Jump to content

कोविड-19 महामारी

विकिपीडिया से
कोविड-19 महामारी
हर 10 लाख आबादी पर कन्फर्म हो चुकल मौत
22 अप्रैल 2021 तक ले।
बेमारीकोविड-19 (कोरोनावायरस रोग 2019)
वायरसSARS-CoV-2
लोकेशनदुनियाभर में
पहिला बिस्फोटवूहान, हूबे, चीन
30°35′14″N 114°17′17″E / 30.58722°N 114.28806°E / 30.58722; 114.28806
तारीख1 दिसंबर 2019 – अबतक
(4 साल, 11 महीना आ 13 दिन)

कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic) चाहे कोविड महामारी अउरी चलनसार भासा में कोरोना बेमारी, एगो अइसन महामारी बाटे जे कोविड-19 (COVID-19) बेमारी के अचानक भइल बिस्फोट के चलते फइलल बाटे आ ई दिसंबर 2019 से अभिन ले सक्रिय बाटे। सार्स कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) के कारन होखे वाली[1] एह बेमारी के सुरुआत चीन देस के हूबेइ प्रांत के वुहान से भइल जहाँ दिसंबर 2019 में अइसन केस सोझा आइल। तेज फइलाव के चलते एकरा के बिस्व स्वास्थ संगठन (WHO) 11 मार्च 2020 के महामारी घोषित कइ दिहलस।[2] 4 मई 2021 तक ले के आँकड़ा के मोताबिक अबतक ले एह बेमारी के चपेट में 15 करोड़ से बेसी लोग आ चुकल बा आ 32 लाख से बेसी लोगन के जान जा चुकल बाटे।

कोविड-19 के लच्छन बिबिध किसिम के बाने; आम छींक-खोंखी आ जर-बोखार, निमोनिया से ले के जानलेवा समस्या पैदा होखे तक ले एह लच्छन सभ के बिस्तार बा। एक बेकति से दुसरे ले एह बेमारी के पहुँचे के सभसे मुख्य तरीका बहुत नगीचे से बेमार बेकती के संपर्क में आइल बाटे। बेमार ब्यक्ति के साँस लेवे, छींके-खोंखे चाहे बोले-बतियावे के घरी नाक मुँह से निकले वाली महीन बुनकी सभ जे हवा में जाके के दुसरे ब्यक्ति ले पहुँच सके लीं एकरे बिस्तार के कारण बन रहल बाड़ी। दुसरा तरीका हवा द्वारा रोग के फइलाव (एयरबोर्न तरीका) बाटे जे ह में बंद कमरा भा सकेत जगह में बेमार ब्यक्ति से निकले वाला महीन बुनकी सभ देरी ले हवा में फइलल रह सकत बाड़ीं आ दुसरे ब्यक्ति के बेमार क सकत बाड़ीं। तिसरा, बाकी बहुत कम शंका वाला तरीका बाटे, अइसन सतह के छुए भा ओकरे संपर्क में आवे से जहाँ एह वाइरस के मौजूदगी होखे। जे ब्यक्ति एह बेमारी के चपेट में आ गइल बा ऊ अगिला 20 दिनन ले दुसरे के बेमारी पहुँचा सके ला भले ओकरे खुद के अंदर कवनों लच्छन न होखे।

