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एमाले नक्कली कम्निष्ट कि स्वार्थी नेतृत्व ?[संपादन करीं]

बेचु गौड

नेपाल मे प्रदेश सिमाँकन के बात के लेके आज नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी,एकिकृत माक्र्सबाद लेनिनबाद( नेकपा एमाले) आन्दोलन कइ रहल बा । उ आन्दालन के घोषणा करेवाला वास्तवमे कम्युनिष्ट हवे कि नाही ? नक्कली कम्निष्ट हवे,कम्निष्ट के आदर्श अउर सिद्धान्त से बहरे हो के काम कइ रहल हवे । बर्गिय बात के छोडीके आज नष्ल अउर जातिय मान्यता से आगे बढ रहल बा । यि अस्पष्ट देखाई देत बा । कि एमाले नेतृत्व पुरा कि पुरा कम्निष्ट आदर्श से बहरे होके आपन भित्तर के नष्लियता बाहर देखा रहल बा ।

अगर सच्चा कम्निष्ट रहेवाला नेतृत्व राज्य वा प्रदेश वा देश हि काँहे न हो,उ सब बात कौनो माने नाइ रख्खि । जवने एमालेके हरेक दस्तावेज अउर एहवातकले अपने चिठीपत्र काटेवाला टेलर पैड मे के उपर हि लिखले बा की (संसार के मजदुरबस एक हई) ओ पार्टीके नेतृत्व करेवाला नेता लोग का उ लेटर पैड तकले नाई बढले बाटे कि कम्निष्टके नाम पे ढकोसला कइ रहल हवे ? सक्कली कम्निष्ट हवे कि नक्कली ? कि कम्निष्टके खोल ओढीके खस नष्लबाद सर्वसत्ताबाद लादले बाटे ?  उ बात आज एमालेद्धारा हो रहल आन्दोलन हि प्रमाणित कइ रहल  बा ।

कम्निष्ट के सिद्धान्त प्रतिपादन करेवाला कर्लमाक्स विश्व मे बर्ग विहिनता के बात के बात उठवले रहलन । कौनो एक देश वा राज्य के खातिर नाही । ओसे विश्व मे शासक अउर शोषित विचके बर्ग संघर्षके बात कइले रहलन । धनि बर्ग जब भि गरिब मजुदर के शोषण करेला । शोषण विरुद्धके आन्दोलन होला । ओ आन्दोलनके नेतृत्व कम्निष्ट करेला । बकिर नेपाल के अपनेके कम्निष्ट अगुवा के दाबी करेवाला एमाले कौने स्वार्थ से आज प्रदेश के सिमाँकन जइसन बात के विरोध करत आन्दोलन कइ रहल बा ? का मधेश मे कम्निष्ट नाइ रहेके चाही ? मधेश मे शोषण नाइ बा ? मधेश मे धनि गरिब नाइ बाटे ? मधेश मे एमालेके सक्षम कार्यकर्ता नाइ बाटे कि वर्गसंघर्षके नेतृत्व नाइ कइ सकिहे ? यि सब कुछ मधेश मे बा ।

बकिर आज जवन एमाले आन्दोलन करत वर्गसंघर्षको बात से दुर होत खसबाद,सर्वसत्ताबादी चरित्र देखावत मधेशमे कम्निष्टके नाम बदनाम कइले मे लागल बा । अगर मधेश प्रदेश बनजाई तब मधेश के गरिब शोषित जनता पुँजिपति होजइे ? कम्निष्ट आन्दोलन खतम हो जाइ ? कत्तइ नाही होइ । मधेश देश ही बन जात बा तब, का मधेश कम्निष्ट पार्टी मधेश मे खडा नाइ होपाई ? यि बात कत्तइ नाइ होइ । मधेश प्रदेश बने वा देश मधेश मे भि शोषित, पिडित,गरिब विपन्न समुदाय बा । मधेश मे भि मधेश कम्निष्ट पार्टी खडा होइ । माक्र्सबादी,लेनिनवादी अउर माओवादी बिचारधारा बोकेवाला मधेश मे भि बाटे ।

