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बटोहिया

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बटोहिया 
by रघुवीर नारायण
Original title𑂥𑂗𑂷𑂯𑂱𑂨𑂰
Written1911
First published inराघुवीर पत्र पुष्प
Languageभोजपुरी

बटोहिया (𑂥𑂗𑂷𑂯𑂱𑂨𑂰) चाहे सुंदर सुभूमी रघुवीर नारायण के लिखल एगो भोजपुरी पूरबी गीत बाटे।[1][2]हेकरा 1911 मे लिखल गइल रहे आ ई बहुत परसिद्ध भइल। 1920 मे जार्ज ग्रियर्सन एह गीत के रेकार्ड कइले रहन।[2] ढेर लोग हेकरा भोजपुरी के "वंदे मातरम्" कहेला।[3] ई गीत पहिलका बेरा राघुवीर पत्र पुष्प नांव के किताब मे छपल रहे।[4]

एह गीत एगो गिरमिटिया मजुर एगो बटोही के भारत दिया बतावत बा, आ भारत के मने पारऽता।[5]

बटोहिया सबद के मूल सबद बांट हटे जेकरा प्रयाय बा राहअंग्रेजी मे हेकरा वे चाहे पाथ कहल जाला। जे बांट प चलेला सेके बटोहि कहल जाला आ ई भोजपुरी के इया प्रत्यय से लाग के बटोहिया बनि जाला।[6]

पहिलका दु अंतरा नीचे दिहले बा:

कैथी देवनागरी[7] IAST transliteration[8]

𑂮𑂳𑂁𑂠𑂩 𑂮𑂳𑂦𑂳𑂧𑂱 𑂦𑂆𑂨𑂰 𑂦𑂰𑂩𑂞 𑂍𑂵 𑂠𑂵𑂮𑂫𑂰 𑂮𑂵

𑂧𑂷𑂩𑂵 𑂣𑂹𑂩𑂰𑂢 𑂥𑂮𑂵 𑂯𑂱𑂧 𑂎𑂷𑂯 𑂩𑂵 𑂥𑂗𑂷𑂯𑂱𑂨𑂰

𑂉𑂍 𑂠𑂹𑂫𑂰𑂱𑂩 𑂐𑂵𑂩𑂵 𑂩𑂰𑂧𑂰 𑂯𑂱𑂧 𑂍𑂷𑂞𑂫𑂪𑂫𑂰 𑂮𑂵

𑂞𑂲𑂢 𑂠𑂹𑂫𑂰𑂱𑂩 𑂮𑂱𑂁𑂡𑂳 𑂐𑂯𑂩𑂰𑂫𑂵 𑂩𑂵 𑂥𑂗𑂷𑂯𑂱𑂨𑂰

𑂔𑂰𑂈 𑂔𑂰𑂈 𑂦𑂆𑂨𑂰 𑂥𑂗𑂷𑂯𑂲 𑂯𑂱𑂢𑂹𑂠 𑂠𑂵𑂎𑂱 𑂄𑂈

𑂔𑂯𑂫𑂰𑂀 𑂍𑂳𑂯𑂳𑂍𑂲 𑂍𑂷𑂆𑂪𑂲 𑂏𑂰𑂫𑂵 𑂩𑂵 𑂥𑂗𑂷𑂯𑂱𑂨𑂰

𑂣𑂫𑂢 𑂮𑂳𑂏𑂁𑂡 𑂧𑂁𑂠 𑂃𑂏𑂩 𑂒𑂁𑂠𑂢𑂫𑂰 𑂮𑂵

𑂍𑂧𑂰𑂢𑂲 𑂥𑂱𑂩𑂯 𑂩𑂰𑂏 𑂏𑂰𑂫𑂵 𑂩𑂵 𑂥𑂗𑂷𑂯𑂱𑂨𑂰

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से

मोरे प्राण बसे हिम-खोह रे बटोहिया

एक द्वार घेरे रामा हिम-कोतवलवा से

तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया

जाऊ-जाऊ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ

जहवां कुहुकी कोइली गावे रे बटोहिया

पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से

कामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया

suṃdar subhumi bhaiyā bhārat ke deswā se
more prān base him khoh re baṭohiyā
eka dwāra ghere rāmā him kotwalwā se
tīn dwāra sindhu ghaharāwe re baṭohiyā
mātaram
vande mātaram

jau jau bhaiya baṭohī hiṃd dekhi aau
jahawā kuhukī koilī gāwe re baṭohīyā
pawana sugaṃdh maṃd agara caṃdanawā se
kāminī biraha rāg gāwe re baṭohiya

(Bhojpuri)
  1. Sinha, Bindeshwari P. (1976). Comprehensive History of Bihar. Kashi Prasad Jayaswal Research Institute.
  2. 2.0 2.1 Indian Diaspora: Socio-Cultural and Religious Worlds. BRILL. 2015. ISBN 978-9004288065.
  3. Chhavi aur Chhap.
  4. Singh, Durga Shankar Prasad. Bhojpuri ke kavi aur Kavya. Patna.
  5. Kumar, Ashutosh. "ANTI-INDENTURE BHOJPURI FOLK SONGS AND POEMS FROM NORTH INDIA". Man in India. 93 (4): 509–519.
  6. Pant, S.K. (2005). Social Sector in India: Changing Paradigms in Uttar Pradesh. Rawat Publications. ISBN 8170339650.
  7. Vikas Ka Vishwas. Prabhat Prakashan. 2012. ISBN 978-9380823355.
  8. Kumar, Pratap (2015). Indian Diaspora: Socio-Cultural and Religious Worlds. BRILL. ISBN 978-9004288065.