भारत में हरित क्रांति

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भारत में पंजाब में एगो खेत। पंजाब में हरित क्रांति के सभसे बेसी प्रभाव पड़ल आ ई भारत के "ब्रेड बास्केट (रोटी के डलिया)" कहाए लागल।[1][2]

भारत में हरित क्रांति, 1960 के दशक में नॉर्मन बोरलाग के शुरू कइल गइल कोसिस से खेती के क्षेत्र में आइल ब्यापक बदलाव क भारतीय वर्शन हवे। बोरलाग के दुनिया में ‘हरित क्रांति के जनक’ के रूप में से जानल जाला आ 1970 में नॉर्मन बोरलॉग के हाई यील्डिंग वेरायटी (HYVs) के बिकास में काम करे खातिर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कइल गइल। भारत में हरित क्रांति के अगुवाई मुख्य रूप से एम. एस. स्वामीनाथन कइलें जे सी. सुब्रमण्यम के साथे मिल के काम कइलें। भारत में हरित क्रांति के जनक एम. एस. स्वामीनाथन के कहल जाला।

भारत में 1967-68 आ 1977-78 के दौरान भइल हरित क्रांति के परिणाम ई भइल कि देस अनाज के कमी वाला देसन के श्रेणी से निकल के एगो प्रमुख कृषि प्रधान देश बन गइल। भारत में हरित क्रांति के असर मुख्य रूप से खाद्य अनाज (खासकर गोहूँचावल) के उत्पादन में देखे के मिले ला।

भारत में हरित क्रांति के नकारात्मक परभाव के भी कई बिद्वान लोग अध्ययन आ चर्चा कइले बा। खास क के एकरा इलाकाई सफालता आ पर्यावरण पर परभाव के ले के। भारत में हरित क्रांति मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणापच्छिमी उत्तर प्रदेश में बेसी सफल भइल। एकरा चलते एह इलाका सभ में माटी आ सिंचनी के संसाधन सभ क तेजी से दोहन कइल गइल आ रासायनिक खाद के चलन बढ़ल जेकरा चलते माटी के गुणवत्ता आ पर्यावरण पर बिपरीत परभाव पड़े के बात कहल जाला।

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. Kumar, Manoj, and Matthias Williams. 2009 जनवरी 29. "Punjab, bread basket of India, hungers for change." Reuters.
  2. The Government of Punjab (2004). Human Development Report 2004, Punjab (PDF) (Report). Archived (PDF) from the original on 8 जुलाई 2011. Retrieved 9 अगस्त 2011. Section: "The Green Revolution", pp. 17–20.