जगजीत सिंह
जगजीत सिंह (8 फ़रवरी 1941 - 10 अक्टूबर 2011) क नांव बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल गायकन में शुमार कईल जाला। उन क संगीत अंत्यंत मधुर रहल और उन क आवाज़ संगीत की साथ खूबसूरती से घुल-मिल जाला। खालिस उर्दू जाने वालन क मिल्कियत समझल जाए वाली, नवाबन की दुनिया में झनके वाला और शायरन की महफ़िलन में वाह-वाह की दाद प इतराए वाली ग़ज़लन के आम आदमी तक पहुंचवले क श्रेय अगर केहू के पहिले पहल देवे के होखे त जगजीत सिंह क ही नांव ज़बान प आवेला। उन क ग़ज़ल न सिर्फ़ उर्दू की कम जानकारन की बीच शेरो-शायरी की समझ में इज़ाफ़ा कईली स बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज़, जोश और फ़िराक़ जैसन शायरन से भी उन क परिचय करवली स।
जगजीत सिंह के सन 2003 में भारत सरकार द्वारा कला की क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित कईल गइल। फरवरी 2014 में इनकी सम्मान व स्मृति में दुगो डाक टिकट भी जारी कईल गइल।[1]
आरंभिक दिन
[संपादन करीं]जगजीत जी क जन्म 8 फरवरी 1941 (मृत्यु 10 ऑक्टोबर 2011) के राजस्थान की गंगानगर में भइल रहे। पिता सरदार अमर सिंह धमानी भारत सरकार क कर्मचारी रह न। जगजीत जी क परिवार मूलतः पंजाब (भारत) की रोपड़ ज़िला की दल्ला गांव क रहे वाला ह।[2] मां बच्चन कौर पंजाब क ही समरल्ला की उट्टालन गांव क रहे वाला रहली। [3] जगजीत क बचपन का नांव जीत रहे। करोड़ों सुने वाला श्रोता लोगन की चलते सिंह साहब कुछ ही दशक में जग के जीते वाला जगजीत बन गई न। शुरूआती शिक्षा गंगानगर की खालसा स्कूल में भइल और बाद में पढ़े खातिर जालंधर आ गई न। डीएवी कॉलेज से स्नातक क डिग्री लीह न और एकरी बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन कई न।[4]
इन क पढ़ाई में दिलचस्पी कम रहे। कई क्लास मे त दू- दू साल गुज़रल। एक बेर आपन चचेरी बोहीन की शादी में जमल महिला मंडली की बैठक में जाके गीत गावे लग न। पूछले प कहें कि सिंगर नहीं बनती त धोबी होतीं। पिता के इजाज़त की बग़ैर फ़िल्म देखल और टाकीज में गेट कीपर के घूस देके हॉल में घुसल आदत रहे।
संगीत क सफ़र
[संपादन करीं]बचपन में अपनी पिताजी से संगीत विरासत में मिलल रहे। गंगानगर में ही पंडित छगन लाल शर्मा की सानिध्य में दू साल ले शास्त्रीय संगीत सीखले क शुरूआत कई न। आगे जाकर सैनिया घराना की उस्ताद जमाल ख़ान साहब से ख्याल, ठुमरी और ध्रुपद क बारीकी सीख न। पिता क ख़्वाहिश रहे कि उन क बेटा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाए लेकिन जगजीत जी प त गायक बनले क धुन सवार रहे। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढ़ाई की दौरान संगीत में उन क दिलचस्पी देख के कुलपति प्रोफ़ेसर सूरजभान जगजीत सिंह जी के बहुत उत्साहित कई न। उनहीं की कहले प उ 1965 में मुंबई आ गई न।[4] एही जा से संघर्ष क दौर शुरू भइल। उ पेइंग गेस्ट की तौर पर रहें और विज्ञापनन खातिर जिंगल्स गाके या शादी-समारोह वगैरह में गाके रोज़ी रोटी का जुगाड़ करें। 1967 में जगजीत जी क मुलाक़ात चित्रा जी से भइल। दू साल बाद दुनुं 1969 में परिणय सूत्र में बंध गइल लो।.[3]
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ "PM Manmohan Singh releases Stamp to Honor Jagjit Singh". IANS. news.biharprabha.com. Retrieved 8 February 2014.
- ↑ http://www.firstpost.com/living/the-guilty-pleasure-of-jagjit-singh-indias-ghazal-king-103483.html
- ↑ 3.0 3.1 Sawhney, Anubha (10 November 2002). "Unforgettable moments with Jagjit Singh". Times of India. Retrieved 11 January 2012.
- ↑ 4.0 4.1 Nazir, Asjad (25 October 2011). "Jagjit Singh obituary". The Guardian. London. Retrieved 11 January 2012.
बाहरी कड़ी
[संपादन करीं]विकिमीडिया कॉमंस पर संबंधित मीडिया Jagjit Singh पर मौजूद बा। |