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हठयोग

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Manuscript painting of a yogin in meditation, showing the chakras and the three main nāḍīs (channels) of the subtle body. A small serpent, representing the Kundalini, climbs from the base of the central nāḍī.

हठयोग प्राचीन भारतीय परंपरा के चीज योग क एगो शाखा ह जे शरीर के गतिबिधि सभ पर आधारित टेक्नीक सभ के इस्तेमाल से शरीर के जीवनी शक्ति भा ऊर्जा के सहेजे आ ऊपर उठावे के कोसिस करे ला। संस्कृत के 'हठ' शब्द जबरी के अर्थ में आ योग मूल योग वाला शब्द के जोड़ से बनल ह। कुछ हठयोग सभ के टेक्नीक सभ के बिबरन मिले के स्थिति के पहिली सदी ईस्वी तक पाछे जा के खोजल जा सके ला। सभसे पुरान ग्रंथ जेह में हठ योग क बिबरन प्रस्तुत कइल गइल होखे ऊ 11वीं सदी के बौद्ध तांत्रिक ग्रंथ अमृतसिद्धि हवे। सभसे पुरान ग्रंथ जे हठ शब्द के इस्तेमाल एह अरथ में करत होखें ऊहो बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा के हवें। हिंदू ग्रंथ सभ में हठयोग के बिबरन 11वीं सदी के बाद से मिले लें। हठयोग प्रदीपिका 15वीं सदी के रचना ह जे एह बिधा के एगो प्रमुख ग्रंथ ह आ गोरखनाथ के चेला स्वात्माराम के रचना हवे।

इहो देखल जाय[संपादन करीं]