एह महामारी से बचाव आ एकरे रोकथाम के सुझावल गइल तरीका सभ में सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग), भीड़ में भा पब्लिक में रहले पर चेहरा पर मास्क पहिरल, वेंटीलेशन आ हवा के फिल्टर करे के सुबिधा के बेहतर राखल, हाथ धोवल, खाँसत आ छींकत घरी मुँह-नाक के तोप के राखल, आसपास के छुए लायक सतह सभ के डिसइन्फेक्ट कइल आ जेकरा लोग के ई बेमारी हो गइल बा उनहन लोगन के निगरानी आ उनसे दूरी बना के रहल शामिल बा। कई गो टीका अब तइयार हो गइल बाड़ें बाकी बहुत सारा देसन में अभिन टीका के उपलब्धता मजिगर नइखे। वर्तमान में एह बेमारी के होख्ले पर लच्छन के हिसाब से इलाज हो रहल बाटे। हालाँकि, एहू पर तेजी से काम चल रहल बा कि एह बेमारी के इलाज खातिर कौनों बिसेस दवाई खोजल जा सके। बचाव के उपाय में दुनियाँ भर के सरकार सभ कई किसिम के तरीका अपनवले बाड़ी स। आवाजाही पर रोक, लाकडाउन/क्वारंटाइन, कई किसिम के कामकाज, इस्कूल कालेज आ संस्थान सभ के बंद कइल एह में प्रमुख उपाय बाड़ें। बहुत जगह टेस्टिंग के कैपसिटी बढ़ावे आ बेसी मरीजन के इलाज करे खातिर सुबिधा सभ के बिस्तार कइल गइल बा।

महामारी के चलते पूरा बिस्व भर में सामाजिक आ आर्थिक बाधा पैदा भइल बाटे। पुराना समय में आइल महान मंदी (ग्रेट डिप्रेसन) के बाद से ई पहिली बेर बा कि अतना भारी आर्थिक मंदी पूरा दुनिया में आइल होखे। हड़बड़ी में सामान के खरीददारी के चले बजार में सामान के कमी, खेती किसानी पर भारी बिघटनकारी परभाव, प्रदूषण करे वाला चीज में कमी आ ग्रीनहाउस गैस सभ के निकास में कमी कुछ अन्य परभाव बाड़ें जे एह महामारी में दर्ज कइल गइल बाड़ें। बहुत सारा शिक्षा संस्थान पूरा चाहे कुछ बिद्यार्थिन खातिर बंद बाड़ें। बहुत सारा आयोजन सभ के टार दिहल गइल बा चाहे सस्पेंड क दिहल गइल बा जे एह दौरान होखे वाला रहलें। मीडियासोशल मीडिया में बहुत सारा गलत जानकारी के संचार हो रहल बा। महामारी के चलते कई किसिम के सामाजिक/नृजातीय भेदभाव, आ भूगोलीय भेदभाव देखे के मिलल बाड़ें। स्वास्थ सेवा सभ ले पहुँच पब्लिक हेल्थ के आ निजी अधिकार के बीच टकराहट में भी बहुत सारा बिसमता उजागर भइल बा।

महामारी परिचय

[संपादन करीं]

बैकग्राउंड

[संपादन करीं]

हालाँकि, अभिन ले ई ना पता चल पावल बा कि ई वायरस कहाँ से पैदा भइल, पहिला परकोप के शुरूआत चीन देस के हूबे प्रांत के शहर वुहान से दिसंबर 2019 के अंत में भइल। शुरूआती के सभ के कड़ी हुआनान के समुंद्री भोजन बजार से जोड़ल गइल, बाक़ी इहो संभव बा कि एक आदमी से दुसरे में ई बेमारी के संचार एकरे पहिले से होखत रहल होखे। 11 फरवरी 2020 के बिस्व स्वास्थ संगठन (WHO) एह बेमारी के नाँव "कोविड-19" रखलस जे "कोरोनावायरस बेमारी 2019" के शार्ट फार्म हवे। जवना वायरस से ई बेमारी आ महामारी फइलल बा ओकरा के सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (सार्स-कोव-2) हवे जे एगो नया खोजल गइल वायरस बाटे जे चमगादुर सभ में पावल जाए वाला कोरोनावायरस सभ से, पेंगोलिन सभ के कोरोनावायरस सभ से आ सार्स-कोव वायरस से बहुत नज्दीके से जुड़ल बाड़ें। बैज्ञानिक लोगन के मान्यता इहे बाटे की ई एगो जूनॉटिक वायरस बा जे चमगादुर सभ में प्राकृतिक माहौल में पैदा भइल हवे, हालाँकि सटीक उत्पत्ती-स्रोत आ क्रास-प्रजाति इन्फेक्शन के रूट जाने बूझे खाती अभिन जाँच के जरूरत बाटे। एह सबके बावजूद ऑनलाइन दुनिया में ई मुद्दा कई किसिम के षडयंत्र-थियरी सभ के जनम दिहले बा।

