मधुबनी पेंटिंग
मिथिला पेंटिंग, जवने के मधुबनी पेंटिंग के रूप में भी जानल जाला, नेपाल की मिथिला राज्य में और भारत की बिहार राज्य में भी प्रचलित बा। एमें चित्रकारी ऊँगली, टहनी ब्रश, निब-कलम और माचिस की तील्ली की इस्तेमाल की साथ और पिगमेंट और प्राकृतिक रंगन की उपयोग से कइल जाला और एकर आँखी के आकर्षित करे वाला ज्यामितीय पैटर्न एकर ख़ास विशेषण ह। एमें अलग - अलग अवसरन खातिर विशेष सामग्री होला, जैसे की जन्म या विवाह और त्योहार जैसे की होली, सूर्य शस्टी, काली पूजा, उपानयनम, दुर्गा पूजा वगैरह।मिथिला क्षेत्र जहाँ से नांव मिथिला आर्ट मिलल बा ओकरी बारे में इ मानल जाला की उ राजा जनक की राज्य क राजधानी रहे जवन की अब जनकपुर नेपाल में बा।[1]
इतिहास
[संपादन करीं]मानल जाला की इ चित्र राजा जनक राम-सीता की विवाह की दौरान महिला कलाकारन से बनववले रह न। पहिले त खाली ऊंची जाति क औरतन के (जैसे ब्राह्मण) के ही इ कला बनवले क इजाजत रहे लेकिन वक्त की साथ इ बंधन भी खत्म हो गइल। आज मिथिलांचल की कई गांव क औरत ए कला में दक्ष बाड़ी स। अपनी असली रूप में त इ पेंटिंग गांवन की मिट्टी से लीपल झोपड़न में देखे के मिले, लेकिन अब इ कपड़ा या फिर पेपर की कैनवासो पर खूब बनेला।[2] मूल रूप से सब चित्रन में सांकेतिक कमल के पौधे, बांस ग्रोव, मछली आ पक्षी और सांपन क सांकेतिक चित्र देखावल गइल बा। इ चित्रन में प्रजनन और जीवन का प्रसारो देखावल गइल बा।.[3]
विधियाँ
[संपादन करीं]एमें चटख रंगन क इस्तेमाल खूब कइलजाला। जैसे गहरा लाल रंग, हरा, नीला और काला। कुछ हल्लुक रंग से भी चित्र में निखार ले आवल जाला, जैसे- पीला, गुलाबी और नींबू रंग। ए रंगन के घरेलू समान से ही बनावल जाला, जैसे- हल्दी, केला क पत्ता, लाल रंग खातिर पीपर क छाल क प्रयोग होला। मधुबनी पेंटिंग में ज्यादातर पुरुष और प्रकृति की साथ ओ लोगन क जुड़ाव और प्राचीन महाकाव्यन क दृश्य एवं देवता लोगन के दर्शावल गइल बा। प्राकृतिक वस्तु जइसे की सूर्य, चंद्रमा और धार्मिक पौधा जैसे की तुलसी वगैरह क चित्रण भी व्यापक रूप से देखे के मिलेला, साथ में शाही अदालत क दृश्य और शादी जइसन सामाजिक घटनाओं क चित्रण भी देखे के मिलेला। आम तौर पर कौनो जगह खाली नाहीं छोड़ल जाला; खाली जगह में फूलन क चित्र, पशु, पक्षी और यहां तक कि ज्यामितीय डिजाइन द्वारा भर दिहल जाला। परंपरागत रूप से, पेंटिंग एगो ऐसन कौशल ह जवन मिथिला क्षेत्र की परिवारन में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के पारित कइल गइल रहे मुख्य रूप से औरतन द्वारा। एकर पूरा मिथिला क्षेत्र में फैलल संस्थानन में अबो अभ्यास कइल जाला और ए तरे एके जिंदा रखल जाला। दरभंगा, मधुबनी में वैदेही और रंति में ग्राम विकास परिषद मधुबनी क प्रमुख केंद्रन में से कुछ हवं स जवन की ए प्राचीन कला के जिंदा रखले बान स।
समय के साथ मधुबनी चित्र के बनवले की पीछे क मायना भी बदल चुकल बा, लेकिन इ कला अपने आप में एतना कुछ समेटले बा कि इ आज भी कला की कद्रदानन की चुनिन्दा पसंद में से एगो ह।
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ "Mithila or Madhubani Panting from Madhubani,Nepal where was originated". Archived from the original on जुलाई 27, 2014.
- ↑ Krupa, Lakshmi (4 जनवरी 2013). "Madhubani walls". दि हिंदू. Retrieved 5 फरवरी 2014.
- ↑ "Know India: Madhubani Painting". India.gov.in. Retrieved 2013-09-21.
बाहरी कड़ी
[संपादन करीं]विकिमीडिया कॉमंस पर संबंधित मीडिया Madhubani painting पर मौजूद बा। |
- In conversation with Indian Express, the Madhubani Artist Vidushini shares her views on preserving traditional art forms including Mithila Paitings. Archived 2016-05-02 at the Wayback Machine
- Official Website of artist Bharti Dayal Archived 2018-06-12 at the Wayback Machine
- Indian Ministry of Culture featuring Gauri Mishra Archived 2016-03-04 at the Wayback Machine
- The official website of Gauri Mishra 'Maaji of Madhubani' Archived 2018-04-01 at the Wayback Machine
- Mithila Paintings'