विश्व भर विचार वा बाद के प्रमुख तिन बात प्रख्यात रहला । १.पुँजिवाद(क्यापिटलिज्म) ,२सामाजवाद(सोसलिज्म) अउर ३ साम्यवाद(कम्निज्म) । तिनो मे स्रोत अउर भुतmान के बात से बर्गिकरण कइल जाला । अगर कवनो शासन ब्यवस्थामे उ देश अपने नागरिक से ओकरे योग्यता अनुसार के काम लेला अउर अपने तोकि के पारिश्रमिक देला (योग्यता अनुसार के काम, तोकल अनुसार दाम) अइसन अवस्थामे पुँजिवाद कहल जाला । ए ब्यवस्थामे गरिब गरिब होत जालन । अउर धनि धनि होत जालन । काहे से कि नागरिक आपन सब कुछ लगाके काम करेलन,बकिर शासक बर्ग अपने उनकर मजुदरी वा पारिश्रमिक तोकी के देलन । अउर अधिक से अधिक पुँजि संकलन करेलन । मजदुर से ढेर काम करवाके ढेर उत्पादन करावेलन अउर मजुदर के थोरे ही मजदुरी देखे अतिरितm लाभ अपने लेत पुँजिपति होलन ।

ओहीतर समाजवादी ब्यवस्था रहेवाला देश मे शासक नागरिक से योग्यता अनुसार काम लेलन अउर काम अनुसार के पारिश्रमिक निर्धारण कइके देलन अर्थात (योग्यता अनुसार के काम,काम अनुसार दाम) रहेवाला ब्यवस्था समाजवादी ब्यवस्था हवे । जवने मे सब लोग योग्यता अनुसार के काम पावेला अउर काम अनुसार आपन दाम भि पावेला । ओसे यि प्रगतिसिल ब्यवस्था के रुपमे भि मानल जाला । ओहीतर साम्यवादी ब्यवस्था मे सबके बराबर महत्व देहल जाला । मनइ प्राकृतिक रुपमे जन्म लेहले बा अउर जवन भि उपभोग करेवाला सब चिज हि प्रकृति से लेलन । ओसे कौनो भि मनइ मे विभेद नाइ होखे के चाही । योग्यता अनुसार के काम कइले के अउर आवश्यकता अनुसार के दाम(योग्यता अनुसार के काम,आवश्यकता अनुसार दाम) पवले के मान्यता साम्यवादी अर्थात कम्निष्ट ब्यवस्था हवे ।

कौनो भि उत्पादन के साधनमे हरेक चिज के बराबर महत्व बा । ओसे उत्पादन के सब साधन प्रकृति से मिमल बा । ओसे केहु मालिक अउर केहु नोकर नाइ होला । हरेक चिज तत्व के रुपमे लेहेके चाही । जइसे कि कौनो चिज उत्पादन करेके बा । तब ओम जमिन(लैण्ड),श्रमिक(लेबर),पुँजि(क्यापिटल) अउर संगठन(अर्गनाइजेसन) आवश्यक परेला । चि चार तत्व मिलले के बाद हि कौनो भि उत्पादन होला । उत्पादन से प्राप्त भईल लाभ के भि बराबर अनुपात से वितरण होखे के चाही । जमिन के भाडा,श्रमिक के मजदुरी,पुँजिके ब्याज अउर संगठन नाफा लेला । कम्निष्ट मान्यता अनुसार यि चारो चिज के बराबर अनुपात मे पावेके चाही । बकिर पुँजिपति ब्यवस्थामे संगठन अधिक नाफा लेला अउर अपने ही पुँजिके ब्याजदर निर्धारण करेला, जमिन के भाडा अपनहि तय करेला अउर श्रमिक के मजदुरी अपनही तोकीके देला । ओसे तोकेवाला संगठन अधिक नाफा लेत स्रोत पे आपन अधिपत्य जमा देला अउर शोषण कइल शुरु करेला । उसब के विरोध मे कम्निष्ट मान्यता बोकेवाला संगठन सब काम करेला ।

