समास

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संस्कृत के भाषा बिज्ञान में समास दू गो भा अधिका पद (शब्द) सभ के एक साथे जुड़ के एक पद के रूप ले लेवे कहल जाला। संस्कृत में अइसन समास बहुत मिले लें जे कई शब्द से मिल के बने लें आ अंतिम वाला में बिभक्ति के इस्तेमाल होला, पूरा चीज एकही पद के रूप में इस्तेमाल होला। संस्कृत में समास के रूप में मौजूद शब्द कबो-कबो दस से ढेर शब्दन से मिल के बनल भी हो सके लें।

नाँव[संपादन करीं]

लघुसिद्धान्तकौमुदी में समास के परिभाषा समसनं समासः (सम्पूर्वक असुँ क्षेपणे) के रूप में दिहल गइल बा, जेकर मतलब होला एक साथ मिला के संछेप कइल। हालाँकि, हर संछेप के समास ना होखे लें बलुक खाली अइसन दसा के समास कहल जाला जब दू भा दू से अधिका पद मिल के एक पद के रूप ले लें।

प्रकार[संपादन करीं]

संस्कृत भाषा बिज्ञान में पाँच प्रकार के समास बतावल गइल बाने:

  • केवलसमास - जेकरे कवनों नाँव ना दिहल गइल होखे ऊ बेनाम भा केवलसमास कहल जाला।
  • अव्ययीभाव - जहाँ पहिला पद अक्सर अव्यव होला आ समास के बाद पूरा पद अव्यय बन जाला।
  • तत्पुरुष - जेह में अंतिम पद में कौनों बिभक्ति (दूसरी से सतईं बिभक्ति ले) होखे ले। कर्मधारय आ द्विगु नाँव के दू गो समास एही के उपभेद होलें।
  • बहुब्रीहि - जहाँ समास के बाद दुन्नो (भा सगरी) पद सभ के आपन-आपन अरथ से अलग कौनों तिसरा (अन्य) चीज के ओर इशारा होखे लागे।
  • द्वंद्व - जहाँ अगर दू गो पद जुड़ें आ दूनों के बराबर महत्त्व होखे आ दुनों मिल के जोड़ा के रूप में एकही पद के रूप में इस्तेमाल होखे लागें।

इहो देखल जाय[संपादन करीं]