्कस के चेला रहलें जे ग्रीक द्वीप रोड्स पर एगो स्कूल के स्थापना कइले रहलें। डायोनिसियस थ्रैक्स के व्याकरण के किताब बारहवीं सदी ईसवी तक ले ग्रीक स्कूली लड़िकन खातिर प्राथमिक व्याकरण के पाठ्यपुस्तक रहल। रोमन लोग आपन व्याकरणिक लेखन एकरा पर आधारित कइल आ एकर मूल प्रारूप आजुओ कई भाषा सभ में व्याकरण मार्गदर्शक के आधार बनल बा।[7] लैटिन व्याकरण के बिकास पहिली सदी ईसा पूर्व के ग्रीक मॉडल के आधार बना के भइल, ई ऑर्बिलस प्युपिलस, रेमियस पैलेमोन, मार्कस वैलेरियस प्रोबस, वेरियस फ्लैकस, आ एमिलियस एस्पर नियर लेखक लोग के काम के चलते बिकसित भइल।

आधुनिक यूरोपियन भाषा सभ में, आयरिश भाषा के व्याकरण के उत्पत्ति 7वीं सदी में Auraicept na n-Éces से भइल। अरबी व्याकरण के उदय 7वीं सदी में अबू अल-असवाद अल-दुअली के साथ भइल। हिब्रू व्याकरण पर पहिला ग्रंथ उच्च मध्यकाल में आइल, मिश्नाह (हिब्रू बाइबिल के व्याख्या) के संदर्भ में। कराई परंपरा के उत्पत्ति अब्बासी बगदाद से भइल। डिकदुक (10वीं सदी) हिब्रू बाइबिल के सभसे सुरुआती व्याकरणिक कमेंटरी सभ में से एक हवे।[8] इब्न बरुन 12वीं सदी में, इस्लामी व्याकरणिक परंपरा में हिब्रू भाषा के तुलना अरबी से कइलें।[9]

सात गो उदार कला सभ में गिनल जाए वाला सामान्य ज्ञान से संबंधित, व्याकरण के पढ़ाई पूरा मध्यकाल के दौरान एगो मूल बिसय के रूप में भइल, ई प्राचीन काल (लेट एंटीक्विटी) के लेखक लोग, जइसे कि प्रिसियन के परभाव के बाद भइल। उच्च मध्यकाल में लोकभाषा वर्नाक्यूलर) सभ के अइसन अध्ययन धीरे-धीरे शुरू भइल, पहिला व्याकरणिक ग्रंथ नियर अलग-थलग रचना सभ के साथ, बाकी ई खाली पुनर्जागरण आ बैरोक काल में परभावशाली बन पवलस। 1486 में, एंटोनियो डी नेब्रिजा लास इंट्रोडक्शन्स लैटिनास कॉन्ट्रापुएस्टो एल रोमांस अल लैटिन, आ पहिला स्पेनिश व्याकरण, ग्रामाटिका डे ला लेंगुआ कैस्टेलाना, 1492 में प्रकाशित कइलें। 16वीं सदी के इटैलियन पुनर्जागरण के दौरान, क्वेश्चन डेला लिंगुआ इटैलियन भाषा के स्थिती आ आदर्श रूप पर चर्चा करे वाला ग्रंथ रहल, जेकर सुरुआत दांते के डी वल्गेरी एलोक्वेंसिया (पिएट्रो बेम्बो, प्रोज डेला वोल्गर लिंग्वा वेनिस 1525) द्वारा कइल गइल। स्लोवेनियाई के पहिला व्याकरण 1583 में एडम बोहोरिच द्वारा लिखल गइल।

अंग्रेजी भाषा के ग्रामर के सुरुआत सोरहवीं सदी में भइल। 1586 में छपल विलियम बुलोकर के पैंफलेट ऑफ़ इंग्लिश ग्रामर अंग्रेजी ग्रामर के पहिली लिखित रचना मानल जाला।

इहो देखल जाय[संपादन करीं]

नोट[संपादन करीं]

  1. अथ शब्दानुशासनम् महाभाष्य के शुरुआती वाक्य हवे।
  2. अन्वर्थं चेदं व्याकरणस्य नाम, कैयट।

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. संस्कृत-इंग्लिश डिक्शनरी. मोनियर विलियम्स.प. 1035
  2. भारतीय भाषा विज्ञान. किशोरीदास वाजपेयी. वाणी प्रकाशन. दिल्ली. प. 10
  3. ओझा 'निर्भीक', रसिक बिहारी (1975). "आपन कथ". भोजपुरी श्बदानुशसन (1 ed.). जमशेदपुर: जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद. p. 5.
  4. Harper, Douglas. "Grammar". Online Etymological Dictionary. Retrieved 8 अप्रैल 2010.
  5. Ashtadhyayi, Work by Panini. Encyclopædia Britannica. 2013. Archived from the original on 5 August 2017. Retrieved 23 October 2017. Ashtadhyayi, Sanskrit Aṣṭādhyāyī ("Eight Chapters"), Sanskrit treatise on grammar written in the 6th to 5th century BCE by the Indian grammarian Panini.
  6. McGregor, William B. (2015). Linguistics: An Introduction (2nd ed.). Bloomsbury Academic. pp. 15–16. ISBN 978-0-567-58352-9.
  7. Casson, Lionel (2001). Libraries in the Ancient World. New Haven, Connecticut: Yale University Press. p. 45. ISBN 978-0-300-09721-4. Archived from the original on 24 August 2021. Retrieved 11 November 2020.
  8. G. Khan, J. B. Noah, The Early Karaite Tradition of Hebrew Grammatical Thought (2000)
  9. Pinchas Wechter, Ibn Barūn's Arabic Works on Hebrew Grammar and Lexicography (1964)

बाहरी कड़ी[संपादन करीं]