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मेघा

विकिपीडिया से
(मेंघुची से अनुप्रेषित)
बिबिध किसिम के मेघा-मेंघुचा
मेघा सभ के बिस्व-बितरण बिस्तार।

मेघा (अंग्रेजी: frog, उच्चारण: फ्रॉग; हिंदी: मेंढक), जेकरा के बेंग चाहे मेंघुचा कहल जाला, एक किसिम के छोटहन साइज के जंतु होलें जे किरौना-फतिंगा खालें, चार टांग वाला होलें, आ पानी आ जमीन दुनों जगह रह सके लें। बैज्ञानिक बर्गीकरण में इनहन के एम्फिबियन सभ के अन्यूरा कुल में रखल जाला। एम्फिबियन के मतलब अइसन जंतु होला जे पानीजमीन दुनों पर रहे वाला होखे, अन्यूरा के उत्पत्ति पुरान यूनानी भाषा से हवे जेकर मतलब होला बिना पोंछ वाला। अगर पृथिवी के बहुत ठंढा बर्फीला ध्रुवीय इलाका आ एकदम सूखा रेगिस्तानी इलाका सभ के छोड़ दिहल जाय, मेघा सभ लगभग पूरा दुनियाँ में पावल जालें, उष्णकटिबंधी क्षेत्र से ले के उपआर्कटिक इलाका सभ तक ले इनहन के बिबिध प्रजाति रहें लीं बाकी सभसे बेसी किसिम के प्रजाति उष्णकटिबंधी बरखाबन में पावल जालीं। मेघा सभ के प्रजाति में बहुत बिबिधता मिले ले आ एम्फिबियन प्रजाति सभ के लगभग 88 % हिस्सा मेघे के प्रजाति बाड़ीं। सूखल चमड़ी वाला आ मस्सेदार प्रजाति सभ के मेंघुचा सभ के अंग्रेजी में टोड समूह में रखल जाला हालाँकि, फ्रॉग आ टोड के अंतर कौनों बैज्ञानिक अंतर ना हवे।

आम मेघा सभ के शरीर फुल्लल थुलथुल नाइ के आकृति के होला आ मुँह कुछ नोकीला होखे ला, आँख कुछ बहरें की ओर उभार लिहले होलीं, जीभि मुँह के भीतर के अंदरूनी हिस्सा से अटैच होले, चार गो टांग मुड़ के शरीर के नीचे दबाइल रहे लीं आ इनहन के पोंछ ना होखे ला। मेंघुचा सभ के रंग इनहन के प्रजाति के ऊपर निर्भर करे ला आ ई भूअर, पियराहूँ, मटियाहूँ, मटमइल हरियर रंग के हो सके लें जे आसानी से अपना आसपास के जमीन आ घास-पात में देखलाई ना पड़ें; एकरे अलावा ई चमकीला चटक रंग वाला भी हो सके लें। कुछ प्रजाति सभ में सीजन के हिसाब से रंग के बदलाव देखल जाला। मेघा सभ के कई प्रजाति सभ के चमड़ी में पैराटॉइड ग्लैंड होखे लीं जेकरा से बिसइला रस सरवते ला, खास क के जब ई खतरा से आपन बचाव चाहत होखें।

बड़ एडल्ट मेघा सभ पानी में चाहे जमीन पर रहे लें। कुछ प्रजाति जमीन के भीतर चाहे फेड़ पर रहे वाला होखे लीं। ई आपन अंडा पानी में देलें आ अंडा से लार्वा निकले लें जिनहन के टेडपोल कहल जाला। टेडपोल सभ पानी में रहे आ साँस लेवे में सक्षम होखे लें आ इनहन के पोंछ होखे ला। बड़ होख्ले पर इनहन के पोंछ खतम हो जाला आ पानी में साँस लेवे में मददगार दरार (गिल) बंद हो जाला। बाकी जिनगी ई बिना पोंछ आ गिल्स के रहे ले। एह तरीका से मेघा के जिनगी में शरीर में एक बेर ई भारी बदलाव (मेटामार्फोसिस) होखे ले। आम मेघा सभ मांसाहारी होखे लें आ किरौना-फतिंगा खालें। प्रकृति में ई खुद कई किसिम के शिकारी जंतु सभ के भोजन बने लें। इनहन के चमड़ी पर बहुत किसिम के माइक्रोब (महीन जंतु) सभ निवास करे लें जे खुद इनहनो के जिनगी खातिर महत्व वाला चीज होखे ला।

मेघा सभ कई देसन में मनुष्य द्वारा खाइल जालें चाहे इनहन के शरीर के कौनों हिस्सा से खाए वाला चीज बनावल जाला। साहित्य, संस्कृति आ धरम सभ में इनहन के कई रूप में जिकिर मिले ला। प्रकृति में ई पर्यावरण के खतरा सभ के सूचक के रूप में काम करे लें। 1950 के बाद से इनहन के प्रजाति सभ में कमी आइल देखल गइल बा आ इनहन के बहुत सारा प्रजाति आजकाल खतरा में बाटे। अइसन अनुमान बाटे कि 1980 के दशक के बाद से अब ले मेघा सभ के लगभग 120 प्रजाति बिलुप्त हो चुकल बाड़ीं।