आलोक धन्वा
Appearance
आलोक धन्वा (जनम 2 जुलाई 1948) हिंदी भाषा के एगो कवी बाने। धन्वा के अबतक ले एकही काव्य-संग्रह छप के आइल बाटे - दुनिया रोज़ बनती है, बाकी ऊ बिबिध माध्यम सभ पर छपल अपना कबिता सभ के चलते हिंदी भाषा के प्रमुख कबी लोगन में गिनल जालें।[1]
धन्वा के पहिली कबिता जनता का आदमी (1972) में 'वाम पत्रिका' में छपल रहे। ओही साल उनुकर दूसर कबिता गोली दाग़ो पोस्टर 'फ़िलहाल' पत्रिका में छपल। उनुकर ई कबिता बामपंथी आंदोलन में महत्व के अस्थान रखे ले।[2]
आलोक धन्वा हिंदी कबितई के प्रगतिशील आंदोलन आ नई कबिता आंदोलन के कबी के रूप में जानल जालें ।
जिनगी
[संपादन करीं]आलोक धन्वा के जनम भारतीय राज्य बिहार के मुँगेर में 2 जुलाई 1948 के भइल।
रचना
[संपादन करीं]- दुनिया रोज़ बनती है (1998),[3] राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
पुरस्कार आ सम्मान
[संपादन करीं]- नागार्जुन सम्मान
- फ़िराक गोरखपुरी सम्मान
- गिरिजा कुमार माथुर सम्मान
- भवानी प्रसाद मिश्र स्मृति सम्मान
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ निश्चल, ओम (2 जुलाई 2020). "जन्मदिन विशेषः आलोक धन्वा, कविता में वाचिक विद्रोह व प्रेम का वैभव". आज तक (हिंदी में). Retrieved 2 जुलाई 2023.
- ↑ "आलोक धन्वा की मशहूर कविता- 'गोली दागो पोस्टर'". News18 हिंदी (हिंदी में). 2 जुलाई 2023. Retrieved 2 जुलाई 2023.
- ↑ "Alok Dhanwa". goodreads.com. Retrieved 2 जुलाई 2023.
बाहरी कड़ी
[संपादन करीं]- लेखक परिचय: आलोक धन्वा Archived 2023-07-02 at the Wayback Machine, राजकमल प्रकाशन के वेबसाइट प।
- दुनिया रोज़ बनती है (कुछ बीछल कबिता), हिंदी समय के वेबसाइट प।
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