शिवरंजनी
Appearance
ठाट | काफ़ी |
---|---|
आरोह | S R g P D Ṡ |
अवरोह | Ṡ D P g R S |
समानता | भूपाली |
शिवरंजनी भारतीय संगीत के एगो प्रमुख राग हवे। बर्गीकरण के हिसाब से ई काफी ठाट के राग हवे आ आरोह-अवरोह दुनों में पाँच गो स्वर लागे लें जेकरा चलते ई औढव-औढव जाति के राग हऽ। एह राग में कोमल गंधार (ग॒) के प्रयोग होला आ मध्यम (म) आ निषाद (नी) एह में बरजित स्वर हवें। कब्बो-काल्ह एह राग में शुद्ध गंधार (ग) आ कोमल धैवत (ध॒) के हल्का सा इस्तेमाल कइ लिहल जाला, आ तब एकरा के मिश्र शिवरंजनी कहल जाला।[1]
बहुत सारा फिलिमी गीत के रचना एह राग में भइल बाटे। अगर मिश्र शिवरंजनी के जोड़ लिहल जाय तब अइसन बहुत सारा गाना बाड़ें जे एह राग में बाड़ें।
बिबरन
[संपादन करीं]- आरोह
सा, रे, ग॒, प, ध, सां
S R g P D Ṡ[नोट 1]
- अवरोह
सां, ध, प, ग॒, रे, सा
Ṡ D P g R S[नोट 2]
इहो देखल जाय
[संपादन करीं]नोट
[संपादन करीं]- ↑ Alternate notations:
- Carnatic: S R₂ D₂ Ṡ
- Western: C D A C
- ↑ Alternate notations:
- Carnatic: Ṡ D₂ P S
- Western: C A G C
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ Satyendra Krishen Sen Chib (2004). Companion to North Indian Classical Music. Munshiram Manoharlal Publishers. p. 178. ISBN 978-81-215-1090-5.
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