सरना

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मयूरभंज के लगे एगो गाँव में सरना माने वाला लोगन के धार्मिक रेवाज

सरना भारत के पूरबी हिस्सा में, छोटा नागपुर इलाका आ आसपास के क्षेत्रन के कुछ आदिवासी लोगन के रीत-रेवाज, बिस्वास, आ आध्यात्मिक अउरी धार्मिक सिस्टम हवे। एकरा माने वाला लोग प्रकृति के चीजन में आत्मा के होखल माने वाला आ (एनिमिज्म) हवे आ कई गो पच्छिमी आ भारतीय समाजशास्त्री लोग सरना के अलग किसिम के धरम कहे ला।[1] एह तरीका से ई रहन-सहन आ बिचार-बेहवार के एगो सिस्टम चाहे पंथ हवे। एकरा माने वाला लोग झारखंड राज्य में एकरा के अलगा से धरम (रेलिजन) घोषित करे खातिर माँग क रहल बा, हालाँकि अभिन ले एह लोगन के हिंदू धरम में गिनल जाला। सरना के माने वाला लोग एकर बिरोध करे ला आ हाल में, नवंबर 2020 में, झारखंड बिधान सभा एह लोगन के माँग पर "सरना धर्म कोड" पास कइलस।[2][3]

सरना के माने वाला आ एकरे हिसाब से रहन-सहन में रहे वाला जनजातीय लोग मुख्य रूप से झारखंड राज्य में बा। एकरे अलावा बिहार, पच्छिम बंगालओडिशा राज्य में ई एह मत के माने वाले लोगन के काफी संख्या बाटे। सरना एह पुरुबी भारत के कई ठे जनजाति सभ में मानल जाला। एह जनजाति सभ में मुंडा, हो, भूमिज, संथाली आ अउरी कई गो जनजाति सभ के लोग बा जे सरना में बिस्वास रखे ला आ एह तरीका से आपन आध्यात्मिक पूजा-पाठ आ परंपरा के पालन करे ला।

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. कुमार, बिनय. Perspectives on Indian Society. Retrieved 29 नवंबर 2021.
  2. प्रकाश, रवि (18 नवंबर 2020). "क्या आदिवासियों को मिल पाएगा उनका अलग धर्म कोड". बीबीसी हिंदी (हिंदी में). Retrieved 29 नवंबर 2021.
  3. केरकेट्टा, जसिंता (13 नवंबर 2020). "सरना धर्म कोड: आदिवासियों को मिलेगी उनकी अपनी पहचान". दि वायर. Retrieved 29 नवंबर 2021.

बाहरी कड़ी[संपादन करीं]