जेह ब्यक्ति में सभसे पहिले-पहिल एह बेमारी के लच्छन देखलाई पड़ल उनुके बारे में ई पता चलल कि ऊ 1 दिसंबर 2019 के बेमार पड़ल रहे, आ एह ब्यक्ति के ओह बाद वाला समुंद्री जानवरन के बजार वाला मरीजन के झुंड से कौनों संपर्क ना रहल। हालाँकि, इहो संभावना बा कि सभसे पहिला केस 17 नवंबर के एगो ब्यक्ति में भइल होखे। मरीजन के जवन शुरुआती झुंड वाला केस रिपोर्ट भइलें उनहन में से दू तिहाई लोगन के कवनों-न-कवनों कनेक्शन ओह बजार से देखल गइल।एह बारे में कई गो थियरी बाड़ी कि कब आ कहवाँ पहिला मरीज (जेकरा के पेशेंट जीरो कहल जा रहल बा) एह बेमारी से ग्रस्त भइल।

देस अनुसार कोविड के केस 20 नवंबर 2022 तक ले के इस्थिति।
  •   10,000,000+
  •   1,000,000–9,999,999
  •   100,000–999,999
  •   10,000–99,999
  •   1,000–9,999
  •   100–999
  •   1–99
  •   0

एह बेमारी के कुल केतना केस आइल एह बात के ऑफिशियल आँकड़ा एह बात पर निर्भर बाटे कि कुल केतना लोगन के टेस्ट भइल आ केतना लोग ऑफिशियल प्रोटोकाल के हिसाब से पाजिटिव अइलें। कई सारा देसन में सुरुआती पालिसी ई रहल कि जेह लोग में बहुत हलुक लच्छन देखलाई पड़ रहल बाड़ें उनहन लोगन के टेस्ट ना होखी। 23 जनवरी के एह बेमारी के सुरुआती फेज के बिस्फोट पर एगो अध्ययन भइल जेह में ई पावल गइल कि 86% इन्फेक्शन ना पकड़ा पावल रहल आ इहे ना पकड़ाइल इन्फेक्शन सभ 79% चिन्हित भइल केस सभ के सोर्स रहलें। कई अउरी अध्ययन में, जिनहन में बिबिध बिधी सभ के इस्तेमाल भइल, ईहे अनुमान लगावल गइल बा कि बहुत सारा देसन में एह बेमारी के इन्फेक्शन वाला लोगन के संख्या ओह संख्या से बहुते बेसी हो सके ला जिनहना लोगन के केस रिपोर्ट भइल।

9 अप्रैल 2020 के, एगो प्राथमिक रिजल्ट में पावल गइल की जर्मनी के गंजेल्ट में, जे इहाँ के एगो प्रमुख केस सभ के झुंड रहल, 15 परसेंट लोग में एंटीबाडी के टेस्ट पाजिटिव आइल। न्यूयार्क शहर में गर्भवती औरतन के एह बेमारी खातिर स्क्रीनिंग (भर्ती होखत समय जाँच, भले कवनों लच्छन न होखे) में, आ नीदरलैंड में खून दान करे वाला लोगन के जाँच में अइसने मिलल कि बहुत सारा लोगन में एंटीबाडी बन चुकल बा जबकि ओह लोगन के केस कबो दर्ज ना भइल काहें से कि लच्छन के अभाव में कबो जाँच भइबे ना कइल। कुछ बाद के अध्ययन में इहो सोझा आइल कि हलुक लच्छन वाला कई लोगन में एंटीबाडी बनले ना रहल, मने की ई लोग एंटीबाडी टेस्ट में भी निगेटिव आ सके ला भले इनहना लोगन के इन्फेक्शन भइल रहल होखे। अइसन अध्ययन सभ के मीडिया आ प्रेस में बहुत जोर-शोर से प्रस्तुत कइल गइल, बिना बैज्ञानिक समूह के समीक्षा (पियर रिव्यू) के।

