हिल स्टेशन

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शिमला, एगो हिल स्टेशन के रूप में बसावल नगर हवे।

हिल स्टेशन कौनों अइसन छोटनगर होखे ला जे आसपास के मैदान भा घाटी से ऊँचाई पर स्थित होखे। ई नाँव अधिकतर एशिया के ओह देसन में इस्तेमाल होला जहाँ उपनिवेशी शासन रहल (खासकर के भारत), आ अफिरका के देसन में भी (हालाँकि, कबो-काल्ह), अइसन टाउन (छोट शहर) सब खातिर जे यूरोपियन लोग द्वारा गर्मी से बचे खातिर बसावल गइल रहलें। मने कि मैदानी इलाका के भीषण गर्मी से बचाव खातिर पहाड़ी आरामगाह के रूप में बिकसित शहर आ कस्बा हवें। भारतीय संदर्भ में देखल जाय तब अधिकतर हिल इस्टेशन सभ लगभग 1,000 से 2,500 मीटर (3,300 से 8,200 फीट) के ऊँचाई पर बाड़े; कुछे एह रेंज से बहरें होखिहें।

शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग नियर हिल स्टेशन हिमालय के पहाड़न में बसावल गइल हवें जबकि दक्खिनी भारत के पहाड़ी सभ पर ऊटी, कोडइकनाल नियर हिल स्टेशन बाड़ें। राजस्थान में माउंट आबू आ मध्य प्रदेश में पचमढ़ी नियर हिल स्टेशन बाड़ें; पूर्बोत्तर भारत में शिलौंग एगो हिल स्टेशन हवे।

इतिहास[संपादन करीं]

हिल स्टेशन बनावे के कई किसिम के कारन रहलें। इनहन में एगो मुख्य कारन जलवायु रहे, गरम जलवायु वाला उष्णकटिबंधी इलाका में पहाड़न के ऊपर ठंढा जलवायु होखे के कारन हिल स्टेशन सभ के बनावे के सुरुआत भइल। भारत में अइसन कई गो हिल इस्टेशन बनावल गइलें; आ भारत से बाहरो अइसन स्टेशन अस्थापित कइल गइलें। एगो बिबरन के मोताबिक ब्रिटिश लोग द्वारा पहिला हिल स्टेशन मलाया के पेनांग में बनावल गइल।[1]

अफिरका महादीप के कई देसन में अइसन हिल स्टेशन ब्रिटिश लोगन के रिहाइशी इलाका के रूप में बसावल गइलें[2] इनहन के बनावे के मुख्य कारन उष्णकटिबंधी बेमारी सभ से बचाव रहल; एक तरीका से ई सेहत आरामगाह भा सैनिटोरियम रहलें।

गर्मी, गरम इलाकन के बेमारी से बचाव आ अउरी दूसर कारन से बसावल ई हिल स्टेशन सभ आगे चल के सत्ता, राजनीति आ एलीट क्लास के लोगन के केंद्र बन गइलें। उदाहरण खातिर शिमला, जे एगो हिल स्टेशन के रूप में बिकसित कइल गइल, कुछ समय ले भारत के गर्मी के सीजन के राजधानियो रहल करे।

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. Bhattacharya, Nandini (20 नवंबर 2012). Contagion and Enclaves: Tropical Medicine in Colonial India (अंग्रेजी में). Oxford University Press. pp. 16–20. ISBN 978-1-78138-636-1. Retrieved 9 अप्रैल 2022.
  2. Akyeampong, Emmanuel Kwaku (2006). Themes in West Africa's History (अंग्रेजी में). Ohio University. p. 198. ISBN 978-0-85255-995-6. Retrieved 9 अप्रैल 2022.

बाहरी कड़ी[संपादन करीं]