उर्स
उर्स (शाब्दिक अर्थ बियाह),[1] केहू सूफी संत के पुण्यतिथि होखे ला जे आमतौर पर ओह संत के दरगाह (तीर्थ भा कब्र) पर मनावल जाला।[2] अधिकतर सूफी परंपरा सभ जइसे कि नक्शबंदिया, सुहरावर्दिया, चिश्तिया, कादरिया आदि में उर्स के कांसेप्ट मौजूद बा आ एकरा के भरपूर उत्साह से मनावल जाला। भक्त लोग अपना संतन के भगवान के प्रेमी, प्रियतम के रूप में माने ला।[1]
उर्स रीति-रिवाज आ बिधी-बिधान सभ के आम तौर पर संबंधित दरगाह के संरक्षक या सिलसिला के मौजूदा शेख द्वारा पूरा कइल जाला। उर्स के उत्सव हमद से लेके नात तक होला आ कई मामला में कव्वाली जइसन धार्मिक संगीत के गायन एकरा कार्यक्रम सभ में शामिल होखे लें। एह उत्सव में बिबिध किसिम के खानपान, बजार लागल, आ तरह तरह के दुकान सजावल जालीं।
अजमेर के दरगाह शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स में हर साल करीबन चार लाख से बेसी भक्त लोग आवेला आ एकरा के दुनिया भर के सबसे मशहूर उर्स परबन में मानल जाला।[3]
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ 1.0 1.1 "Urs". Archived from the original on 2019-10-31. Retrieved 2020-04-19.
- ↑ "'उर्स शब्द के अर्थ | 'उर्स - Hindi meaning". Rekhta Dictionary (हिंदी में).
- ↑ "Another entrance for the Ajmer dargah". दि टाइम्स ऑफ़ इंडिया. 29 जनवरी 2012. Archived from the original on 26 January 2013. Retrieved 19 February 2012.
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