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विकिपीडिया:भाषा दिसानिर्देस

विकिपीडिया से

विकिपीडिया एगो ज्ञानकोश हवे। ज्ञानकोश होखे के कारन एकर कुछ बिसेसता बा जे एकरा लिखे आ संपादित करत समय इस्तेमाल कइल जाये वाली भाषा के संबंध में धियान में रखे के चाहीं। एह ज्ञानकोश के लिखे खातिर शैली के मूलभूत दिसानिर्देस स्टाइल मैनुअल में दिहल गइल बाड़ें। ई दिसानिर्देस ओही स्टाइल मैनुअल में कुछ अउरी बिस्तार से चीजन के जोड़े ला आ बतावेला कि विकिपीडिया पर इस्तेमाल कइल जाए वाली भाषा कइसन होखे:

क्षेत्रीय बिबिधता

[संपादन करीं]

भोजपुरी के रूप अलग-अलग इलाका में अलग-अलग हो सके ला। एकरा कारन कई बेर आपके अड़बड़ बुझा सके ला कि रवाँ जेवन तरह के भोजपुरी बोली लें ओ से कुछ अलग तरह के बोली में लेख लिखल गइल बा।

उदाहरन खातिर:

  • अंग्रेजी के सहायिका क्रिया इस़ (is) खातिर - बा, बाटे, बाटै, ह, हऽ, हवे, हउवे, हउवै, हउए, हटे वगैरह के प्रयोग इलाका (आ वाक्य के रूप अनुसार भी आ लिखे के हिज्जे भेद से भी) कौनो भी हो सके ला।[नोट 1]
  • आर (are) के अरथ में बाड़ें, बाड़न, बाने, बाटें, हवें, हवन, हउवन, हटें के प्रयोग एक इलाका से दुसरे इलाका में बदल जाला।
  • ऑफ (of) के अरथ में - "राम किताब/राम के किताब"; या फिर "राम के घरे.../राम "की" घरे..." नियर प्रयोग।
  • फॉर (for) - खातिर, बदे, ला नियन इस्तेमाल।
  • क्रिया पद सभ में, लरिका गइल/लड़िका गयल (गइल, गइल, गैल, गयल वगैरह रूप)।
  • जवन, जौन, जेवन, जउवन नियर उच्चारन के भेद।

एकरा से बिस्मित होखे के जरूरत नइखे, अंगरेजी भाषा के भी कई गो रूप बा - ब्रिटिश अंगरेजी, अमेरिकी अंग्रेजी, भारतीय अंग्रेजी, आ आस्ट्रेलियाई अंग्रेजी, वगैरह। अइसन दसा खातिर कुछ सिद्धांत विकिपीडिया पर स्थापित कइल गइल बा जे अंग्रेजी विकिपीडिया पर ब्यापक चर्चा द्वारा स्थापित सिद्धांत हवेंमेटा विकि पर भी इनहन के मान्यता दिहल गइल बा कि अन्य भाषा के विकिपीडिया सभ के एकर पालन करे के चाहीं।

नीचे दिहल जाता जिनहन के अखियान करे के चाहीं:

लेख के अंदर एकरूपता (कंसिस्टेंसी)

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कौनों विकिपीडिया लेख में पहिले से अगर कौनों रूप के इस्तमाल हो रहल बा, तब ओही रूप के जारी रखल जाय। खाली बोली बदले खातिर बदलाव न कइल जाय। एक ठो लेख के अंदर एकही तरह के भाषा के रूप रहे के चाहीं आ एकर बचाव करे के चाहीं कि ई रूप बिगड़े न। एकरूपता से कुछ छूट अपवाद के दसा के रूप में दिहल जा सके ला:

  • हवाला, काम के टाइटिल (किताब या फिलिम के टाइटिल) वगैरह के उनहन के मूल रूप में लिखीं भले ऊ लेख के वर्तमान बोली से मेल न खात होखे। उदाहरण खातिर फिलिम "गंगा मैया तोहें पियरी चढ़ैबो" फिलिम के मूल टाइटिल हवे आ यही रूप में लिखल गइल रहे, एकरा के "गंगा मइया तोहें पियरी चढ़इबों" करे के कोसिस मत करीं (अइसन दूसर रूप से टाइटिल खातिर अनुप्रेषण बनावल जा सके ला, जइसे एह दशा में कइल गइल बा, बाकी कौनो लेख में एह फिलिम के नाँव लिखत समय मूल नाँव प्रयोग करीं)।
  • अगर कौनों कोटेशन जोड़ल जा रहल होखे जे दुसरे किसिम के बोली के रूप में होखे, ओकरा के जइसन के तइसन रखल जाए के चाहीं, भले ऊ लेख के रूप से न मैच करत होखे।

एगो अपबाद के दसा ईहो हो सके ला कि जवना रूप के इस्तेमाल से लेख लिखल गइल बा ऊ आपके अवते न होखे आ आप ओकर बिस्तार कइल चाहत होखीं। अइसना में आप जवन सामग्री जोड़ रहल बानी ओके अपना बोली में लिखीं, बाकी पहिले से लिखलका में बोली के रूप में बदलाव मत करीं। मतलब की भले आगे ओह रूप के ना आवे के कारन अपना वाला रूप में बिस्तार करी, पहिलका वाला के मत बदलीं। बाद में केहू आपके लिखल के संपादित क के लेख में पहिले से स्थापित रूप में बदल सके ला (एह पर आप के आपत्ती ना होखे के चाहीं)।

क्षेत्र के साथ बिसय के मजबूत जुड़ाव

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कौनों लेख बिसेस के कौनों ख़ास भोजपूरी इलाका से बहुत मजबूत जुड़ाव हो सके ला। अइसन दसा में आदर्स रूप से ओह लेख के भाषा के रूप भा बोली ओही इलाका वाली होखे के चाहीं। उदाहरण खातिर आजमगढ़ जिला के कौनों गाँव भा कसबा के बारे में लेख लिखल बा तब ओकरा के भोजपुरी के पछिमही बोली में होखे के चाहीं। अइसन लेख सभ में अगर सरवरिया के इस्तमाल भइल बा तब ओकरा के बदल के पछिमाही बोली में कइल जाये के चाहीं।

बाकी अगर लेख के बिसय के कौनों खास भोजपुरी इलाका के साथ मजबूत जुड़ाव नइखे, तब जवन रूप में लेख पहिले से लिखल बा ओही के आगे बढ़ावल जाय।

अगर आपके कौनों दूसर क्षेत्रीय शैली में लिखल लेख के बिस्तार करे के बा आ ओह क्षेत्रीय बोली के बहुत जानकारी ना बाटे तब आप अपना स्वाभाविक भोजपुरी में आगे लिखीं। पहिले से जेवन चीज लिखल बा ओकरा के खाली बोली भर बदले खाती कॉपी-एडिटिंग मत करीं। अइसन दसा में इहो धियान रखीं कि समय के साथ बाद में राउर लिखल चीज के मूल क्षेत्र वाली बोली के इस्तेमाल करे खाती बदलल जा सके ला। अइसना में रउवाँ के आपत्ति ना होखे के चाहीं काहें से कि आप ओह बोली में ना लिखले रहलीं जेकरा में क्षेत्रीय जुड़ाव के चलते लेख के होखे के चाहत रहल।

भाषा में मौजूद बिबिधता के रक्षा कइल

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देखल जाय: WP:RETAIN

विकिपीडिया आम बोलचाल के भाषा के सभसे ढेर महत्व देले आ एह में मौजूद बिबिधता के पाछे चले ले, न कि इहाँ कौनों भाषा के मानक रूप स्थापित करे के कोसिस कइल जाला। एही कारण, भोजपुरी के बिबिध रूप के बचाव करे के चाहीं आ लेख एक बेर जवना बोली में साकार हो गइल ओकरा के बदले के ना चाहीं (जबले कि कुछ खास दसा में कौनों इलाका बिसेस के साथे बिसय के मजबूत जुड़ाव न होखे, जइसन की ऊपर बतावल जा चुकल बाटे)। मेटा विकि पर साफ कहनाम बा कि लेख के सुरुआती रूप पहिला लेखक तय करे ला आ बाद में बिस्तार करे वाला संपादक के एकर सम्मान करे के चाहीं।

खाली भर, भोजपुरी के एक वेरायटी से दूसरा वेरायटी में बदलल जाए खातिर, कौनों भी लेख में संपादन स्वीकार ना कइल जाई आ एकरा के वापस क दिहल जाई। अइसन सोच के लिखे वाला लोग जे ई जाहिर करत होखे कि उहे सही भा शुद्ध भोजपुरी लिख रहल बा, जबकि ऊ एकरा खाती बस भोजपुरी के क्षेत्रीय बोली के रूप बदल रहल होखे, चेतावल जा सके ला आ ना माने पर अइसन बेहवार के बिघटनकारी मानल जा सके ला।

समुदाय के बेहतर अवसर उपलब्ध करावल

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भोजपुरी बोले, पढ़े वाला समुदाय के आसानी से समझ में आ जाए वाला शब्द सभ के प्रयोग करे के चाहीं। जहाँ तक हो सके, अइसन शब्द के प्रयोग कइल जाय जे हर इलाका के भोजपुरी बोले वाला के सहज रूप से बुझा जाय।

अगर ओही बात के कहे खातिर वाक्य या कौनों अइसन रूप (व्याकरण) या शब्द (पर्यायवाची होखे चाहे भले बिदेसी भाषा के शब्द होखे जे चलनसार हो गइल बाटे) मौजूद बा जे भोजपुरिया इलाका में सभ जगह आसानी से बूझल जा सकत होखे तब अइसने शब्द के प्रयोग कइल जाय न कि कौनों खास सीमित इलाका में बोलल जाए वाला शब्द के।

हमेशा ई धियान रखे के चाहीं कि विकिपीडिया एगो ज्ञानकोश हवे जेकर मुख्य मकसद जादे से जादे लोगन ले जानकारी पहुँचावल बा। इहाँ खाली लेख लिखे खातिर लिखल मकसद नइखे बलुक सभका द्वारा बूझे लायक जानकारी देवे के काम सबसे ऊपर बा। लेखवन में, भोजपुरी के कौनों मानक रूप स्थापित करे खातिर, भा अउरी ठेठ बनावे भर खातिर संपादन स्वीकार नइखे।

देवनागरी लिखाई में लिखल भोजपुरी एह विकिपीडिया के घोषित आ स्थापित भाषा हवे। हालाँकि, देवनागरियो में लिखे में हिज्जे (इस्पेलिंग भा वर्तनी) के कुछ समस्या आ सके लीं, भरम के इस्थिति पैदा हो सके ला आ हिज्जे के अलग-अलग रूप बिबाद के कारन बन सके लें। भोजपुरी भाषा के हिज्जे पर देवनागरी लिपि में लिखल जाए वाली भाषा हिंदी, संस्कृत, नेपाली वगैरह भषवनो के बहुत परभाव पड़ल बाटे आ अंगरेजी आ उर्दूओ नियन भाषा सभ के परभाव पड़ल बा जे इतिहासी रूप से भोजपुरी इलाका के शासन के कामकाज के भाषा रहलीं; आ बहुत सारा कामकाज में अभिन ले एह क्षेत्र में साथे-साथ चलन में बाड़ीं।

यूनीकोड में देवनागरी लिखे खाती बहुत सारा अइसन अक्षर उपलब्ध करा दिहल गइल बाने जिनहन के इस्तेमाल बेसी सटीकता से उच्चारन स्पष्ट करे खाती कइल जा सके ला। यूनीकोड में देवनागरी खातिर निर्धारित कइल अक्षर सभ खातिर देखल जाय: Unicode/Devanagari (देवनागरी) आ Unicode/Devanagari Extended (परिवर्धित/बिस्तारित देवनागरी)।

