मोहम्मद अली जिन्ना
मोहम्मद अली जिन्ना | |
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पाकिस्तान के पहिला गवर्नर | |
कार्यकाल 14 अगस्त 1947 – 11 सितंबर 1948 | |
नरेश | जॉर्ज VI |
प्रधानमंत्री | लियाक़त अली ख़ान |
इनसे पहिले | पद अस्थापित |
इनके बाद | ख्वाजा नजीमुद्दीन |
नेशनल असेंबली के स्पीकर | |
कार्यकाल 11 अगस्त 1947 – 11 सितंबर 1948 | |
डिप्टी | मौलवी तमीजुद्दीन ख़ान |
इनसे पहिले | पद बनल |
इनके बाद | मौलवी तमीजुद्दीन ख़ान |
पाकिस्तान के संबिधान सभा के प्रेसिडेंट | |
कार्यकाल 11 अगस्त 1947 – 11 सितंबर 1948 | |
डिप्टी | लियाक़त अली ख़ान |
इनसे पहिले | पद बनल |
इनके बाद | लियाक़त अली ख़ान |
निजी जानकारी | |
जनम | मोहम्मदअली जिन्नाभाई 25 दिसंबर 1876 कराची, ब्रिटिश राज |
निधन | 11 सितंबर 1948 (उमिर 71) कराची, पाकिस्तान |
राष्ट्रीयता | British India (1876–1947) Pakistan (1947–1948) |
राजनीतिक पार्टी |
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जीवनसाथी |
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संतान | दीना वाडिया |
माई-बाबूजी | जिन्नाभाई पूँजा (बाबूजी) मीठीबाई जिन्ना (महतारी) |
महतारी संस्था | The Honourable Society of Lincoln's Inn |
प्रोफेशन |
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दस्खत |
मोहम्मद अली जिन्ना (محمد علی جناح - जनम नाँव: मोहम्मदअली जिन्नाभाई; 25 दिसंबर 1876 – 11 सितंबर 1948) जिनके पाकिस्तान में क़ायदे-आज़म आ बाबा-ए-कौम के उपाधि से जानल जाला, ब्रिटिश राज के दौरान एगो भारतीय वकील आ राजनीतिक नेता रहलें, इनके पाकिस्तान के संस्थापक मानल जाला आ ई पाकिस्तान के बने के बाद उहाँ के पहिला गवर्नर जनरल बनलें आ अपना निधन तक ले एह पद पर रहलें। पाकिस्तान में इनके जनम दिन पर सार्वजनिक छुट्टी होला।[1]
कानपुर की घटना
लाहौर प्रस्ताव के तहत इसने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित किया। सन् 1942 में मोहम्मद अली जिन्ना उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे जिसमें उन्होंने हिंदू धर्म का विरोध और भारत का विरोध कर पाकिस्तान की मांग कर रहे थे तभी वहाँ भीड़ में खड़े दो भाई बैजनाथ बाजपेई और विश्वनाथ बाजपेई जो की उत्तर प्रदेश के
उन्नाव जिले के पड़री कला नामक गाँव से थे उन्होंने जिन्ना के ऊपर लाठियों से जानलेवा प्रहार कर दिया जिसमें बहुत मुश्किल से जिन्ना के प्राण बचे और जिन्ना वहां से भाग निकलने में सफल रहे बाद से जिन्ना ने कभी भी किसी सभा में हिंदू धर्म और भारत का विरोध नहीं किया । अधिकतर सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई और कुछ पर जिन्ना की। 1946 मे जिन्ना ने कैबिनेट मिशन मे अलग राष्ट्र की मांग की परंतु उसे ठुकरा दिया गया। जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग के लिए त्वरित/प्रत्यक्ष कार्यवाही का अभियान शुरू किया। लीग की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण भारत में व्यापक पैमाने पर हिंदुओ के साथ हिंसा मुस्लिम बहुल क्षेत्रो मे हुई। मुस्लिम लीग और कांग्रेस पार्टी, गठबन्धन की सरकार बनाने में असफल रहे, इसलिए अंग्रेजों ने भारत विभाजन को मंजूरी दे दी। पाकिस्तान के गवर्नर जनरल के रूप में जिन्ना ने लाखो हिंदुओ और सिखो का नरसंहार करवाया। साथ ही, उन्होंने अपने देश की विदेश नीति, सुरक्षा नीति और आर्थिक नीति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गौरतलब है कि पाकिस्तान और भारत का बंटवारा जिन्ना और नेहरू के राजनीतिक लालच की वजह से हुआ है!
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ "National public holidays of Pakistan in 2013". Office Holidays. Archived from the original on 22 April 2013. Retrieved 22 April 2013.
- ↑ "Nation celebrates Quaid-e-Azam's birthday". Pakistan Today. 25 December 2012. Archived from the original on 22 April 2013. Retrieved 22 April 2013.
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