बकिर नेपाल कम्निष्ट के नामपे खसबाद चरित्र बोकेवाला एमाले नेतृत्व हि कम्निष्ट से विचलित बा । नेतृत्व के स्वार्थ भि बा । अगर मधेश पहाड मिलाके प्रदेश रही तब मधेश के नेतृत्व भि खसके हात मे रही । नाही त मधेश प्रदेश मे एमाले के होखे वा कौनो भि कम्निष्ट पार्टीके नेतृत्व कइलेके अवसर मधेशी हि पाइ । एसे एमाले नेतृत्व के भितर साम्यवाद नाही  बल्कि स्वार्थ देखाई देत बा ।  इ बात के मधेश मे रहेवाला शोषित पिडित समुदाय बुझत बा । कि एमाले कम्निष्टके नाम बदनाम कइ रहल बा । पहाड से आके मधेश मे भि कम्निष्ट के नाम से शासन,नेतृत्व करेवाला खसलोग के भ्रम मे मधेश के कम्निष्ट नाइ रहीहे । जवन पार्टीके मान्यता संसार के मजुदर जोडेवाला हवें,उ पार्टी आज क्षेत्र,नश्ल के विवाद मे पडेवाला काम कइ रहल बा ।

हरेक क्षेत्र मे बर्गिय शोषण बा,नश्लिय विभेद बा यि शोषण अउर विभेद के बात छोडीके भुगोल,क्षेत्र अउर नश्लबादी बनेवाला सक्कली कम्निष्ट कइसे हो सकी ? यि एमालेके ढकोसला हवे । भुगोल पे चिन्ता करेवाला कौनो राजा हो सकेला,समान्त हो सकेला,शोषक हो सकेला ताकि अगर ओकरे नियन्त्रण से अगर कौनो भुगोल,क्षेत्र बाहर जात बा,तब ओके अपने नियन्त्रण मे हि रख्खेके हर प्रयास मे लागी । नाकी कम्निष्ट के नाम पे भुगोलके खातिर लडाइ लडी । कम्निष्ट अइसन मुल्य मान्यता हवे कि चाहे जितना भि टुकडा काहे ना हो,आपन मान्यता ओमे स्थापित करत जाई । जइसे की एगो चुम्बक के जिनता टकडा बनावल जा,ओकर उत्तरी ध्रुव अउर दक्षिणी ध्रुव निर्धारण करत जाई । एमालेमे रहेवाला मधेशी लोग के भि इ बात पे विचार करेके चाही । खस नेतृत्वके रहेवाला लोगके बपउती नाइ हवे,कम्निष्ट मान्यता । यि मान्यता विश्वब्यापी हवे । ओसे एमाले से जुटल मधेशी लोगके मधेश मे भि कम्निष्ट पार्टी बनासकिहे । नेतृत्व कइ सकिहे, साम्यवादी विचार के प्रवाह कइ सकिहे, शोषित पिडित जनता के आवाज उठा सकिहे । ओस मधेशे संस्कृति,सभ्यता,भुगोल,क्षेत्र एक प्रकार से बा,अउर मधेश प्रदेश बने चाहे मधेश देश बने एमे कम्निष्ट मान्यता बोकेवाला के घबडइले के बात नाइ बा । मधेश कौनो विचार अउर बाद नाही हवे, मधेश आपन पहिचान बोकेवाला समाज,सभ्यता,संस्कृति,राष्ट्र अउर देश हवे । इहवा भि हरेक प्रकार के विचार संघर्ष चलत रही ।