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प्रयाग कुंभ मेला

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Prayag Kumbh Mela
2013 Maha Kumbh Mela
इस्थितिActive
किसिमFair
केतना बेरEvery 12 years
जगहTriveni Sangam
लोकेशनPrayagraj, Uttar Pradesh
अक्षांस-देशांतर25°25′52″N 81°53′06″E / 25.431°N 81.885°E / 25.431; 81.885निर्देशांक: 25°25′52″N 81°53′06″E / 25.431°N 81.885°E / 25.431; 81.885
देसIndia
पछिला2019 (Ardh Kumbha Mela)
अगिला2025 (Purn Kumbha / Maha Kumbh Mela)
भागीदारAkharas, pilgrims and merchants
बजटअनु॰ 4,200 crores[प्रमाण देईं]
एक्टिविटीRituals
आयोजकPrayag Mela Authority
स्पांसरEast India Company until 1857; British Raj until 1947; thereafter Government of India.
वेबसाइटkumbh.gov.in
2025 Prayag Kumbh Mela

प्रयाग कुंभ मेला, जेकरा के इलाहाबाद कुंभ मेला के नाम से भी जानल जाला, एगो मेला बा, जे हिंदू धर्म से जुड़ल बा आ भारत के इलाहाबाद (प्रयागराज) नगर में त्रिवेणी संगम पर लागे ला। त्रिवेणी संगम ओह जगह के कहल जाला, जहवाँ गंगा, जमुना आ मिथकीय सरस्वती नदी मिलेला। ई त्योहार मुख्य रूप से पानी में डुबकी लगा के नहान के धार्मिक अनुष्ठान खातिर प्रसिद्ध बा, बाकिर ई एकरा संगे समुदायिक व्यापार, विभिन्न मेला, संत लोग के धार्मिक प्रवचन, गरीब आ साधु-संतन के सामूहिक भोजन आ मनोरंजन के कार्यक्रमन के भी समावेश करे ला।

2019 में करीब 50 मिलियन आ 2013 के महाकुंभ मेला में लगभग 30 मिलियन लोगन के भीड़ इहां के गंगा नदी में पवित्र स्नान खातिर जुटल रहली। ई दुनियाके सबसे बड़का शांतिपूर्ण भीड़भाड़ वाला आयोजनन में गिनल जाला।

ई मेला चार गो मेला में से एक बा, जे परंपरागत रूप से कुंभ मेला के रूप में मानल जालें। एगो सालाना मेला, जेकरा के माघ मेला कहल जाला, प्राचीन काल से प्रयाग के त्रिवेणी संगम पर आयोजित होत आ रहल बा (कम से कम शुरुआती शताब्दी CE से)। ई स्थल, एकर पवित्रता, स्नान यात्रा आ वार्षिक त्योहार के वर्णन प्राचीन पुराण आ महाकाव्य महाभारत में मिलेला। ई त्योहार बाद के युग के ग्रंथन में भी मिलेला, जइसे मुगल साम्राज्य के मुस्लिम इतिहासकार लोगन के लिखल किताबन में।

हालाँकि, ई स्रोत "कुंभ मेला" शब्द के प्रयाग (इलाहाबाद) के स्नान पर्व खातिर इस्तेमाल ना करेलन। इलाहाबाद में कुंभ मेला के पहिला उल्लेख औपनिवेशिक युग के दस्तावेजन में 19वीं सदी के मध्य के बाद ही मिलेला। मानल जाला कि प्रयाग के लोकल ब्राह्मण (प्रयागवाल) लोगन ई समय के आसपास 6 साल के कुंभ, 12 साल के चक्र में महाकुंभ मेला आ वार्षिक माघ मेला के परंपरा अपनवलें। तब से हर 12 साल में माघ मेला महाकुंभ मेला बन जाला, आ 6 साल के बाद कुंभ मेला या अर्धकुंभ (आधा कुंभ, जेकरा भोजपुरी में कुंभी'ओ कहल जाला) मेला कहल जाला।

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