हालाँकि, तकनीकी रूप से संभव आ बेहवारिक रूप से आम चलन में होखे में अंतर बाटे। बाकी चीजन के तरह से, हिज्जे संबंधी समस्या सभ में भी धियान में रखे के बात बा कि आम दसा में, विकिपीडिया पर हिज्जे के शुद्धता आ एकरा चलते उच्चारन के सटीकता के ऊपर आम चलन आ सहजता बेसी महत्व वाला चीज बाटे। एही से हिज्जे में आम चलन आ सहजता भा लिखे-पढ़े, टाइप करे आ सर्च करे, के बिसेस धियान रखल जाए के चाहीं। हालाँकि, एकही उच्चारन के अगर दू गो हिज्जे ब्यापक आ लगभग बरोबर चलन में बाड़ें, उनहन में सटीक उच्चारन वाला के बीछल जा सके ला।

कुछ आम हिज्जे संबंधी भरमाव वाला चाहे बिबादास्पद चीजन के निवारण एह दिसानिर्देस से कइल गइल बा:

आम देवनागरी वर्णमाला में जेतना स्वर लिखे के सुबिधा उपलब्ध बाटे ओकरे तुलना में भोजपुरी में बेसी स्वर बाड़ें। अ, इ आ उ इहे तीन गो मूल स्वर भोजपुरियो में हवें। इनहन के ह्रस्व, दीर्घ आ प्लुत रूप आ इनहन के आपस में जुड़े से (संयुक्त स्वर) आ उनहनों के प्लुत रूप मिले लें। आम इस्कूली पढ़ाई में लरिकन के इगारह गो स्वर वर्णमाला में सिखावल जालें: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, अउरी औ जे हिंदी खातिर इस्तेमाल होखे लें। संस्कृत में ॠ, ऌ, अउरी ॡ के इस्तेमाल होला जे हिंदी आ भोजपुरी उच्चारन ना कइल जाए के कारन वर्णमाला में ना शामिल कइल जाला, छोड़ दिहल जाला। भोजपुरी में ऋ के उच्चारन भी ना होखे ला बाकी लिखे में बहुत सारा शब्दन के तत्सम रूप देखावे खातिर ई वर्णमाला में शामिल मानल जाई।

अब आवल जाय भोजपुरी के अउरी अधिका स्वर सभ पर। अ के दीर्घ रूप चाहे प्लुत रूप (घींच के उच्चारन वाला) भी होखे ला। साथे-साथ आ, ए अउरी ओ के उच्चारन लघु स्वर (झटका से) भी होखे ला जबकि संस्कृत के हिसाब से ई हमेशा दीर्घ स्वर मानल गइल हवें। एही तरह से कुछ बिदेसी उच्चारन के परभाव से आइल स्वर आ बिदेसी शब्दन के मूल उच्चारन के करीब पहुँचे खाती इस्तेमाल होखे वाला अच्छर भी देवनागरी के बिस्तार क के बनावल गइल बाड़ें। एह दसा में, इनहन के लिखे खाती कुछ दिसानिर्देस एहिजे दिहल बाड़ें:

अ अउरी आ

[संपादन करीं]
  • अ के उच्चारन के दीर्घ (भा प्लुत) देखावे खाती अवग्रह (ऽ) के इस्तेमाल कइल जाला (कुछ लोग एकरा के आधा अ भी कहे ला)। उदाहरण खातिर "ऊ कहाँ गइल रहल?" आ "तू कहाँ गइल रहलऽ?" में रहलरहलऽ (दुसरका पछिमहीं भोजपुरी में अतना गाढ़ हो जाला आ कुछ बदल जाला कि रहला नियन उच्चारन होखे लागे ला) में अंतर बा। अइसन उच्चारन के स्पष्ट करे खाती, बिसेस जरूरत बुझाय तबे लेख के सामग्री में एह अवग्रह चीन्हा (ऽ) के इस्तेमाल कइल जाए के चाहीं। एकर इस्तेमाल लेख के टाइटिल में ना कइल जाए के चाहीं, जहाँ तक संभव होखे।[नोट 2]
  • लेख के पाठ सामग्री में भी भरसक एकरे (ऽ के) बिना लिखल जाए के चाहीं, जबले बिना एकरे प्रयोग के अरथभेद के शंका न होखे एकर प्रयोग ना कइल जाए के चाहीं। कई बेर बेसी ठेठ भोजपुरी देखावे के चक्कर में लोग एकर अइसनो जगह इस्तमाल करे लागे ला जहाँ असल में एकर उच्चारन होखते न होखे, जे धारम-धार गलत बा। जहाँ एकरे इस्तेमाल बिना अरथ के भेद पैदा होखे के शंका होखे बस ओही जे एकर प्रयोग कइल जाय अउरी कतहीं एकर प्रयोग न कइल जाय। जहाँ तनिको बिबाद के संका होखे मत लिखीं।
  • कुछ शब्दन में संयुक्त स्वर के रूप में अ अउरी आ आवे लें, उनहन के बिबरन नीचे के खंड में दिहल गइल बा।

इ अउरी ई

[संपादन करीं]
  • इ आ ई के उच्चारन भोजपुरी में साफ तरीका से अलग-अलग होखे ला। हालाँकि, एहिजा लिखे में साइद सभसे बेसी गलती एही के हिज्जे में देखे के मिले ला। लोग बिना वजह इ के बजाय ई के इस्तमाल करे ला। इनहन के लिखे में बिसेस सावधानी रखे के चाहीं आ सटीकता से इस्तेमाल कइल जाए के चाहीं। आइल, गइल, कइल, भइल सही तरीका हवे न कि आईल, गईल, कईल, भईल; भले इनहन के बाद वाला रूप लोग इस्तेमाल क रहल बा आ इ चलन में बुझा सके ला।
  • दू अक्षर वाला शब्दन में जहाँ पहिला अ स्वर वाला होखे आ अंतिम वाला इ पर खतम हो रहल होखे, ओह दसा में भोजपुरी में, अंतिम वाला इ के उच्चारन दीर्घ हो के ई हो जाला। जइसे संस्कृत के कवि के भोजपुरी में कवी, छवि के छवी, गति के गती।[3] इनहन में धियान देवे के चाहीं कि जहाँ तत्सम लिखे के होखे इकारांत लिखल जाय, जवना के उच्चारण भोजपुरी में ईकारांत रूढ़ हो गइल होखे उहाँ ईकारांत लिखल जाय। बैज्ञानिक शब्दन में तत्सम लिखल ठीक रही। जइसे भौतिक बिज्ञान के गति (स्पीड) के गती न लिखल जाय, भूबिज्ञान के टेक्टॉनिक मूवमेंट के टेक्टॉनिक गति लिखल जाय।

उ अउरी ऊ

[संपादन करीं]
  • भोजपुरी में इनहन के उच्चारन साफ साफ होला आ धियान से अंतर क के लिखल जाए के चाहीं।
  • कुछ जगह, जइसे: "उ का कहलें?" आ "ऊ का कहलें?" में बिबाद हो सके ला। अइसन वाक्यन में मूल उच्चारण लघु हवे जबकि दीर्घ उच्चारन जोर देवे वाला हवे। हालाँकि, दुनों तरीका में से कवनो तरीका से लिखल होखे तब ओकरा के शुद्ध करे खातिर मत बदलल जाय।
  • उ आ ऊ के जगह व पर मात्रा लगा के ना लिखल जाए के चाहीं। उदाहरन खातिर, अउरी के कई बेर अवुरी लिख दिहल जाला। अइसन प्रयोग ना कइल जाए के चाहीं। हालाँकि, एकर एगो एकदम बदलल रूप अवरू भी बा, ई प्रयोग केहू के पहिले के लिखल कोट कइल जा रहल होखे तबे लिखल जाए के चाहीं, नाहीं त ना लिखल जाय। अइसन आमतौर पर संयुक्त स्वर सभ में होखे ला (नीचे देखल जाय)।

दीर्घ स्वरन के लघु उच्चारन

[संपादन करीं]
  • ए अउरी ओ के उच्चारन जहाँ लघु रूप में होखे ला; यूनीकोड देवनागरी में ऎ आ ऒ के इस्तेमाल से इनहना के लिखे के बेवस्था मौजूद बाटे। हालाँकि ई भोजपुरी में लिखल जा रहल आम चलन में बिलकुले ना बाने आ इनहन के इस्तेमाल न लेख के टाइटिल में होखे के चाहीं न सामग्री लिख समय होखे के चाहीं। खाली भर लेख के नाँव के उच्चारन (अगर इनहन के इस्तेमाल से स्पष्ट हो सके) समझावे खाती एक बेर सुरुआत में इनहन के इस्तेमाल कइल जा सके ला।
  • ऐ के लघु उच्चारन देखावे खातिर ॅ के इस्तेमाल संभव बा बाकी ई चलन में ना बाटे। एकरे जगह ऐ आ एकरे मात्रा ै के इस्तेमाल कइल जाए के चाहीं।
  • अे, ऄ, अै (मने कि 'अ' अच्छर लिख के ओहपर ए, ऎ भा ऐ के मात्रा लगावल) के इस्तेमाल कतहीं ना कइल जाए के चाहीं।
  • बिदेसी शब्दन के उच्चारन के सटीकता खाती ऑ, ऍ, अउरी इनहन के मात्रा वाला रूप ॅ, ॉ, के इस्तेमाल लेख के टाइटिल आ सामग्री दुनों में कइल जा सके ला। अगर बिना इनहन के इस्तेमाल वाला रूप भोजपुरी में मजिगर चलन में आ गइल बा तब इनहन के छोड़लो जा सके ला। हालाँकि, बिबाद के दसा में इनहन के प्रयोग क के लिखे के वरीयता दिहल जाए के चाहीं। सीधे ॲ के इस्तेमाल कतहीं ना होखे के चाहीं।
  • एह बिसेस युनिकोड देवनागरी अच्छर के इस्तेमाल के उच्चारन उदाहरण से समझल जा सके ला: अंगरेजी के कलम वाला pen शब्द के पॆन लिखल जा सके ला आ दरद वाला pain पेन लिखल जाई जबकि pan के पॅन लिखल जा सके ला। (कुछ लोग गलती से pen के पॅन भी लिख दे ला, जबकि ई (ॅ) ह्रस्व ऐ खातिर हवे ह्रस्व ए खातिर नाहीं)। इनहन में से पॆन के इस्तेमाल कतहीं ना होखे के चाहीं (सिवाय लेख के नाँव के उच्चारन समझावे खाती एक बेर सुरुआत में के अलावा)। पॅन के इस्तेमाल ओही तरे एक बेर सुरुआत में कइल जा सके ला जबकि लेख में पैन लिखल जाए के चाहीं।
  • ऑ अउरी ॉ के मात्रा के इस्तेमाल बिदेसी शब्दन खाती कइल जा सके ला काहें से कि ई चीन्हा सभ एह खाती मजिगर चलन में आ चुकल बाड़ें। कॉल, मॉल, बॉल, ऑप्शन, लॉग इन, नियर जगह पर ॉ के मात्रा भा ऑ के प्रयोग लेख के सामग्री आ टाइटिल सभ में दुनों जगह उचित बा। ऑस्ट्रेलिया आ आस्ट्रेलिया दुनों रूप चलन में आ गइल बाड़ें जेकरा चलते टाइटिल में ऑस्ट्रेलिया उचित बा जबकि भीतर लेख (दुसरे लेख) में आस्ट्रेलिया के लिखल भी बहुत गलत ना माने के चाहीं। जबकि, फुटबाल नियर शब्द भोजपुरी में बिना एह ॉ के लिखल जालें, इनहन के एही तरीका से लिखल जाए के चाहीं।
  • ॉ के मात्रा सीधे लगावल जाय; जइसे कॉल में का लिख के ओकरे ऊपर ॅ ना लगावल जाय, ऊ काॅल बन जाई जे देखलाई जरूर ओइसने पड़ी बाकी ओह में चार गो कैरेक्टर होखिहें।

