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संज्ञा के भेद

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परंपरागत व्याकरण में संज्ञा (नाँव) के पाँच गो भेद भा प्रकार (classification of noun) बतावल जालें — व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, समूहवाचक, द्रव्यवाचक आ भाववाचक। ई वर्गीकरण के सिस्टम एह बात प आधारित हवे कि कौनों नाँव से कवना किसिम के चीज के बोध हो रहल बाटे। कौनों एक चीज के भा ब्यक्ति के नाँव व्यक्तिवाचक संज्ञा कहाला, जवना नाँव से कौनों पूरा जाति के बोध होखे ओकरा जातिवाचक संज्ञा कहल जाला, प्रानी भा बस्तु के झुंड भा समूह के बोध करावे वाला नाँव समूहवाचक संज्ञा होला, कौनों नापल-तउलल जा सके वाला पदार्थ के नाँव द्रव्यवाचक संज्ञा होला आ कौनों भाव-बिचार के नाँव भाववाचक संज्ञा कहाला।

आधुनिक भाषा विज्ञान में नाउन क्लास (noun class) संज्ञा के बिसेस किसिम के कटेगरी होला भा संज्ञा के वर्गीकरण के सिस्टम होला जे, संज्ञा से जेकर भा जवना चीज के नाँव के बोध हो रहल होखे (रिफरेंट), ओकरे लच्छन के आधार पर वर्ग भा कटेगरी में बाँटे ला; एह बँटवारा के आधार चीज के नर भा मादा होखल, सजीव भा निर्जीव होखल वगैरह हो सके ला। एकरे अलावा नाउन क्लास में बाँटे के आधार संज्ञा के रूप (मॉर्फ़ोलॉजी) भी हो सके ला चाहे ई बँटवारा के सिस्टम एकदम से अटरेंडम आ रूढ़ि आधारित भी हो सके ला। नाउन क्लास के नाउन क्लासिफायर से अलगा बूझे के चाहीं।