दुर्गा सप्तशती

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देवी अंबिका, आठो मातृका लोगन के रक्तबीज के खिलाफ जुद्ध में अगुआई करत। (ऊपर, बाएँ से) नारसिंही, वैष्णवी, कौमारी, माहेश्वरी, ब्राह्मी (नीचे के लाइन में, बाएँ से) वाराही, इंद्राणी, आ चामुंडा भा काली। देवी माहत्म्य के एगो चित्रण।

दुर्गा सप्तशती चाहे देवी माहात्म्य एगो हिंदू ग्रंथ हवे जेह में देवी दुर्गा के आराधना आ राक्षसन प उनुके बिजय के कथा बर्णित बाटे। ई 700 श्लोक वाला कबिता के रूप में लिखल रचना हवे जे मारकंडे पुराण के हिस्सा हवे। मुख्य रूप से एह में महिषासुर राक्षस पर देवी दुर्गा के बिजय के बर्णन कइल गइल हवे।

एकर चलनसार नाँव दुर्गा सप्तशती एकरा 700 श्लोक वाला होखे के चलते हवे। "सप्तशती" संस्कृत के शब्द हव जे के मतलब सात सौ (श्लोक) वाली रचना होला। ई पूरा रचना कुल 13 अध्याय में बाँटल बाटे आ एकरे अलावे आगे-पाछे अउरियो स्तुति, मंत्र, स्तोत्र आ बिधि-बिधान क बिबरन ग्रंथ में जोड़ल गइल बाड़ें।

हिंदू धर्म माने वाला लोगन के बीचा में आमतौर पर आ हिंदू धर्म के शाक्त शाखा के लोगन के बीचा में बिसेस रूप से एह ग्रंथ के महत्व हवे। एकर कुछ हिस्सा आम पूजापाठ के हिस्सा हवे जबकि नवरातर (नवरात्र) में एकर बिसेस रूप से पाठ कइल जाला, जेकरा "दुर्गा पाठ" के नाँव से जानल जाला। बिबिध तांत्रिक अनुष्ठान सभ में एह ग्रंथ के बिसेस अंश सब के पाठ कइल जाला।

संदर्भ[संपादन करीं]

बाहरी कड़ी[संपादन करीं]