संयुक्त स्वर

[संपादन करीं]
  • ऐ के अए अउरी अइ वाला उच्चारन संभव बा। औ के अव/अउ/अउअ वाला उच्चारन वाला उच्चारन संभव बा। संस्कृत व्याकरण के हिसाब से इ संभव होला कि अ+इ एक साथे आवें आ उनहन के संधि कइले बिना लिखल जाय। हालाँकि, भोजपुरी में इनहना के उच्चारन एतना साफ होला कि इनहन के लिखलो जाला।
  • इनहन के कुछ उदाहरन बाड़ें: अए (कैलास के जगह कएलास), अइ (भैया खातिर भइया), अव (शौकीन खातिर सवखीन), अउ (कौवा खातिर कउवा), अउअ (मौत खातिर मउवत/मउअत) वगैरह। (एहू में अय/आय/अव/आव वाला भेद खातिर नीचे बतावल गइल बाटे।)
  • भोजपुरी में लिखे में एह ऊपर बतावल संजुक्त स्वर सभ खातिर सबसे बेसी चलनसार तरीका के चुनल जाए के चाहीं। उदाहरन खाती जौनपुर के जवनपुर भा "जउनपुर" ना लिखल जाए के चाहीं जबकि "जवन बात तोहरा नीक बुझाय" चाहे "जौन बात तोहरा नीक बुझाय" दुनों तरह से लिखल जायज बाटे; ओही जे "कवन बात अइसन बा" के "कौन बात ऐसन बा" ना लिखल जाए के चाहीं। एकरे खाती 'मार-कुटौवल' ठीक ना बा 'मार-कुटउवल' सही रही। तत्सम शब्दवन के जबरियन भोजपुरियावे खातिर इनहन के दुरुपयोग ना कइल जाए के चाहीं।
  • अइ वाला उच्चारन के लिखत समय बिसेस धियान रहे कि एह में ई के कुजगहे इस्तेमाल ना कइल जाय। कइल के कईल, भइया के भईया, अइसन के अईसन, मइल के मईल, सँइयाँ के सईंया भा सँईयाँ - एह तरीका से ई बनावल उचित ना बाटे, इनहन में पहिला वाला रूप (इ के साथ) उचित बाड़ें आ इनहने के प्रयोग होखे के चाहीं।
  • संस्कृत के अयादि संधि वाला दसा में (जइसे इ के बाद अ आवे पर अय हो जाला) के दूसर रूप भी भोजपुरी में देखे के मिले ला जेह में ई बदलाव ना होखे ला आ दुनों स्वरन के अगल-बगल साफ उचारन होखे ला। उदाहरण खातिर पियल/पिअल, नियन/निअन, दियरी/दिअरी, दीया/दीआ, करिया/करिआ, बियाह/बिआह, सतपुतिया/सतपुतिआ वगैरह। इनहन के ब्यापक हिज्जे य वाला मानल जाई आ लेख आ श्रेणी के टाइटिल में इहे चली; लेख के भीतर पाठो में भरसक य वाला के इस्तेमाल कइल जाय। हालाँकि, खाली एकरे खातिर लेख में बदलाव मत कइल जाय।
  • व भा अव वाला शब्दन में उरुआ, भरुआ, अकसरुआ, महुआ नियर शब्दन के व के इस्तेमाल वाला में ना बदलल जाए के चाहीं। हालाँकि, खाली इहे सुधार करे खातिर लेख में संपादन ना कइल जाय।
  • ऊपर बतावल भेद क्रिया पद सभ में क्षेत्र-भेद से भी होखे ला। कयल, आयल, गयल, भयल वगैरह रूप बोलल लिखल जालें। एह क्रिया सभ में इ वाला रूप ब्यापक मानल जाई; हालाँकि, पहिले से लिखल होखे तब अइसन लिखल शब्दन के मत बदलल जाय। भरसक एकही लेख में दुनों किसिम न लिखल जाय। क्षेत्र के साथे मजबूत जुड़ाव वाला (नीचे देखीं) लेखन के भीतर य वाला रूप लिखल जाए के चाहीं।
  • उ अउरी ऊ के बदलाव संस्कृत संधि में अव आ आव में होखे ला। रहुवे, गउवे, अउवे लिखल ठीक बा; इनहन के रहुए, गउए, अउए नियन मत लिखल जाय। अउरी आगे बढ़ के रहुअे, गउअे, अउअे के तरीका से कबो न लिखल जाय। एकरा के श्रुतिमूलक य भा व के प्रयोग के साथे मिला के देखल जाय आ धियान दे के उचित रूप बीछल जाय।
  • कुछ दसा में एयर के एअर, एवरेस्ट के अेवरेस्ट नियर लिखल रूप भी मिल सके लें। ई सावरकरी बारहखड़ी वाला हवें जे मराठी-गुजराती के परभाव में एहिजे आ सके लें। अइसन एहिजे ना लिखे के चाहीं।

ऋ अउरी ऌ

[संपादन करीं]
  • ऋषि, ऋचा नियर संस्कृत शब्दन के टाइटिल आ लेख दुनों जगह इस्तेमाल होखे के चाहीं, रिसी भा रिचा ना, भले भोजपुरिया लोग एकर उचारण रिसी आ रिचा करे। अइसन तत्सम शब्दन के मूल इतिहासी परंपरा के देखावे खातिर उचित बाटे।
  • ॠ, ऌ अउरी ॡ भोजपुरी में तनिको ना चले लें आ इनहना के मात्रा के इस्तेमाल ना होखे के चाहीं, अगर संस्कृते के उद्धरण (कोटेशन) न दिहल जा रहल होखे।
  • एकरे उलटा चलि के, अइसन भोजपुरी शब्द भा उर्दू, अंग्रेजी वगैरह के शब्द जे आमतौर प रि आ री से लिखालें, उनहन के गलती से ऋ वाला मत बना दिहल जाय। रिसियाइल के ऋसियाइल ना करे के चाहीं।