शुरूआती 2020 में चीन में उमिर आधारित एगो एनालिसिस भइल जेह में पावल गइल की 20 बरिस से कम उमिर वाला लोगन में कम केस आइल। हालाँकि, ई किलियर ना रहे कि एह उमिर के लोगन में एह इन्फेक्शन के खतरा कम बा कि एह लोगन में लच्छन सभ ओतना भरपूर ना रहलें कि जाँच करावे के जरूरत पड़ल होखे। बाद में पाछे मुड़ के देखे नियर एगो अध्ययन में ई पता चलल की लइका-जवान केहू होखे सभ लोग में एह इन्फेक्शन के खतरा ओतने बाटे।

बेसिक रिप्रोडक्शन नंबर (R0) के जनवरी 2020 में एस्टीमेट 1.4 से 2.5 के बीचा में लगावल गइल, बाकी बाद के अध्ययन में ई निष्कर्ष निकसल की ई लगभग 5.7 बाटे। R0 एह बात के बतावे ला कि एक ठो इन्फेक्टेड ब्यक्ति से औसतन केतना अउरी लोग के इन्फेक्शन हो सके ला। हालाँकि R0 जवन बा ऊ इफेक्टिव रिप्रोडक्शन नंबर R से अलगा बूझल जाए के चाहीं जे सोशल डिस्टेंसिंग आ हर्ड इम्यूनिटी के धियान में रख के निकालल जाला। मई 2020 के बीच-बीच ले, इफेक्टिव (प्रभावी) R कई देसन में 1.0 या एकरा ले कम भ गइल रहे जेकर मतलब ई भइल की एह देसन में बेमारी के फइलाव या त थिरा गइल बा (स्टेबल बा) भा कम हो रहल बाटे।

कोविड-19 से होखे वाला आफिशियल मौत के आँकड़ा उहे भर बा जे लोगन के टेस्ट में रिपोट पाजिटिव आइल रहे आ ऊ लोग मर गइल। एह आँकड़ा में अइसन लोगन के संख्या के गिनती ना भइल हो सके ला जे लोगन के मौत हो गइल बाकी कोविड खाती टेस्ट भइबे ना कइल। एकरे उल्टा, अइसनो मौत बाड़ी स जिनहन में मरीज के पहिले से कौनों घातक बेमारी रहल आ ऊ ओही से मुअल बाकी कोविड टेस्ट में पाजिटिव आइल रहल आ ओकरा के कोविड से होखे वाला मौत मान लिहल गइल। कोविड से होखे वाला मौत के ऑफिशियल आँकड़ा सभ के तुलना में वास्तव में एकरा चलते होखे वाला मौत के एस्टीमेट बाद के अध्ययन सभ में बेसी आइल बा; ई अध्ययन आमतौर पर सीजन अनुसार होखे वाला मौत सभ के आँकड़ा आ एह कोविड के दौरान होखे वाला कुल मौत सभ के आँकड़ा के तुलना क के कइल गइल बाटे। मने कि कौनों इलाका में कवनों बिसेस सीजन में केतना लोग पहिले मुअत रहे आ एह कोविड के दौरान केतना लोग मुअल एक तुलना में ई बात सोझा आइल बा कि ई अंतर ओह आँकड़ा से बेसी बाटे जवन की आफिशियल रूप से कोविड के कारण भइल मौत बतावल जा रहल बाटे। एकरा में अइसन केस भी शामिल हो सके ले जे स्वास्थ सेवा सभ पर भारी दबाव के चलते आ बीछ-बीछ के सर्जरी-आपरेशन करे पर रोक के चलते मू गइल लोग। उदाहरण खाती केहू मरीज के कवनों दुसरे बेमारी के कारन भर्ती करावे के जरूरत रहल बाकी कोविड के दबाव के चलते ऊ भर्ती ना हो पावल आ मू गइल, जबकि कोविड ना रहल रहित तब शाइत ऊ भर्ती हो पवले रहित आ बच गइल रहित। कोविड से पहिला मौत वूहान में 9 जनवरी 2020 के कन्फर्म भइल रहे। चीन के बाहर पहिला मौत 1 फरवरी के फिलिपींस में भइल, एशिया से बाहर पहिला मौत अमेरिका में 6 फरवरी के भइल।

