हिंदू–अरबी अंक सिस्टम

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हिंदू-अरबी अंक सिस्टम चाहे इंडो-अरबी अंक सिस्टम (जेकरा के हिंदू अंक सिस्टम चाहे अरबी अंक सिस्टम कहल जाला) पोजीशन आधारित दशमलव अंक सिस्टम हवे। ई संख्या भा गिनती सभ के शब्द में (चीन्हा द्वारा) देखलावे के सभसे बेसी चलनसार तरीका हवे।

एह सिस्टम के आबिस्कार पहिली से चउथी सदी के बीचा में भारतीय गणितज्ञ लोगन द्वारा कइल गइल। आगे चल के 9वीं सदी के आसपास ई सिस्टम अरब जगत में आ अरबी गणित में स्वीकार भइल। एकर परचार-प्रसार ईरानी (फ़ारस के) गणितज्ञ अल-ख़्वारिज़्मीअल-किंदी के रचना सभ द्वारा भइल। एह सिस्टम के परसार मध्यकाल के यूरोप में हाई मिडिल एज में भइल।

ई तरीका दस ठे (मूल रूप से नौ) चीन्हा (ग्लिफ़) सभ पर आधारित ह। ई चीन्हा सभ जे एह सिस्टम में संख्या के देखावे खातिर इस्तेमाल होखे लें, अपने आप में एह सिस्टम से आजाद तरीका से बिकसित भइल हवें। ई चीन्हा सभ ब्राह्मी लिखाई से निकसल हवें आ मध्यकाल से ले के अबले कई किसिम के टाइपोग्राफिक रूप सभ में बिभाजित हो के बिकसित भइल हवें।

एह चीन्हा सभ के तीन ठे मुख्य परिवारन में बाँटल जाला: पच्छिमी अरबी न्यूमेरल जे ग्रेटर मगरिब आ यूरोप में इस्तेमाल होखे लें; पूरबी अरबी न्यूमेरल जे मध्य पूरुब (मिडिल ईस्ट) में इस्तेमाल होखे लें; आ भारतीय अंक जे भारतीय उपमहादीप के बिबिध लिखाई सिस्टम सभ में इस्तमाल होखे लें।