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कोष (जीवविज्ञान)

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कोष
पियाज के कोष, कोष विभाजनचक्र के अलग-अलग अवस्था में
एगो सुकोषकेन्द्रीय कोष (लुल्लीवारी) आ एगो आदिकोषकेन्द्रीय कोष (दहिनवारी)
Identifiers
MeSHD002477
THटेम्पलेट:TerminologiaHistologica
FMA686465
Anatomical terminology
एगो मानव कोष के संरचना

कोष सजीव के आधारभूत एकाई बा। कवनो प्राणीदेह के रचना में कोष (Cell) एगो पाया के एकाई होखेला, जवना से सौसे देह के निर्माण होखेला। कोषन के समुह से पेशी (Tissue) के निर्माण होखेला। समरूप पेशी एकजुट होके अंग (Organ) के निर्माण करेला। बिबिध अंग एकट्ठा होके अंगतंत्र (Organ system) के निर्माणेले आ अलग-अलग अंगतंत्र से सौसे देह के निर्माण होला। एगो कोष ढेरका उपकोष से निर्मित होला जे के कोषाङ्ग (Cell Organ) कहल जाला, जवना में माइटोकॉड्रिया, न्यूक्लियस, गोलगिबॉडीस, आदि मुख्य बा।

कोष के प्रकार

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कोष दू किसिम् के होखेला: सुकोषकेन्द्री कोष (Eukaryotic cell), जेहमे कोषकेन्द्र सुबिक्सित आ कोषरसपटल से आवरित होला आ आदिकोषकेन्द्री कोष (Prokaryotic cell), जेहमे कोषकेन्द्र बिक्सित ना होला आ कोषरसपटल के अभाव होला। आदिकोषकेन्द्री कोष एककोषी होला जबके सुकोषकेन्द्री कोष एककोषी चाहे बहुकोषी हो सकेला।

आदिकोषकेन्द्री कोष

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आदिकोषकेन्द्री कोष में बेक्टॅरियाआर्किया के समावेस होला। ई सजीव के त्रिक्षेत्रीय वर्गीकरण पद्धति में बतावल तिनगो सृष्टि में से दुगो सृष्टि बा। आदिकोषकेन्द्री कोष पृथ्वी पर जिनगी के प्रारम्भिक रूप रहे, एकर बिषेशता ई रहे के ई कोष संकेतागमनग्रहन प्रक्रिया समेत बहुते महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया के स्वामी रहे। ई सुकोषकेन्द्री कोष से सरल आ नन्हिचुकी होला, आ ई कोषन में कोषकेन्द्र, आ कोषकेन्द्रपटल के अभाव होला। आदिकोषकेन्द्री कोष के डीएनए में एक्केगो गोलाकार गुणसूत्र होला जे सीधे कोषरस के संपर्क में होला। कोषरस में मौजूद केन्द्रीय क्षेत्र के कोषकेद्रीका (Nucleoid) कहल जाला। बहुते आदिकोषकेन्द्रीयन जीव में कोषकेद्रीका सभसे नन्हीचुकी होखेला जेकर व्यास 0.5 से 2.0 माइक्रोमीटर ले होला।

आदिकोषकेन्द्री कोष में तीनगो क्षेत्र होलें:

कोशिका के घेरले कोशिका के लिफाफा होला — आमतौर पर कोशिका के दीवार से ढंकल प्लाज्मा झिल्ली होला जे कुछ बैक्टीरिया खातिर अउरी तीसरी परत से ढंकल हो सके ला जेकरा के कैप्सूल कहल जाला। हालाँकि, ज्यादातर प्रोकैरियोट सभ में कोशिका झिल्ली आ कोशिका के दीवार दुनों होला, एकर अपवाद माइकोप्लाज्मा (बैक्टीरिया) आ थर्मोप्लाज्मा (आर्किया) नियर बाड़ें जिनहन में खाली कोशिका झिल्ली के परत होला। लिफाफा कोशिका के कठोरता देला आ कोशिका के अंदरूनी हिस्सा के एकरे वातावरण से अलग क देला, ई सुरक्षात्मक फिल्टर के काम करे ला। कोशिका के दीवार में बैक्टीरिया में पेप्टिडोग्लाइकन होला आ बाहरी ताकत सभ के खिलाफ एगो अतिरिक्त बाधा के काम करे ला। एकरे अलावा ई हाइपोटोनिक वातावरण के कारण कोशिका के आसमाटिक दबाव से बिस्तार आ फटला (साइटोलाइसिस) से भी रोके ला। कुछ यूकेरियोटिक कोशिका (पौधा के कोशिका आ फंगल कोशिका) में भी कोशिका के दीवार होला।

कोषाधार पऽ जीव के प्रकार

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कोष के आधार पऽ दू किसिम के जीव होला। एककोषि जीव जैसे अमीबा आ बहुकोषि जीव, जैसे मनुष्य, काहेसे के मनुष्य के देह ढेरका कोषन के बनऽल बा।

कोशिका के खोज इतिहास

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1965 में सबसे पाहिले रॉबर्ट हुक नाव के बिज्ञानिक कोशिका के बारे में बतवले रहन। दुगो जर्मन जीव वैज्ञानिक एम श्लाइडनटी श्वान 1838-39 में कोशिका सिद्धान्त के स्थापना कइले रहन, जेकरा अनुसार सब जीव के निर्माण कोशिका से होला।