श्रुतिमूलक य भा व

[संपादन करीं]
  • जहाँ कुछ जगह हिंदी के शब्दन में स्वर वाला रूप आ एकरे बिकल्प में य भा व के इस्तमाल होखे ला; इनहन के श्रुतिमूलक य भा व के प्रयोग कहल जाला। जइसे कि आए, गए, हुए, लिए, वगैरह। अइसन सभ में स्वर के प्रयोग के बेसी ब्यापक माने के चाहीं, काहें की ई हिंदी में अइसने तरीका से मानक मानल घोषित कइल गइल बाड़ें।[संदर्भ 1] हालाँकि, इनहने के बदले भर खातिर संपादन करे के जरूरत ना बाटे। जवना शब्दन में ई श्रुतिमूलक बदलाव ना हवें बलुक शब्दवे के मूल हिस्सा हवें ओहिजे य आ व लिखल जाय। जइसे स्थाई ना, स्थायी; अव्ययईभाव ना, अव्ययीभाव; दाइत्व ना, दायित्व।
  • भोजपुरी में अइसन शब्द रहुवे, अउवे, गउवे, लउकुवे वगैरह बाड़ें जिनहन के व पर मात्रा लगा के लिखे वाला रूप ब्यापक मानल जाई।
  • ङ आ ञ में मात्रा लगा के चाहे सीधे इनहन के इस्तेमाल टाइटिल में चाहे सामग्री लिखले में ना कइल जाए के चाहीं। (सिवाय लेख के नाँव के उच्चारन समझावे खाती एक बेर सुरुआत में के अलावा)। बंगाल लिखल जाय न कि बङाल, भले उच्चारन भोजपुरी के बङ्ङाल द्वारा बेसी सटीक होखी। एही तरे कुछ आम अति शुद्धता देखावे वाला लिखाई अङरेजी भा अङ्रेजी लिखल हो सके ला जेकर इस्तेमाल ना करे के चाहीं। रङ के रंग, अङना के अंगना, भाङ के भाँग, कङना के कंगना नियन लिखल जाए के चाहीं। ञ के उदाहरन में काइञा के काइयाँ, भुइञा के भुइयाँ, बढ़िञा के बढ़ियाँ नियन लिखल जाए के चाहीं।[नोट 3]
  • ड़ आ ढ़ के आवाज आ इस्तेमाल भोजपुरी में आम बा आ इनहन के इस्तेमाल सटीकता से कइल जाए के चाहीं। इनहन के जगह ड आ ढ के इस्तेमाल ना होखे के चाहीं।
  • ण के उच्चारन भोजपुरी में न में बदल जाला। हालाँकि, तत्सम शब्दन के इस्तेमाल करे में ण लिखे के चाहीं, जहाँ साफ-साफ तरीका से भोजपुरीकरण हो के न वाला रूप रूढ़ भ गइल बा ओहिजे न के प्रयोग कइल जाय; जबरिया भोजपुरिआवे खातिर ण के न में ना बदलल जाए के चाहीं।
  • कई जगह ड़ के र उच्चारन होखे ला; एकर इस्तेमाल ना होखे के चाहीं। सड़क लिखल जाय सरक नाहीं।
  • ड़ आ ढ़ के तकनीकी रूप से दू तरीका से लिखल संभव बाटे। जइसे सीधे ड़ लिखल चाहे ड+़ लिखल जे ड़ बन जाई। ई दुनों ड़ आ ड़ देखे में एकही नियर लउके लें (हालाँकि इनहन के कहीं टेक्स्ट बॉक्स में पेस्ट क के बैकस्पेस दबा के मेटावल जाय तब अंतर बुझा जाला आ बाद वाला के मेटावे खाती दू बेर ठोकर मारे के पड़े ला)। एह चीज खाती, हमेशा एह विकिपीडिया पर पहिला तरीका वाला अच्छर लिखल जाए के चाहीं, ड चाहे ढ लिख के अलगा से नीचे बिंदी लगावे वाला तरीका ना इस्तेमाल करे के चाहीं।
  • स, श आ ष के उच्चारन भोजपुरी में लगभग एकही नियन होखे ला (ष के कुछ दसा में ख नियन)। इनहन के अदला-बदली से इस्तेमाल कइल जा सके ला। आमतौर पर इनहन के उच्चारन स वाला होला आ कुछ लोग हर जगह स लिखे अइसनो हो सके ला। हालाँकि, अगर एकरा के चैलेंज कइल जाव भा एह पर आपत्ती कइल जाव तब श भा ष के इस्तेमाल करे के पड़ी। कुछ लोग इहो तर्क दे सके ला कि "भाषा" हिंदी-संस्कृत शब्द हवे जबकि भोजपुरी में एकरा के "भासा" लिखल जाए के चाहीं, चाहे "शहर" हिंदी-उर्दू हवे आ "सहर" लिखल जाई तबे भोजपुरी मानल जाई। अइसन तर्क उचित ना बाटे आ ई दिसानिर्देस एह बात के मनाहीं करे ला कि भोजपुरी साबित करे के नाँव पर श आ ष के स में बदलल जाय।
  • य के उच्चारन भोजपुरी में ज नियन भी होखे ला। जेवना शब्द के अइसन उच्चारन भोजपुरी में निर्बिबाद रूप से रूढ़ भ गइल होखे ओही के एह तरीका से लिखल जाय। भोजपुरियावे खातिर जबरी य के जगह ज ना लिखल जाए के चाहीं।
  • व के उच्चारन ब भी होला आ कई बेर ओ भी हो जाला (वकील के ओकील)। एहू खातिर उहे कइल जाय, जेवना शब्द के अइसन बदलल उच्चारण भोजपुरी में निर्बिबाद रूप से रूढ़ हो गइल बा ओही के एह तरीका से लिखल जाय।
  • कहल जाय, लिखल जाय, आइल जाय नियन शब्दन के व वाला रूप ना लिखल जाए के चाहीं। इनहन के कहल जाव, लिखल जाव, आइल जाव के तरीका से मत लिखीं। अगर पहिले के कौनों लिखल चीज के कोट क रहल होखीं तबे ओह कोटेशन में अइसन तरीका से होखे पर एह तरीका से लिखल जाय।
  • ल के उच्चारण कई बेर जदा-कदा र हो जाला। इहो बदलाव जबरिया ना करे के चाहीं आ धियान से करे के चाहीं, काहें कि ई हर जगह ना होखे ला। अगर भोजपुरी में ल के जगह र वाला उच्चारण रूढ़ भ गइल होखे तबे एकरा के अइसे लिखे के चाहीं। एकरा चलते अरथभेदो देखे के मिले ला, जइसे कि: तत्सम शब्द मूल जड़ि भा फंडामेंटल/बेसिक के अरथ में इस्तेमाल होखे ला जबकि मूल नक्षत्र में पैदा भइल बच्चा के मूर में पैदा कहल जाला। एही से मूल, मौलिक, मूलज, मूलभूत नियन शब्दन के मूर, मौरिक, मूरज आ मूरभूत ना लिखल जाए के चाहीं।
  • ष के उच्चारन ख नियन भी होखे ला। एहिजा लिखे में ष के जगह ख के इस्तेमाल ना कइल जाए के चाहीं। "भाषा" के "भाषा" लिखल जाय "भाखा" ना, भले जेकरा के एकर ख वाला उच्चारन करे के होखे ऊ ख पढ़े।
  • संजुक्ताक्षर क्ष के उच्चारन, आ एकरा चलते लिखे में, च्छ के रूप में भी होला आ क्श के रूप में भी। डिक्शनरी लिखल जाय डिक्षनरी ना। जहाँ एकरूपता के जरूरत होखे क्ष लिखल जाय (जइसे कि लेख के टाइटिल में आ श्रेणी के टाइटिल में) जबकि भीतर के पाठ में कुछ हद तक आजादी बा की अक्षर लिखब की अच्छर (केहू आखरो लिख सके ला, ओकरा के गलत मत साबित करीं)।
  • ज्ञ के उच्चारण भोजपुरी के कई तरह से होखे ला। ई गि (यज्ञ के जगि), ग्य (ज्ञानी के ग्यानी) चाहे गिय (ज्ञान के गियान, बिकल्प से गिआन) लिखल जा सके ला। अइसन खाली ओही शब्दन खातिर कइल जाय जिनहन के अइसन रूप भोजपुरी में भरपूर चलन में होखे आ उहे रूढ़ हो गइल होखे। बिबाद के शंका होखे पर ज्ञ के इस्तमाल कइल जाय।
  • श में ऋ के मात्रा लगावे पर 'शृ' बने ला 'श्रि' ना (श+ऋ=शृ) (श+र+इ=श्रि)। हालाँकि, हो सके ला की एह किसिम के शुद्धता के जरूरत भोजपुरी में लिखे में कब्बो ना पड़ी बाकिर संस्कृत के कोटेशन वगैरह लिखे में ई धियान दिहल जाए के चाहीं।
  • ङ्ह, न्ह, म्ह, र्ह (र्+ह), ल्ह के कुछ लोग भोजपुरी में लिखे पर जोर देला आ इनहन के भोजपुरी के वर्णमाला में सामिल करे के वकालत करे ला।[4] उच्चारण देखावे खातिर (लेख के नाँव के उच्चारन समझावे खाती एक बेर सुरुआत में) इनहन के प्रयोग उचित हो सके ला, हालाँकि, ब्यापक इस्तेमाल इनहना के ना हो रहल बा आ एहिजो ना करे के चाहीं। कुछ शब्द अपवाद के रूप में बाने जिनहन के बिना एकरे प्रयोग के लिखल भोजपुरी में एकदमे अड़बड़ बुझा सके ला। उदाहरण खातिर बाँध के बान्ह आ खंभा के खम्हा कुछ दसा में पाठो में एक बेर उच्चारण देखावे भर खातिर लिखल जा सके ला। बाकी मय पाठ में हर जगह एकर इस्तेमाल ना करे के चाहीं।
  • कुछ संयुक्त व्यंजन सभ के कौनों एक रूप निर्धारित ना बाटे। गर्मी/गरमी, बर्फ/बरफ, सर्दी/सरदी वगैरह में बाद वाला तरीका के एहिजे बेहतर मानल जाई।

पंचमाक्षर

[संपादन करीं]

संस्कृत में अं (अनुस्वार) आ आधा अक्षर जोड़े के नियम बा जेकरे अनुसार कुछ दसा में ं के मात्रा के जगह ङ् ञ् ण् न् म् वगैरह लिखल जाला। उदाहरण खातिर गंगा के गङ्गा लिखल शुद्ध मानल जाला; सञ्जीव, कण्ठ, नन्दा, सम्बन्ध वगैरह भी। अइसन संस्कृत वाली शुद्धता खातिर इहाँ कौनों आगरह नइखे बलुक एकरूपता खाती कड़ाई से "अं" आ ं के मात्रा के प्रयोग के नीति बा जबले कि खास जरूरत भा मजबूरी न होखे (मने कि आप आप संस्कृते के कौनों श्लोक के हवाला दे रहल होखीं तब ङ् ञ् ण् न् म् के प्रयोग करीं, बाकी जगह "अं" के यानि ऊपर वाली बिंदी ( ं ) लगा के लिखीं)।

अइसन शब्द सभ के एह विकिपीडिया पर इस्तेमाल में एकरूपता खातिर हर जगह बिंदी ( ं ) के प्रयोग करे के कड़ाई से नीति बा। लेख के टाइटिल में कतहीं पंचमाक्षर वाला तरीका इस्तेमाल ना करे के चाहीं (जबले कि एकरे बिना लिखल संभवे न होखे, नीचे अपबाद देखीं), भले संस्कृते के कौनों शब्द से लेख के नाँव होखे (उदा.: अभिज्ञानशाकुंतलम्, ना कि अभिज्ञानशाकुन्तलम्)। लेख के भीतरों एकरूपता खाती पाठ में कड़ाई से कोसिस होखे के चाहीं कि लिखत समय पंचमाक्षर के इस्तेमाल ना कइल जाय हालाँकि, अगर कहीं से कॉपी-पेस्ट करे आ अनुबाद करे में ई आ जाँय आ छूटल रहि जाँय तब खाली इहे बदलाव भर करे खातिर कौनों लेख में संपादन करे के जरूरत भी नइखे, अइसन शब्द सभ के समय-समय पर बॉट द्वारा बदलल जा सके ला।

अपबाद के दसा
  • जहाँ बिना पंचमाक्षर के लिखल संभव न होखे चाहे जवन प्रयोग एकदम चलन में न होखे। (आमतौर पर ई पंचमाक्षर के बाद दुसरे वर्ग के अक्षर आवे पर होखे ला) उदाहरन सन्मार्ग में न के उच्चारन साफ देखावल जरूरी बा संमार्ग लिख दिहला पर भरम होखी की ई सन्मार्ग खाती लिखल गइल बाटे कि सम्मार्ग खाती। सम्मत भा संमत दुनों लिखल जा सके लें बाकी सनमत (सहमत के अरथ वाला) के संमत ना लिखल जा सके ला। एकरा के सन्मत भी मत लिखीं ई श्वा बिलोपन हो जाई)।
  • पंचमाक्षर के बाद अन्य कौनों वर्ग के अक्षर आवे पर कई बेर इनहन के इस्तेमाल जरूरी हो जाला। जइसे कि चिन्मय, सन्मति वगैरह। हालाँकि संख्या (सम् उपसर्ग हवे संस्कृत में म् के ङ् हो के सङ्ख्या लिखल जाला) वगैरह में आराम से अनुस्वार लिखल जा सके ला आ इहे लिखल जाए के चाहीं।
  • कुछ अइसन दसा हो सके ला जहाँ डबल पंचमाक्षर होखें चाहे पंचमाक्षर आ बिंदी अगल-बगल आवें, जइसे कि संन्यास (सम्+न्यास से बनल), अब एहिजे दुनों पंचमाक्षर सभ के ना त बिंदी से लिखल जा सके ला न पंचमाक्षर के रूप में लिखे के चलन बाटे। एह दसा में संन्यास उचित हिज्जे होखी (सन्न्यास ना), हालाँकि, एकठो पहिला वाला के लोप क के सन्यास लिखल भी चलन में बाटे आ ओहू के बहुत गलत ना माने के चाहीं जबकि संयास लिखल उचित ना होखी।
  • जब खुदे ओही पंचमाक्षर के द्वित्व (डबल) होखे, जइसे: सम्मलेन, अन्न वगैरह में जरूरी होखे पर पंचमाक्षर लिखल जाय।
  • भोजपुरी के कुछ बिसेस ध्वनी जिनहन के संयुक्त व्यंजन कहल जा सके ला, ङ्ह, न्ह, म्ह के दसा में इनहन के दू तरीका से लिखल जाए के चाहीं। ङ्ह के अनुनासिक आ घ के इस्तेमाल से लिखल जाला: सँघी, सँघाती वगैरह। बाकी न्ह, म्ह वालन के पंचमाक्षर से लिखल जाए के चाहीं। अगर अरथभेद न होखत होखे तबे अनुस्वार से लिखल जाय। उदाहरण के रूप में सम्हारल के अगर संहारल लिख दिहल जाय त भारी अंतर आ जाई सँहारल लिखले पर न ऊ उच्चारण होखी न ई शब्दवे चिन्हाई। नन्हकू, नन्ही मुकी, नान्ह खा, वगैरह के पंचमाक्षर के रूप में लिखल जाए के चाहीं।
  • कुछ दसा में, संस्कृत के शब्द जे न् भा म् के साथे खतम होखे लें आ संस्कृते के कौनों किताब, सूक्ति वगैरह के ऊपर लेख बनावल जा रहल होखे (उदा.: अभिज्ञानशाकुंतलम्)। जबकि, अहं, एवं वगैरह में म् के इस्तेमाल चलन में ना बाटे आ ना लिखल जाए के चाहीं। श्रीमान् भा भगवान् नियर शब्दन में पंचमाक्षर के जगह बिंदी मत लिख दिहल जाय। इनहन के अंतिम हल् चीन्हा के हटा के श्रीमान आ भगवान रूप लिखल जाला।
  • कुछ दसा में, ॅ अउरी ॉ के मात्रा के ठीक बाद अनुस्वार के इस्तेमाल अनुनासिक होखे के भरम पैदा क सके ला। अइसन दसा में पंचमाक्षर के इस्तेमाल कइल जा सके ला। अइसना में कॉंसेप्ट लिखले के बजाय कॉन्सेप्ट लिखल जाय। एहू में, उचित पंचमाक्षर बीछे में मूल उच्चारण के धियान रखल जाय, संस्कृत के नियम न लगा दिहल जाय। (नीचे देखीं)
  • कुछ दसा में, बिदेसी शब्दन के उच्चारन संस्कृत के आम पंचमाक्षर नियम के उलंघन वाला हो सके ला। जइसे कि इंटरनेट के उच्चारन इन्टरनेट होला इण्टरनेट ना (भले ई पंचमाक्षर नियम के संगत ना बुझाय कि ट से पहिले न् के उच्चारन के बिधान संस्कृत में ना बाटे); अइसन दसा में अगर उच्चारन अलगा से बिसेस रूप से देखावे के जरूरत होखे, पंचमाक्षर के इस्तेमाल कइल जा सके ला लेख के नाँव के उच्चारन समझावे खाती एक बेर सुरुआत में। या फिर फ़ॉन्ट में न के उचारन हवे आ ऊपर अर्धचंद्र वाला चीन्हा के बाद बिंदी के इस्तेमाल संभव ना बाटे। धियान रहे की एकरा के संस्कृत व्याकरण के हिसाब से फ़ॉण्ट मत लिख दिहल जाय; उचित पंचमाक्षर मूल उच्चारण के हिसाब से बीछल जाय।

