माघ (कवी)
माघ | |
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पेशा | कवी |
राष्ट्रियता | भारतीय |
समय | c. 7वीं-सदी ईसवी |
बिधा | संस्कृत काब्य, महाकाब्य |
बिसय | महाभारत के कथा |
प्रमुख रचना | शिशुपालवधम् |
माघ (c. 7वीं-सदी ईस्वी) संस्कृत भाषा के एगो कवी रहलें। इनके परसिद्ध रचना महाकाब्य शिशुपालवधम् हवे। एह रचना में कुल 20 सर्ग में महाभारत के एगो कथा के बर्णन कइल गइल बा - कृष्ण द्वारा शिशुपाल के बध।
माघ के बारे में मानल जाला कि ई इनके असली नाँव ना रहल बलुक कबितई खातिर धारण कइल उपनाँव रहल। अकसर इनके तुलना संस्कृत के कबी भारवि के साथे कइल जाला आ इनसे परभावित भी मानल जाला।
संस्कृत महाकाब्य के रचइता लोग में कालिदास, भारवि आ माघ; तीन लोग के नाँव सभसे ऊँच मानल जाला आ त्रयी के नाँव से बोलावल जाला। एगो बहुत चलनसार उक्ति के हिसाब से कालिदास के उपमा, भारवि के अर्थगौरव आ दंडी के पदलालित्य के तारीफ के बाद माघ कवी में ई तीनों गुण एक्के संघे होखे के बात कहल गइल बा। माघ के बिद्वत्ता आ शब्दभंडार के भी खास तारीफी कइल जाला आ इनके काब्य के कठिन होखे के भी बात कहल जाला।
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[संपादन करीं]संदर्भ
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