संगम काल

विकिपीडिया से
(संगम जुग से अनुप्रेषित)
दखिन भारत के नक्शा के ऊपर तमिल बोले वाला प्राचीन क्षेत्र
तमिलक्कम, संगम काल में दक्खिनी भारत के एकदम दक्खिनी माथ पर स्थित रहल। एकरे शासक लोग में चेर, चोल आ पांड्य बंस के राजा लोग रहल।

संगम काल चाहे संगम युग, भारत के प्राचीन इतिहास के कालखंड हवे जेह में वर्तमान तमिलनाडुकेरल वाला क्षेत्र के पुरान इतिहास, लगभग 5वीं सदी ईसापूर्ब से 3सरी सदी ईसवी ले के इतिहास आवे ला। एह काल के नाँव संगम साहित्य के नाँव पर रखल गइल हवे। ई संगम के अरथ पुरानी तमिल भाषा में कबिता करे वाला कबी लोग के समूह के रूप में लिहल जाला जे लोग ओज जमाना में मदुरै नगर में स्थित रहल। ओह समय के तमिल भाषा बोले वाला इलाका में आज के तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सा, कर्नाटक के कुछ हिस्सा, आंध्र के कुछ हिस्सा आ उत्तर श्रीलंका (ओह जमाना के ईलम) सामिल बा। एह इलाका के नाँव (तमिलऽक्कम, तमिल: தமிழகம்) हवे।

समय[संपादन करीं]

संगम युग के बिस्तार कब से कबतक ले रहल एह बारे में बिद्वान लोग एकमत नइखे। कुछ प्रमुख बिद्वान लोग के मत एह मामिला में नीचे दिहल जात बा:

  • 500 ईपू से 500 ईसवी — ई मत श्रीनिवास अय्यंगर के हवे।[1] बी आर रामचंद्र दीक्षितार एह मत के बाद में समर्थन कइलें। परंपरा अनुसार एही मत के सभसे ढेर मान्यता बाटे।
  • 500 ईपू से 300 ईसवी — प्रो. नीलकंठ शास्त्री के मत हवे।
  • 300 ईपू से 300 ईसवी — एन सुब्रमण्यम अय्यर के मत हवे।
  • 300 ईसवी से 500 ईसवी — एस वैयप्पुरी पिल्लई के मत हवे।
  • 300 ईसवी से 600 ईसवी — प्रो. रामशरण शर्मा के मत हवे।

तीन गो संगम[संपादन करीं]

पहिला संगम[संपादन करीं]

पहिला संगम के केंद्र मदुरा शहर रहल आ एकर अध्यक्ष अगस्त्य ऋषि चाहे अगत्तियार रहलें। एह संगम के कवनों ग्रंथ अब ना मिले लें हालाँकि, बतावल जाला कि अगस्त रिसी अक्टय नाँव के ग्रंथ के रचना कइले रहलें। परंपरा के अनुसार एह संगम के 4400 साल ले चले वाला बतावल जाला।

दुसरा संगम[संपादन करीं]

एह संगम के केंद्र कपाटपुरम चाहे अल्वई रहल। पहिले अगस्त्य आ बाद में तोल्कप्पिय्यर एकर अध्यक्षता कइलें। एह संगम के एकलौता ग्रंथ तमिल के ब्याकरण तोलकप्पियम मौजूद बा।

तिसरहा संगम[संपादन करीं]

एकर केंद्र उत्तर मदुरा रहल। एकर अध्यक्षता नक्कीकर रहलें। एह संगम के पांड्य राजा लोग के संरक्षण मिलल।

संदर्भ[संपादन करीं]

संदर्भ ग्रंथ[संपादन करीं]

  • P. T. Srinivasa Iyengar (2001). History of the Tamils: From the Earliest Times to 600 A.D. Asian Educational Services. ISBN 978-81-206-0145-1. {{cite book}}: Invalid |ref=harv (help)


बाहरी कड़ी[संपादन करीं]