श्वा बिलोपन

[संपादन करीं]

देवनागरी में लिखे के समय अच्छर सभ में स्वर जुड़ल मान लिहल जालें। अलगा से देखावे खाती हलंत के चीन्हा जोड़े के पड़े ला। जइसे कलम लिखे में क् + अ + ल् + अ + म् + अ के तरीका से देखावे के पड़ी कि व्यंजन आ स्वर अलगा-अलगा का बाने। एह अपने आप जुड़ल स्वर के श्वा कहल जाला। हालाँकि, उच्चारन के समय कई बेर एकरा के बिलोपित क के उचारण होखे ला। जइसे कि कलम लिखल जाला जबकी उच्चारन कलम् होला, नमकीन लिखल जाला जबकि उच्चारन नम्कीन होला, खुद एह लिखाइये के देवनागरी लिखल जाला जबकि उच्चारन देवनाग्री होखे ला। अइसन दसा में श्वा बिलोपन वाला रूप ना लिखल जाए के चाहीं ई कहि के की हम सही आ सटीक उच्चारन वाला रूप लिख रहल बानी। लिखे में कलम, नमकीन आ देवनगरिये उचित हिज्जे होखी आ एही तरीका से शब्दन के लिखल जाए के चाहीं।

  • श्वाबिलोपन देखावे भर खाती हल् चीन्हा के इस्तेमाल ना होखे के चाहीं। राम लिखीं राम् ना।
  • श्रीमान् चाहे भगवान् नियर शब्दन के भोजपुरी में लिखे में हल् चीन्हा के हटा दिहल जाला आ सीधे श्रीमान आ भगवान लिखल जाला।

डबल अच्छर

[संपादन करीं]

श्वा बिलोपन के ठीक उलटा, कुछ शब्दन में कौनों अच्छर के डबल उच्चारन होखे ला जबकि लिखे में एकही अच्छर के इस्तेमाल होखे ला। जइसे कि लिखे खाती लिखल के लिक्खल, नदी खातिर नद्दी। एह दसा में, सटीक उच्चारन के तर्क दे के नदी के नद्दी नियन ना लिखे के चाहीं।

धियान दीं की कब्बो (हिंदी समकक्ष कभी) अब्बो (अभी) खाली उच्चारन में डबल अच्छर वाला ना हवें बलुक एहिजे भी लुकाइल बा चाहे ओ में बदल के अच्छर पहिले वाला अच्छर के डबल क रहल बाटे। अइसन शब्द कबो/कब्बो, अबो/अब्बो के रूप में लिखल जा सके लें (जइसे हिंदी वाला बेसी जोर देवे खातिर "कभी भी" लिख देवे लें जबकि व्याकरण के हिसाब से कभी में खुदे एगो भी समाइल बाटे) ई जोर देवे वाला दोहराव हवे, अच्छर के उच्चारन वाला दोहराव (डबल) ना ह। एकरा से बचे के चाहीं बाकी ई गलत बा अइसनो ना कहल जा सके ला।

दू गो महाप्राण एक्के साथ आगे-पाछे डबल के रूप नियन ना हो सके लें सिवाय स अच्छर के। पहिले वाला के नरमाए के परे ला। चड्ढा होखी चढ्ढा ना होखी, अद्धा होखी अध्धा ना होखी; हालाँकि, किस्सा बन जाई। कुछ लोग लिखे में गलती से पहिला वाला के जगह दुसरका के नरम क देला आ अध्दा लिख देला, ई उचित ना बा बलुक अद्धा ठीक मानल जाई।

  • पूर्ण बिराम के जगह डॉट (.) के इस्तेमाल ना होखे के चाहीं। एकरे जगह पाइप (|), संबोधन चिन्ह (!) भा स्लैश के प्रयोग ना होखे के चाहीं। (संदर्भ टेम्पलेट सभ के डिस्प्ले के मामिला अलग बाटे, ओह पर ई दिसानिर्देस ना लागू होखी)
  • चंद्रबिंदी आ बिंदी (अनुनासिक आ अनुस्वार) के भेद क के लिखल जाए के चाहीं। हालाँकि, कुछ मात्रा (ए, ऐ, ओ, अउरी औ) सभ के साथे चंद्रबिंदी के इस्तेमाल तकनीकी रूप से भले संभव होखे, पढ़े देखे में अटपट लागे ला आ इस्तेमाल में ना बाटे। जइसे नाहीं लिखल जाय नाहीँ ना। में लिखल जायमेँ ना।
  • कुछ दसा में बिंदी के इस्तेमाल करे पर ई चंद्रबिंदी के भरम पैदा करे ला, जइसे कि ॅ अउरी ॉ के मात्रा के ठीक बाद। अइसन दसा में बिंदी के बजाय पंचमाक्षर के इस्स्तेमाल कइल जा सके ला (ऊपर बतावल गइल बा)।
  • कई बेर चंद्रबिंदी के कवना अक्षर के ऊपर लगावल जाय ई भरमाव के इस्थिति पैदा का सके ला। धुँआ, कुँआ, इत्यादी में। एहिजे उच्चारण के धियान दे के लिखल जाए के चाहीं। भोजपुरी में कुछ आम गलतियो हिंदी के चलते आ गइल बाटे। जइसे गाँव लिखल (जेकरा आदर्श तरीका से गावँ लिखल जाए के चाहीं, सीधा भले न समझ में आवे गावें, गउआँ नियर एकरे अउरी रूप से ई बुझा जाला कि ँ बाद वाला व पर हवे) जेकरा के सुधार के जरूरत ना बाटे जबले कि भोजपुरियो में ई सुधार न हो जाय। खास भोजपुरी के शब्दन में अइँठल, अइँठलोहरि में ई साफ बाटे कि ँ अ पर ना बलुक इ के ऊपर लागी।
  • देवनागरी में छोट रूप भा अधूरा शब्द लिख के ओकरे बाद लाघव चीन्हा के इस्तेमाल होखे ला। हालाँकि, ई बहुत आम इस्तेमाल वाला कैरेक्टर ना हवे आ बहुत लोग के एकरा टाइप करे में आ एह कारन सर्च करे में दिक्कत होखे ला। एही के चलते, एहिजे अतना शुद्धता के जरूरत ना बा आ सब जगह एकरा खाती डॉट (.) के प्रयोग करे के चाहीं; जबले कि कौनों खास उदाहरन एही के इस्तेमाल के ना देखावे के होखे।
  • हलंत के इस्तेमाल बेवजह न कइल जाय, जइसे कि श्वा बिलोपन देखावे खाती एकर इस्तेमाल ना होखे के चाहीं। खास संस्कृत के शब्द में प्रयोग कइल जा सके ला (उदा.: अभिज्ञानशाकुंतलम्)। बिदेसी शब्दवो लिखत समय अर्जेंटम नाइट्रिकम लिखीं अर्जेंटम् नाइट्रिकम् मत लिखीं।
  • विसर्ग के इस्तेमाल संस्कृत आ हिंदी में होखे ला। भोजपुरी के शब्दन से ई गायब बाटे। हालाँकि, संस्कृत आ हिंदी के तत्सम शब्दन के लिखे में एहूजा एकर प्रयोग करे के चाहीं।

अउरी आम चीन्हा सभ खातिर, जे अंगरेजी आ भोजपुरी दुनों में कॉमन बाने, अंगरेजी विकिपीडिया पर MOS:PUNCT देखल जाय।

उर्दू (अरबी, फारसी, तुर्की मूल के शब्द) में अक्सर क, ख, ग, ज, फ नीयन अच्छर सभ के नीचे एक ठो बिंदी लगा के लिखल जाला आ इनहन के ई लिखाई (आ संबंधित उच्चारन) शुद्ध रूप मानल जाला। विकिपीडिया पर अइसन शुद्धता के जरूरत ना बा आ बिना नुकता के लिखे के रिवाज बा (सिवाय लेख के नाँव के उच्चारन समझावे खाती एक बेर सुरुआत में के अलावा)।

बिना नुकता के लिखे के अपवाद बा:

  • अगर नुकता न लगावे से भरम पैदा होखे आ अरथ बदल जाये के संभावना होखे- ज़ंग (मुरचा या Rust, लोहा पर लागे वाला) आ जंग (लड़ाई) में अंतर करे खातिर नुकता के इस्तमाल कइल जा सके ला अगर वाक्य में एकरे इस्तमाल से साफ न होखत होखे।
  • केहू ब्यक्ति या जगह वगैरह के नाँव, चाहे खासतौर पर अरबी, ईरानी, भा मध्यकालीन भारतीय संस्कृति से जुड़ल शब्द सभ में नुकता लगा के लिखल जाए के चाहीं (अगर भोजपुरी में एकर बिना नुकता वाला उच्चारन पहिले से बहुत चलन में न आ गइल होखे)। उदाहरन खाती गाजीपुर, आजमगढ़ आ अफ्रीका भा अफगानिस्तान आ फ्रांस नियर शब्दन में एकर जरूरत ना बाटे जबकि अज़ीज़िया नियर शब्दन में एकर इस्तेमाल कइल जा सके ला। ब्यक्ति लोगन के नाँव में भरसक इस्तेमाल कइल जाए के चाहीं जइसे ग़ालिब आ ज़फ़र, भले भोजपुरिया लोग एकर उच्चारन, गालिब आ जफर करत होखे। बिबाद के दसा में चर्चा क के निर्नय कइल जाव आ पहिले से लिखल चीज में एही के बदले भर खाती संपादन न कइल जाय।

कुछ अंग्रेजी भा अउरी यूरोपीय भाषा के शब्दन के उच्चारन सभ खातिर भी नुक्ता लगावल जाला। फ़ाइल, ऑफ़िस वगैरह। इनहनों में कुछ हिज्जे बिबादास्पदो हो सके लें जइसे अति-शुद्धता देखावे में गुलाब वाला रोज़ (rose) के रोस़ भी लिखल जा सके ला, version के वर्ज़न चाहे वर्श़न लिखल जा सके ला। इनहन के भी जरूरत अनिवार्य रूप से ना बा, जबले कि खास जरूरत न होखे (जइसे कि लेख के नाँव के उच्चारन समझावे खाती एक बेर सुरुआत में) बिना नुकता के लिखल जाय।

इनहनो के लिखे के तरीका ड़ नियन दू गो हो सके ला। जइसे कि ज़ (एक कैरेक्टर) चाहे ज+़ लगा के। दुसरा तरीका ना इस्तेमाल कइल जाए के चाहीं जहाँ तक संभव होखे।