आर्यावर्त में कोशिका के जीवबीज के रूप में ऋषि चरक इ.स. 100 से 200 वर्ष पूर्व बर्णन कइले बाड़े। ऋषि चरक आ सुश्रुताचार्य इ.स. पूर्व 5000 में लिखल गइल अर्थववेद से ज्ञान प्राप्त करके तीन खंडमें आयुर्वेद प प्रबंध लिखले रहन। आज भी सूक्ष्म योग इहे अर्थववेद के कुछ सिद्धांत मन्त्र के शिवजी के द्वारा कुछ कीलित मन्त्र के साथ जोड़ के तंत्रबिद्या में आदमी के बाल आ नोह् से मोहन, मारनबशीकरण जइसन कठिन प्रयोग करे में आज भी सफल बा।इहे कारन से आज भी साधक, साधु, ऋषि आदि आपन दाढ़ी, बार, नोह साधना काल में ना काटत रहन।

कोष के संरचना आ प्रकार

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जीवधारि में दू प्रकार के कोशकीय संगठन पावल जाला। एक प्रकार ह प्राककेन्द्रकी (प्रोकैरिओट) जवना के कोशिका केंद्रक झिल्लीबद्ध ना होला, जबकि सुकेन्द्रकी (यूकैरिओट) में एक स्पष्ट केंद्रक दुगो झिल्लि से घेरल रहेला। कोशिका के मुख्य अवयव ह -

कोशिका भित्ति

सभ जीवाणु आ हरियर-नीला काई के कोशिका एगो दृढ़ कोशिका भित्ति से बद्ध होला, जवन पौधकोशिका नियन लेकिन जीवकोशिका से अलग होला, जेकरा कारण से ओहनी के पौधकोशिका वर्ग में शामिल कइल जाला।

जीवद्रव्य कला

सब जीवकोशिका में एगो अईसन झिल्ली होला जवना के आरपार कवनो रस द्रब्य त जा सकेला लेकिन ई देखे में ई एगो विभेदक नियन लउकेला जेकरा के जीवद्रव्यकला कहल जाला। ई कोशिका के बाहर आ भीतर के पदार्थ के गति के नियंत्रण करेला।

केंद्रक

सभ यूकैरियोट जीव में एक स्पष्ट केंद्रक (nucleus) होला। ई केंद्रक सभ कोशिकीय क्रिया के नियंत्रण केंद्र होखेला।

हरित लवक

प्रकाश संश्लेषण क्रिया के केंद्र ह, यह से खाली प्रकाश संश्लेषित पौधकोशिका में ही पावल जाला।

सूत्रगुणिका

ई एगो दुहरा झिल्ली से तोपायिल कोशिका के अंग ह। ई ऊर्जा उत्पादन से सम्बंधित होला। एहसे एकरा के कोशिका के शक्ति केंद्र कहल जाला।

राइबोजोम

राइबोजोम प्रोटीन संश्लेषण के केंद्र ह आ प्रोकैरिओट व यूकैरिओट दोनों कोशिकामें पावल जाला।

लाइसोसोम

लाइसोसोम अपघटन एंजाइम के थैलि होलिस जवन बहुत सारा पदार्थ के अपघटित करेलिस।

तारक केंद्र

तारक केंद्र सभ जीवकोशिका में आ कुछ पौधकोशिका में भी पावल जाला। ई मुख्य रूप से धुरी तंत्र कोशिका विभाजन के समय नया उत्पन्न कोशिका आ जन्म देबे वाली कोशिका के बीच गुणसूत्र के अलग करे से संम्बन्धित या पक्ष्याभ (Celia) आदि के संगठन से सम्बंधित होला।

कोशिका विभाजन

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हर जीव जवना में जनन लैंगिक क्रिया से होला ,जीव के जन्म ज़यगोट से होला, जेकरा बार-बार विभाजित भईला से शरीर के अनेक कोशिका बनेलिस। बे एह विभाजन के अतना प्रकार के ऊतक (tissues) आ अंग (organ) ना बन पायित। यी विभाजन दू चरण में पूरा होला । केंद्रक विभाजन जवना के सूत्रीविभाजन (mitosis) कहलजाला आ दोसरा चरण के कोशिका विभाजन (Cytokinesis) कहलजाला।

सूत्रीविभाजन (Mitosis)

सूत्रीविभाजन जीव के कायिक कोशिका (Somatic cells) में होला। यह से एकरा के कायिक कोशिका विभाजन भी कहल जाला। गुणसूत्र संख्या सूत्रीविभाजन के समय बराबर रहेला यानी नया उत्पन्न कोशिका (Daughter cells) के गुणसूत्र संख्या पैदा करे वाली कोशिका जतना रहेला, एहसे एकरा के समसूत्री विभाजन (equational division) भी कहल जा सकेला।

अद्र्धसूत्रीविभाजन (Meiosis)

सूत्रीविभाजन के उल्टा एकरा में गुणसूत्र संख्या कम हो के आधा रह जाला, काहेकि एकरामे कुल गुणसूत्र समजात गुणसूत्र (homologus chromosomes) अलग हो जाला न कि वोहनीके अद्र्धगुणसूत्र। नया उत्पन्न कोशिका में गुणसूत्र संख्या जन्म देबे वाली कोशिका से आधा होखला के कारण इस विभाजन को न्यूनीकरण विभाजन (reductional division) भी कहल जाला।

बाहरी कड़ी

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