धरमन देवी
धरमन देवी चाहे धरमन बाई 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के एगो विराङना आ कुंवर सिंह के भार्या रहली। उ अंग्रेजन के सङे जुद्ध में कुंवर सिंह के महत्वपूर्ण सहयक आउर कुशल रणनीतिकारीओ रहली। अंग्रेजन से जुद्ध के बेरीया उ हरेक क्षण कुंवर सिंह के सङे रहली। उत्तर प्रदेश के कल्पी के लगे ब्रिटिश सेना के सङे भईल लड़ाई के बेरीया धरमन देवी वीर कारनामा अरजली। बतावल जाला के कुंवर सिंह के गोदी में उ आपन अन्तिम सांस लेहली। धरमन देवी तोप चलावे तक जानत रहली। इनकरा सङे रहत कुंवर सिंह तारातर केतनहे जुध्द जीतले। धरमन देवी कुंवर सिंह के शक्ति रहली।
प्रारंभिक जिनगी
[संपादन करीं]उ गया जिला के देव राज जागीर के एगो धनी जमीन्दार राजा फतेह नारायण सिंह के बेटी रहली। लडकाईये से नृत्य के सवख रहे।
अंतिम जुध्द
[संपादन करीं]कुंवर सिंह समेत केहु के उनुकर सैन्य क्षमता के जानकारी ना रहे। धरमन देवी के सैन्य रूप तब सामने आईल जब उ कल्पी के लड़ाई में कुंवर सिंह के सेना हार के कगार प खड़ा हो गईल।ओह दिन धरमन देवी तोपची के रूप में सामने से मोर्चा ले लिहले आ दाहिना ओर से अपना सरदारन के घेरा कसे के आज्ञा दिहली। एक बेर कुंवर सिंह के सेना भागे वाला रहे के धरमन देवी तोप से अतना हल्ला मचवले कि अंग्रेजन के मनोबल गिर गईल अउरी अंत में गोरा सेना भाग गईल। कुंवर सिंह के युद्ध में विजय श्री जरूर मिलल, बाकिर ओकरा खातिर बहुत महंगा कीमत चुकावे के पड़ल। युद्ध में धरमन देवी खराब तरह से घायल हो गइली। बाबू साहेब के सिपाही जल्दी-जल्दी उनुका के अपना संरक्षण में लेके ठीक करे के कोशिश कईले, लेकिन धरमन देवी ना मनली। जब बाबू कुंवर सिंह अपना युद्ध हाथी से उतर के धरमन देवी के माथा गोदी में ले लिहले, उनकर उदास चेहरा देख के धर्मन मंद मंद बोलली। हमनी के हारल नैखीसन। एकरा बाद धरमन देवी अपना कमर से खंजर निकाल के माथ से लगाके कुंवर सिंह के देवत कहली, "जाँचलीं, देखली। फेन तनी हसत रहली "तनी ई बताई खंजर के पानी कहु कम त नैखे भइल कहु एकर आग कम त नैखे भईल। इहो बताईं कि राउर छाती के मोल चुकाता भईल के ना। ई कहला के बाद समय के प्रवाह में रूप, कला आ शौर्य के त्रिमूर्ति गायब हो गईल।