कुछ दसा में उर्दू के ऐन अच्छर (ع) के उच्चारन खाती अ भा आ के नीचे नुकता लगावल जाला आ अ़ चाहे आ़ लिखल जाला। विकिपीडिया पर एकर इस्तेमाल करे के कौनों जरूरत ना बा। एकर उच्चारन श्वा नियर होखे ला आ कई बेर क़ुरआ़न के रूप में सटीकता से उच्चारन देखावे खातिर लिखल जाला। भोजपुरी में सीधे कुरान लिखीं।

य़, ऱ, चाहे ळ, ऴ अउरी ऩ, ॹ, ॺ, ॻ, ॼ, ॾ, ॿ, नियन अच्छर के कौनों इस्तेमाल एहिजा करे के जरूरत ना बाटे (सिवाय अगर बहुत जरूरत बुझाय, लेख के सुरुआत में लेख के नाँव के एक बेर उच्चारन देखावे के)।

भाषा के स्तर

[संपादन करीं]

देखल जाय: WP:AUDIENCE

देखल जाय: WP:TECHNICAL

विकिपीडिया जादे-से-जादे लोगन ले जानकारी पहुँचावे के मकसद से लिखल जाए वाला ज्ञानकोश हवे। एही कारन एकरे भाषा में एह बात के धियान रखल जाए के चाहीं कि आम आ सहज भाषा में जानकारी लिखल जाव। ई कौनों बिसेसग्य लोगन खाती लिखल जाए वाला चीज ना हवे जेह में भारी-भरकम शब्दावली आ टेक्निकल शब्दावली के इस्तेमाल जरूरी होखे। हालाँकि, कई बिसय अपना आप में एतना टेक्नीकल हो सके लें कि उनहन के पढ़े में आ बूझे में आम ब्यक्ति के कठिनाई महसूस होखे। उदाहरन खातिर भौतिक बिज्ञान, रसायन बिज्ञान चाहे मेडिकल साइंस वगैरह के कौनों बहुत आम चलन के कांसेप्ट ना होखे आ कुछे बिसेसग्य लोगन के जानकारी के बिसय होखे, केतनो कोसिस कइल जाय ओकरा के हर आम आदमी के समझावे के शैली में ना लिखल जा सके ला। ई एगो अइसन स्थिति हवे जेकरा से बचल ना जा सके ला।

भाषाई कठिनाई के कारन - कठिन आ तकनीकी शब्दन के इस्तेमाल; भ्रामक, मुहावरेदार भा कठबोली वाली शब्दावली के इस्तेमाल, आ बेसी लमहर वाक्य आ जटिल वाक्य ढाँचा हो सके ला। एह दिसानिर्देस द्वारा सलाह दिहल जा रहल बा कि:

  • बेवजह कठिन भा कम चलनसार शब्द के इस्तेमाल मत करीं।
  • शुद्धता खाती (नीचे देखीं), ठेठ बनावे खातिर (नीचे देखीं) चाहे तकनीकी शब्दावली के हवाला से, बेमतलब कौनों बात के दुरूह मत बनावल जाय।
  • जहाँ मुख्य लेख तकनीकी नाँव से होखे ओहिजहूँ ओकर कड़ी दुसरे लेख में जहाँ तक संभव हो सके पाइप ट्रिक द्वारा आसान आ ब्याख्यात्मक शब्दन में दिहल जा जाए के चाहीं।
  • वाक्य अगर बहुत लमहर आ जटिल हो रहल होखे, ओकरा के तूर के टुकड़ा में बाँट के लिखीं।
  • कई बेर कौनों तकनीकी शब्द के कड़ी भर दे के लिख देवे से बढ़ियाँ होला तुरंते बाद ओह शब्द के संछेप में समझाऊ दिहल जाय। हालाँकि, अइसन हर जगह करे से लेख के बहुत बेसी बिस्तारो ना हो जाए के चाहीं। बैलेंस बना के चलीं।

शुद्धता

[संपादन करीं]

भाषा के शुद्धता आ मानक रूप के ले के बहुत लोग के खास आगरह हो सके ला। धियान दिहल जाव की जानकारी, बेसी से बेसी लोगन ले पहुँचाव विकिपीडिया के बेसिक मकसद हवे, एकरा कीमत पर शुद्धता मेंटेन कइल ना लक्ष्य होखे के चाहीं।

जहाँ तक मानक भाषा चाहे शुद्ध भाषा के सवाल बा, कई बेर अइसन मानक आ शुद्धता के नियम बनावल गइल हो सके लें ले बेहवार आ चलन में होखबे ना करें। कई बेर दुसरे भाषा के नकल भर करे से एह बात के बिसेस आगरह पैदा हो सके ला की हमनियों के भाषा में अइसन शुद्धतावादी नियम होखे के चाहीं; अइसन नकल से एहूजा ओही किसिम के शुद्धता लागू करे के झुकाव देखे में आ सके ला। कई बेर शुद्धता खाली कौनों दूसर भाषा के बिरोध में उपजल हो सके ला। शुद्धता आ मानकता अउरी बेहवार आ चलन के बीचा में हमेशा कुछ न कुछ द्वंद चलत रहे ला। ई द्वंद भाषा के बिकास के प्रक्रिया के रूप में लिहल जाए के चाहीं, न की भाषा के बरते में बाधक तत्व के रूप में। इयाद रखल जाए के चाहीं कि व्याकरण के दूसर नाँव शब्दानुशासन हवे। अनुशासन मने जे पाछे चल के शासन करे, सम्हारे के काम करे।

विकिपीडियो के नीति खुद आगे बढ़ के अगुआई करे वाला ना हवे, न एकरा के एह बात के माध्यम भा जरिया समझे के चाहीं। ई खुद पाछे-पाछे चले वाला चीज हवे। अगर केहू के कौनों भाषाई मानक भा शुद्धता अस्थापित करे के नीयत बा, विकिपीडिया ओकरा खाती सही जगह ना बा। हँऽ, विकिपीडिया के बाहर के लिखल-पढ़ल जाए वाला समुदाय में अइसन कौनों चीज के बेहवार के आगे बढ़ावल जाय आ ऊ नयका बेहवार चलन में अस्थापित हो जाय तब एहूजा ओकर अनुसरन कइल जा सकत बाटे।

  • कुछ दसा में, कई लोग लेख में एह खातिर कॉपी-एडिटिंग क सके ला कि ओह लोग के बुझाय की ऊ भाषा के शुद्ध क रहल बाटे। चाहे भाषा के मानक रूप लागू क रहल बाटे। अइसन दसा में धियान रहे के चाहीं कि कई बेर ई भाषा के क्षेत्रीय रूप के चलते उपजल भरमाव भा कन्फ्यूजन हो सके ला। अइसन दसा में, अड़ियल रवइया ना रखे के चाहीं। एक दुसरे के नीयत अच्छा मान के चले के चाहीं आ चर्चा से समाधान ले पहुँचे के चाहीं।
  • ऊपर बतावल क्षेत्रीयता वाला टोन बदले भर के, शुद्धता आ मानकता स्थापित करे के नीक नीयत मानल जा सके ला, बाकी एकर अति बिघटकारियो रूप ले सके ला, अगर केहू चेतावे पर भी आपन अइसने बेह्वार शुद्धता आ मानकता के नाँव पर जारी रखे। एही से, एह कारन से लेखवन में कॉपी-एडिटिंग सावधानी से करे के चाहीं आ टोकल जाए आ चेतावल जाए पर खुला दिमाग से तर्क समझे-समझावे के कोसिस होखे के चाहीं।
  • कई बेर शुद्धता के आगरह हिज्जे आ व्याकरण के छोट-मोट गलती के हो सके ला। ऊपर बतावल हिज्जे आ क्षेत्रीय रूप के दिसानिर्देस सभ के धियान में रख के अइसन दसा में बेहवार कइल जाए के चाहीं।
  • कई बेर शुद्धता के आगरह तकनीकी शब्दावली के इस्तेमाल के ले के हो सके ला। अइसन दसा में भाषा के सटीकता आ सहजता दुनों में बैलेंस खोजे के कोसिस होखे के चाहीं, न की शुद्धता के सभसे ऊपर मान के बेहवार करे के चाहीं।
  • कुछ दसा में अइसन आगरह भा झुकाव कौनों दूसर भाषा से आइल भा बिदेसी शब्द के इस्तेमाल हटावे के ले के हो सके ला। एहिजा धियान देवे के बात ई बा कि खाली संस्कृत भाषा के मूल के शब्द के इस्तेमाल शुद्ध मान लिहल आ बाकी के अशुद्ध मान के चलल एगो आम भ्रामक धारना हवे। एकरा से बचे के चाहीं। संस्कृत भा नेपाली आ हिंदी नियन भाषा सभ में सुझावल तकनीकी, मानक भा चलनसार शब्दन के ले के उनहन के कुछ उच्चारन बदल के लिखे के कोसिस भर से भोजपुरी में शुद्ध बेहवार होखे लागी भा अइसन बेहवार भोजपुरियो में शुद्धता मानल जाई, अइसन ना सोच के चले के चाहीं।
  • तकनीकी भा बैज्ञानिक शब्दावली खातिर, जइसे कि कंप्यूटर बिज्ञान, भौतिकी, रसायन बिज्ञान, जीवबिज्ञान, इंजीनियरी नियर बिसय सभ के तकनीकी शब्दन में, अगर ओकरा खातिर भोजपुरी शब्द ना चलन में निश्चित होखे, सीधे अंग्रेजी के शब्द के देवनागरी में लिख के इस्तेमाल कइल जाए के चाहीं, अइसन शब्दन में बिना मतलब हिंदी-नेपाली के तकनीकी शब्दावली के आयात कइल आ उनहन के तूर-मिमोर के प्रयोग कइल उचित ना होखी; काहें से की हिंदी वगैरह में खुदे ई शब्द अंग्रेजी के संगत शब्दन खाती गढ़ के बनावल भा असाइन कइल हवें, बीचा में इनहन के ले आवे से नीक बा कि सीधे अंग्रेजिये वाला के देवनागरी में लिख लिहल जाय, जबले भोजपुरी में इनहन खाती कौनों शब्द एसाइन न हो जाय आ चलन में आ जाय (अइसन करे के जिम्मेदारी विकिपीडिया से बाहर के चलन चलावे वाला लोगन के बा, एहिजे एह काम के अगुआई ना होखे के चाहीं)। अइसन अंगरेजी शब्दन के अशुद्ध भा बिदेसी कहि के ना हटावल जाए के चाहीं, न हिंदी-संस्कृत-नेपाली मूल के गैर-चलनसार शब्दन से इनहन के बदले के चाहीं।
  • शुद्धता के नाँव पर, अतिवादी आचरण आ एह दिसानिर्देस के उलंघन बिघटन कारी बेहवार मानल जा सके ला।

ठेठ भोजपुरी से मतलब ई बा की एकरा खातिर हिंदी, अंगरेजी, उर्दू नियर भाषा सभ परभाव से भोजपुरी के बचाव के कोसिस। अइसन उदजोग कुछ शब्दन के हटा के कइल जा सके ला, व्याकरण के कुछ रूपन के बहिष्कार क के कइल जा सके ला, भा एह दुसरे भाषा के मुहावरा आ कठबोली के परभाव के भोजपुरी से बहरें कइ के कइल जा सके ला। दुसरे दसा में अइसन भषवन से आवे वाला शब्दन के अपना उच्चारन के हिसाब से घींच-घांच के लिखे के भी ठेठ बनावल मानल-बूझल जा सके ला; इनहन के लहजा के अपना लहजा में ढाल लेवे के सप्रयास कोसिस कइल जा सके ला।[नोट 4]

