दीया

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कई किसिम के दीया
दू गो दीया
कई बाती वाला दीया
बालकनी के रेलिंग पर रखल दीया
दिवाली पर माटी के दीया
रंगोली के बीच में रखल दीया
गंगा नदी में परवाहित दीया
Diya, or oil lamp, in different formations

दीया भारतीय उपमहादीप में माटी के कटोरी नियर छोट बरतन हवे जेह में तेल चाहे घीव भर के आ सूती कपड़ा चाहे रुई के बाती लगा के बारल जाला। आजकाल्ह ई बिसेस मोका-महाले पूजा-पाठ के समय जरावल जाला, मंदिरपूजा के जगह पर बारल जाला, कई गो तिहुआर सभ में सजावट खातिर बारल जाला, आरती करे खातिर इस्तेमाल होला आ सभसे अलग दिया जरा के घर-दुआर-दुकान वगैरह के सजावट करे वाला तिहुआर दिपावली मनावे में बारल जाला। पुराना समय में ई आम घर में रौशनी खाती भी बारल जाय। लालटेन के इस्तेमाल से पहिले ढेबरी के रूप में भी रोशनी खातिर तेल जरावल जाय आ ओहू के दीया भा दियना कहल जाय।

माटी, या अब सिरेमिक आ अउरी कई किसिम के पदार्थ सभ से बनल एह बर्तन सभ के भी दिया कहल जाला आ इनहन के तेल-बाती से भरल आ बारल रूप भी दीया कहाला। पूजा आ आरती खाती पीतर, ताँबा आ फूल (धातु) के दीया भी बने लें। एकरे अउरी नाँव सभ में दीप, दीपक, दियना, दियाली बाने।

संदर्भ[संपादन करीं]