95 परसेंट से बेसी लोग जे एह बेमारी के चपेट में आइल रिकभर क लिहल आ नीको हो गइल। नाहीं त, लच्छन देखलाई पड़े सुरू होखे के बाद मौत होखे में औसतन 6 से 41 दिन के समय लागत बा, आ सभसे आमतौर पर 14 दिन के आसपास। 6 मई 2021 ले 32 लाख से बेसी लोगन के कोविड के कारन मौत हो चुकल बाटे। एकरा चलते मौत के सबसे बेसी खतरा ओह लोगन के बा जेकरा पहिले से कौनों रोग होखे, जइसे की इम्यून सिस्टम कमजोर होखे, हार्ट चाहे फेफड़ा के कवनों सीरियस समस्या होखे, भारी मोटापा होखे, या फिन उमिरदराज (65 या एकरा से ऊपर) बेकति होखे।

मौत के दर (मोर्टालिटी) के नापे के कई बिधी इस्तेमाल होखत बाड़ीं। ई गिनती समय आ क्षेत्र के हिसाब से बदल सके ला जेकरे कारन में टेस्टिंग केतना होखत बा, ओह इलाका में स्वास्थ सुबिधा कइसन बाटे, इलाज के बिकल्प का का बाड़ें, सरकार के रिस्पांस कइसन बाटे, उहाँ बेमारी के बिस्फोट के बाद से केतना टाइम बीत चुकल बाटे, आबादी के संरचना (उमिर, लिंगानुपात, आ आम सेहत के दशा) कइसन बाटे एह सभ के परभाव ओह इलाका के मोर्टालिटी के परभावित करत बाड़ें। बेल्जियम नियर देस कोविड के संदेह वाला मरीजन के मौत के भी एही में गिनती करत बाड़ें भले ओह लोगन के टेस्ट ना भइल होखे, जेकरा चलते उहाँ मौत के दर हाई बा जबकि ओह देसन में कम बाटे जहाँ खाली ओही लोगन के मौत के एह कारन भइल मानल जा रहल बा जेकर टेस्ट पाजिटिव आइल रहल होखे।

मौत-आ-केस के रेशियो (अनुपात) निकाले खातिर कोविड से भइल मौत के कुल कोविड चिन्हित केस सभ से भाग दे के निकालल जाला, एह में समय के एगो सीमा निश्चित रहे ला। जॉन हॉपकिंस युनिवर्सिटी के आँकड़ा के मोताबिक, बिस्व भर में मौत-आ-केस रेशियो (death-to-case ratio) 2.1 परसेंट (3,237,808 मौत, कुल 154,788,122 केस सभ में) बाटे अगर 6 मई 2021 तक ले के आँकड़ा देखल जाय।

इहो देखल जाय

[संपादन करीं]
  1. "Coronavirus disease 2019". बिस्व स्वास्थ संगठन. Retrieved 15 मार्च 2020.
  2. "WHO Director-General's opening remarks at the media briefing on COVID-19 – 11 March 2020". बिस्व स्वास्थ संगठन. 11 मार्च 2020. Retrieved 11 मार्च 2020.
  3. 3.0 3.1 3.2 "European Centre for Disease Prevention and Control". Retrieved 2020-12-31.

बाहरी कड़ी

[संपादन करीं]