  • जहाँ तक हो सके, भोजपुरी के चलनसार शब्द, वाक्यांश वगैरह के इस्तेमाल कइल जाये के चाहीं।
  • भोजपुरी में आम चलन में सामिल, दुसरे भाषा से आइल, शब्दन के जबरिया ई कहि के बाहर करे के कोसिस ना होखे के चाहीं कि ऊ बिदेसी शब्द हवे। अगर चलन में बा तब ओकरा के भोजपुरी मान के चलल जाय।
  • कौनों छोटहन क्षेत्र बिसेस में चलन में मौजूद शब्दावली, भले ओहिजे ऊ ठेठ रूप होखे, ब्यापक रूप से ना इस्तेमाल कइल जाए के चाहीं अगर ओकरे इस्तेमाल से बाकी भोजपुरी भाषी लोगन के बात समझे बूझे में समस्या होखे के शंका होखे।

भाषा शैली

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देखल जाय: WP:TONEWP:EPSTYLE

ज्ञानकोश के भाषा शैली के सभसे महत्व वाला चीज एकर टोन भा लहजा बाटे। विकिपीडिया कवनो मैनुअल, गाइडबुक, पाठ्यपुस्तक भा वैज्ञानिक पत्रिका ना हवे। ज्ञानकोश के सामग्री के औपचारिक सुर भा लहजा में लिखल जाय। औपचारिक टोन खातिर मानक बिसय के आधार पर तनी-मनी अलग-अलग होखे ला। ज्ञानकोश लेखन में काफी हद ले अकादमिक अप्रोच आ तरीका रखल जाला आ साफ-साफ़ समझ में आवे वाला आ किलियर तरीका से लिखल होखे के चाहीं। औपचारिक टोन के मतलब ई बा कि लेख के आर्गोट (अइसन मंडली द्वारा जानबूझ के बोलल जाए वाली शैली जे ओह मंडली से बहरें के लोगन के न बुझाए खाती बोलल जाय), स्लैंग भा कठबोली, बोलचाल के रोजमर्रा के शैली (जेह में बिसमय जाहिर करे वाला शब्दन आ अपशब्दन सभ के भरपूर इस्तमाल होला), दुअर्थी (डबलस्पीक), कानूनी शैली (लीगलीज, जे आम आदमी के बूझे में दुरूह होखे) भा अइसन शब्दावली के इस्तेमाल से ना लिखल जाय जे औसत पाठक के समझ में ना आवे; मतलब कि भोजपुरी भाषा के इस्तेमाल बिजनेस के तरीका से होखे के चाहीं।

विकिपीडिया के लेख सभ के लहजा निष्पक्ष होखे के चाहीं, ना त कौनों खास नजरिया (प्वाइंट ऑफ़ व्यू) के समर्थन करे आ ना नकारे। कोशिश कइल जाए के चाहीं की कवनो गरमा-गरमी वाला बिबाद में खुदे हिस्सा लेवे वाला लोगन के कहनाम के सीधे उद्धरण (कोटेशन) ना दिहल जाव; एकरा बजाय ओह बिबाद में दिहल गइल तर्क सभ के संक्षेप में बताईं आ निष्पक्ष सुर में प्रस्तुत करीं।

बायस पैदा करे वाली शब्दावली

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देखल जाय: (WP:WTW)

  • सजावटी तारीफ वाला शब्दावली से बचे के चाहीं। भाषा से ई ना झलके के चाहीं कि जेकरा बारे में लिखल जा रहल बा ओकरा खातिर तारीफी के भाव जाहिर कइल जा रहल बा। एकरा बिपरीत, औपचारिक भाषा में तथ्य सभ के लिखल जाए के चाहीं। एही तरीका से केहू ब्यक्ति भा बिसय के प्रति निंदा भा तुच्छता के भाव देखावे वाली शब्दावली के इस्तेमाल भी ना कइल जाए के चाहीं।
  • मूल्य आधारित समीक्षा (वैल्यू जजमेंट) बुझाए वाला विवादास्पद शब्द सभ के इस्तेमाल ना होखे के चाहीं। कौनों संस्था के कल्ट चाहे केहू ब्यक्ति के रेसिस्ट, सेक्सिस्ट, आतंकबादी चाहे स्वतंत्रता सेनानी बतावल वगैरह से बचे के चाहीं।
  • अइसन शब्दावली के इस्तेमाल जेकरा के भरम पैदा होखे कि केहू द्वारा कौनों सटीक, बिसेस आ महत्व के बात कहल गइल बाटे जबकि असल में ई हलुक तरीका से आरोपित होखे, से बचे के चाहीं।
  • शब्दावली जइसे की मानल जाला, मालुम होखत बा, आरोप लगावल गइल बा, तथाकथित रूप से; वगैरह के इस्तेमाल से बचे के चाहीं आ अइसन ना जाहिर होखे के चाहीं कि कौनों किसिम के शंका प्रस्तुत कइल जा रहल बा। अइसन भ्रामक कोटेशन चीन्हा आ जोर देवे वाला चीन्हा के इस्तेमाल से भी कइल जा सके ला जेकरा के जाँच-परख के इस्तेमाल होखे के चाहीं।
  • संपादकीयता वाला टर्मावली से बच के तटस्थ रूप से लिखल जाए के चाहीं। शब्दावली जइसे कि उल्लेखनीय रूप से, धियान देवे के बात बा कि, मूल रूप से, वास्तव में, वगैरह के इस्तेमाल पाठक के कौनों किसिम के सुझाव देवे, ओकरा के कौनों धारणा बनावे के मकसद से ना लिखल जाए के चाहीं।

ऊपर बतावल दसा में जरूरत अनुसार {{Peacock term}} {{POV-statement}} नियर टैग मौजूद बाने जब भाषा हलुक, सजावटी, भ्रामक वगैरह होखे तब इनहन के इस्तेमाल से वाक्य के टैग कइल जा सके ला। {{Who}}, {{Which}}, {{By whom}}, चाहे {{Attribution needed}} नियर टैग से ई चिन्हित कइल जा सके ला कि अउरी सटीकता से हवाला (संदर्भ) कहे वाला पर आरोपित कइल जाए के चाहीं।

समय संबंधी कथन सभ के {{As of}} भा {{Age}} के इस्तेमाल से समय के सटीकता के चिन्हित कइल जा सके ला। {{When}} के इस्तेमाल से अइसन सटीकता के माँग चिन्हित कइल जा सके ला {{Out of date}} से ई चिन्हित कइल जा सके ला कि कौनों कथन भा तथ्य पुरान पड़ चुकल बाटे।

सटीकता के कमी

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  • मंगलभाषित भा प्रेयोक्ति (यूफेमिज्म) के इस्तेमाल से बचे के चाहीं। मौत हो गइल भा निधन हो गइल के बजाय स्वर्गलोक सिधार गइलें चाहे हरिधाम प्राप्त हो गइलें नियर प्रेयोक्ति के इस्तेमाल ना कइल जाय।
  • घिसल-पिटल, चाहे मुहावरेदार अभिव्यक्ति से बचे के चाहीं।
  • समय के सापेक्षिक संदर्भ, जइसे कि वर्तमान में, हाल में, जल्दिये, कुछे साल पहिले, 15 बरिस पहिले नियर शब्दावली से बचल जाय; ई समय बीते के साथ भ्रामक भा गलत जानकारी में बदल सके लें। अइसन जगहन पर {{As of}} के इस्तेमाल कइल जाय।
  • बिना सटीकता के जगह आ घटना के जिकिर मत करीं। एह देस में, एहिजे, उहाँ, कहीं, अक्सरहा, कभी-कभार नियर शब्दावली से बचल जाय। याद राखीं कि विकिपीडिया बैस्विक प्रोजेक्ट हवे आ कौनों बिसेस जगह भा समय के डिफौल्ट में संदर्भ मान के ओही जगह भा समय के नजरिया से ना लिखल जाए के चाहीं।
  • पद चाहे ऑफिस के भ्रामकता दूर क के लिखीं। आमतौर पर अखबार सभ एकरा के बिभेद क के ना लिखें लें काहें से कि समाचार लिखत समय अगर केहू ब्यक्ति परधानमंत्री बा तब अखबार खातिर ब्यक्ति के नाँव लिखल भा प्रधानमंत्री लिखल एकही नियर होखे ला। जबकि विकिपीडिया पर एह तरीका से लिख दिहल जाय तब समय के साथ ऊ जानकारी गलत हो सके ले।
  • नियोलॉजिज्म (नया बनल शब्दावली) के प्रयोग से बचीं। बहुत सारा शब्द कौनों समुदाय बिसेस भर में नया चलन में आ गइल हो सके लें, हालाँकि, ब्यापक चलन में ना हो सके लें, इनहन के प्रयोग से बचल जाए के चाहीं। खुद एहीजे, विकिपीडिये पर नया तरीका से समास, संधि क के नया शब्द बना के मत लिखीं।
  • बहुधा भरम पैदा करे वाला शब्द सभ से धियान दे के बचाव कइल जाय। धियान दिहल जाव कि कौनों शब्द के प्रयोग के कौनों दूसर अरथ त ना निकल रहल बाटे।

अशलील भा बर्जित शब्दावली

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देखीं: (WP:PROFANE)

विकिपीडिया पर सेंसर ना लागल हवे आ एहिजे खराब लागे वाला चीज लिखल जा सके ला जे ज्ञानकोश के मकसद के साथे संगत बइठत होखे। हालाँकि, अइसन अश्लील भा बरजित शब्दावली के इस्तेमाल कोटेशन के रूप में करत घरी इनहन के ओही तरीका से प्रस्तुत कइल जाए के चाहीं। हालाँकि, भाषा जे अश्लील होखे, घिन उत्पन्न करे वाली भा बरजित शब्दावली होखे, तबे लिखल जाए के चाहीं जब एकरा ना लिखे से ज्ञानकोशीय मकसद प्रभावित हो रहल होखे।

पहिले से स्थापित परंपरा

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विकिपीडिया पर लेखवन के नाँव रखे आ श्रेणी आ टेम्पलेट सभ के नाँव रखे में पहिले से चलल आ रहल सिस्टम के पाछे चलल जाए के चाहीं। अइसन एकरूपता खातिर बहुत जरूरी बाटे आ एकर पालन ना करे प अराजकता फइली। नया लेख, श्रेणी भा टेम्पलेट बनावल समय चल आ रहल परंपरा से बिलग हट के ना चले के चाहीं। अगर आपके लागत होखे कि पहिले से चल आ रहल सिस्टम एकदम्मे उचित ना बाटे आ कौनों बहुत बड़ अनर्थ हो रहल बा, आम सहमती बनावे के कोसिस कइल जाय आ ओकरे बाद सभ जगह एकही साथे अइसन बदलाव लागू कइल जाय। इनहन में एकरूपता राखल बहुत महत्व वाला चीज होखे ला।

उदाहरण बाने:

  • संबंधवाचक खातिर 'के' शब्द के प्रयोग चल आ रहल बाटे। एकरा खातिर 'क', 'कऽ' चाहे 'का' के प्रयोग मत कइल जाय। ई एकरूपता खातिर जरूरी बाटे। उदाहरन खाती श्रेणी के नाँव के सिस्टम "भारत के शहर आ कस्बा" बाटे, अगर आप न्यूजीलैंड खाती अइसने श्रेणी बनावे जा रहल बानी तब ओकर नाँव "न्यूजीलैंड क शहर आ कस्बा" चाहे "न्यूजीलैंड कय सहर आ कस्बा" चाहे "न्यूजीलैंड का शहर आ कस्बा" ना होखे के चाहीं, पूरा पैटर्न पहिलका वाला रखे के चाहीं आ "न्यूजीलैंड के शहर आ कस्बा" नाँव परंपरा अनुसार उचित होखी।
  • लिस्ट वाला लेख सभ खातिर हर जगह 'लिस्ट' शब्द के परंपरा के पालन हो रहल बा। एकरा के 'सूची' से मत बदलीं न नया लिस्ट बनावे के समय ओकरे नाँव में 'सूची' के प्रयोग कइल जाय।[नोट 5]
  • एही तरे 'फिलिम' शब्द बा। एकर इस्तेमाल लेखवन के टाइटिल आ पाठ में, श्रेणी में हो रहल बाटे। एकरा के चलचित्र मत करीं। केहू भोजपुरिया ई ना कहत मिली की "हम चलचित्र देखे जात बानी" ई आम चलन में फिलिमे कहाला।
  • कई अरथ वाला शब्दन के अलग करे खातिर विकिपीडिया पर 'बहुअर्थी' पन्ना बनावल जालें। इनहन में ई 'बहुअर्थी' शब्द परंपरा के अनुसार स्थापित भ गइल बा। एकर पालन कइल जाय। नया अइसन पन्ना बनावे में कुछ अलग किसिम के शब्द मत ले आइल जाय।
  • विकिपीडिया पर श्रेणी 'XXX के अनुसार ZZZ' के प्रारूप में बनावल जा रहल बाड़ी स। जइसे 'देस अनुसार लोग' वगैरह। आगे श्रेणी बनावल जाय तब एही परंपरा में चलल जाय, एकरा जगह 'देश अनुसार' भा 'देशानुसार' नियन नया चलन इस्तेमाल मत कइल जाय।

ऊपर बतावल ई उदाहरण अंतिम ना बाड़ें। ई नमूना भर खातिर दिहल गइल बाड़ें। अइसहीं बाकियो जगह धियान रखल जाय आ विवेक अनुसार चलल जाय।

अइसन भोजपुरी विकिपीडिया पर स्थापित परंपरा में, जदि आपके बुझाय कि बदलाव कइल जाए के चाहीं, आ एकरे बदे राउर लगे मजबूत आ उचित तर्क आ हवाला बा, तब ओकरा बदलाव खातिर आम सहमती बनावे के कोसिस करीं। बिना समुदाय के सहमति के एह स्थापित परंपरा से हट के बेहवार मत करीं। अगर आप आम सहमति बना लेब तब कौनों परंपरा में ब्यापक बदलाव क के ओइसन सगरी लेख, श्रेणी सभ के नाँव एक साथ बदलल जा सके ला। बाकी एकरा खातिर पहिले आम सहमती होखल जरूरी बाटे।

दिसानिर्देस लागू कइल

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  • अगर राउर संपादन से होखे वाला बदलाव एह दिसानिर्देस के हिसाब से बा, आगे बढ़ीं आ निरभीक हो के संपादन आ सुधार करीं।
  • केहू एह दिसनिर्देस के उलंघन वाला बदलाव कइ रहल होखे तब ओकरा द्वारा कइल बदलाव में सुधार क के चाहे बदलाव के पलट के, ओह संपादक से बात करीं आ उचित तरीका समझाईं। एकरा खाती लेख के बातचीत पन्ना चाहे संपादक के बातचीत पन्ना पर चर्चा कइल जा सके ला।
  • एह दिसनिर्देस के लगातार उलंघन करे वाला केहू संपादक के केहुओ दूसर संपादक चेता सके ला।
  • लगातार उलंघन करे वाला आ अड़ियल रवइया जाहिर करे वाला संपादक लोग के बिघटनकारी संपादन बेहवार खाती प्रबंधक सूचनापट पर रिपोट कइल जा सके ला, हालाँकि, एकरा पहिले बातचीत से समझावे आ चेतावे के काम कइल जाए के चाहीं।
  • लगातार आ गम्हीर उलंघन के मामिला में प्रबंधक लोग अइसन प्रयोगकर्ता लोग पर रोक (ब्लॉक) लगा सके ला।

टीका-टिप्पणी

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  1. बा, बाटे, बड़ुवे के उत्पत्ति संस्कृत के वर्तते वाला रूप के संगत हवे जबकि ह, हऽ, हवे, हउवे, हउवै, हउए, हटे के पहिचान अस्ति वाला रूप के संगत हवे।
  2. काहें से कि ई अवग्रह, आम लिखाई के बहुत चलनसार चीज ना हवे न एकरा के टाइप करे के सुबिधा हर ब्यक्ति के लगे होला (जइसे गूगल इंडिक नियर ट्रांसलिटरेशन द्वारा टाइप करे वाला लोग)। एही से लेख के सर्च में आसानी आ बेहतर विजिबिलिटी खाती एकर इस्तेमाल बाकी कम चलनसार देवनागरी अच्छर आ देवनागरी बिस्तार अच्छर सभ के नियन, ना कइल जाए के चाहीं। कुछ बिद्वान लोग त एकरे इस्तेमाल से एकदम परहेज करे के निर्णय दिहले बा। जइसे कि रसिक बिहारी ओझा 'निर्भीक' के कहनाम बा:

    भोजपुरी में प्लुत के उच्चारन के संकेत चिह्न मात्राबोधक 'ऽ' के कुछु लोग लिखत बा। बाकी एकरा के लिखला से बेकार में छपाई आ लिखाई में कठिनाई बढ़ी। एह से एकर प्रयोग ना करे के चाहीं। ... भाषा के प्रकृति (सोभाव) के जेकरा गिआन होई ऊ खुदे अर्थ निकालि ली। अनजान भा अनाड़ी खातिर भाषा ना ह।

    — रसिक बिहारी ओझा 'निर्भीक', "भोजपुरी शब्दानुशासन"[1]

    अ के एह विलिंबित उच्चारण खाती एगो बिद्वान के कहनाम बा:

    अऽच्छा, कऽतऽना, कऽहऽवाँ, फऽरऽका, सऽपऽना। बाकी अइसन व्यवस्था भोजपुरी-ध्वनिविज्ञान चाहे भोजपुरी-उच्चारणकोश में उपयोगी हो सकेला, सामान्य लेखन में एकरा से कठिनाई उत्पन्न होई।

    — विश्वनाथ सिंह, "मानक भोजपुरी वर्तनी"[2]

    ओहिजे इनहन के आ के मात्रा लगा के लिखे के बारे में बतावल गइल बा कि एकरा से लोगन के उच्चारण में इनहन के आ वाला रूप चले के शंका हो सके ला। इहो ना कइल जाए के चाहीं।[2]

  3. एगो बिद्वान के आग्रह इनहनों के लिखे के बाटे:

    ध्यान देवे के बात बा जे भोजपुरी में ङ आ ञ के ध्वनि आजो सुरक्षित बा। जरूरत एह बात के बा, जे लेखक लोग भोजपुरी उच्चारण का मोताबिक आंगन के 'आङ्न', जाँघ के 'जाँङ्ह', बेंग के 'बेङ', 'निनिञ' भुँइञ आ टोंइञ' के प्रयोग करे, त भोजपुरी का प्रकृति के रक्षा होई।

    — विन्ध्याचल प्रसाद, "भोजपुरी व्याकरण के रूपरेखा"[4]

    हालाँकि, ई आग्रह अभिन ले व्यापक रूप से भोजपुरी के प्रकाशन वगैरह में मजिगर चलनसार देखलाई पड़त होखे अइसन ना बाटे। जबले ई विकिपीडिया से बहरें ब्यापक चलन में ना आ जाय अइसन प्रयोग से एहिजे बचे के चाहीं।

  4. भोजपुरी में तत्सम शब्दन के प्रयोग पर (उनहन के जबरिया भोजपुरियावे पर) एगो वैयाकरण के कहनाम धियान देवे लायक बा। हालाँकि, ई बात भोजपुरी में तत्सम शब्द लिखत घरी 'ऐ' आ 'औ' अउरी 'क्ष', 'त्र' आ 'ज्ञ' के प्रयोग के संदर्भ में कहल गइल बा, बात मार्के के बा कि:

    जबरन भोजपुरिअवला से भाषा के सौंदर्य नष्ट हो जाई। अइसे कइला से भोजपुरी धनी ना बनी। हँ, जवन तत्सम शब्द कालक्रम से घीसि के भोजपुरी के प्रकृति के अनुसार बनि गइल बाड़े स ओइसन भोजपुरी शब्दन के भोजपुरी रूप लिखे के चाहीं।

    — रसिक बिहारी ओझा 'निर्भीक', "भोजपुरी शब्दानुशासन"[5]
    महामाया प्रसाद आ जितेंद्र वर्मा के कहनाम बा:

    कुछ लोग के आग्रह रहेला कि भोजपुरी जइसे बोलल जले, एकदम वइसही लिखन जाव। एजवा एह बात के हरदम ध्यान रखे के चाही कि बोली आ भाषा में हमेशा अंतर रहेला। दुनिया के कवनो भाषा जवना तरे बोलल जाले एकदम ओही तरे लिखल ना जाले। ...जवना चीज खातिर भोजपुरी में शब्द बा निःसंदेह ओकरा के अपनावे के चाही बाकिर हिंदी, अंग्रेजी आ आउरो कवनो भाषा के शब्दन के भोजपुरियावे के फेर में ओकर वर्तनी बिगाड़ल ठीक नइखे। जरूरत पड़ला पर दोसरा भाषा के शब्दन के बेहिचक अपनावे के चाहीं। एह से भोजपुरी समृद्ध होई। ...हमनी के खाँटी भोजपुरी के आग्रह से बचे के चाही।

    — विनोद & वर्मा, "भोजपुरी शब्दानुशासन"[6]
  5. ई तर्क दिहल की 'लिस्ट' भोजपुरी ना हवे अंगरेजी ह, नीक ना बाटे। लिस्ट शब्द के जगह सूचियो लिखल भोजपुरी ना हो जाई, 'सूची' संस्कृत हिंदी के शुद्ध शब्द हवे। एकरा खातिर चलन के आधार बनावल जाए के चाहीं। केहुओ भोजपुरिया बेकति बजार जाए त ई ना कहत मिली की ऊ सामान सभ के सूची बना के ले जा रहल बा। सभ एकरा के लिस्टे कहे ला।

बिस्तृत संदर्भ

[संपादन करीं]
  1. देवनागरी लिपि तथा हिंदी वर्तनी का मानकीकरण (2019) केंद्रीय हिंदी निदेशालय. भारत सरकार. दिल्ली. 3.14.1, प. 20

स्रोत ग्रंथ

[संपादन करीं]
  • ओझा 'निर्भीक', रसिक बिहारी (1975). भोजपुरी शब्दानुशासन (1 ed.). जमशेदपुर: जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद.
  • विनोद, महामाया प्रसाद; वर्मा, जीतेन्द्र (2017). आधुनिक भोजपुरी व्याकरण (1 ed.). पटना: यशराज पब्लिकेशन.
  • सिंह, विश्वनाथ (1988). मानक भोजपुरी वर्तनी (1 ed.). पटना: अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन.
  • श्रीवास्तव, विन्ध्याचल (1999). भोजपुरी व्याकरण के रूपरेखा (1 ed.). सुगौली (पूर्बी चंपारण): लोकभारती प्रकाशन.