इन्फ्लेशन

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2019

इन्फ्लेशन (inflation; हिंदी: मुद्रा स्फीति भा मुद्रा प्रसार) अर्थशास्त्र में अइसन दसा ह जब कौनों अर्थब्यवस्था में चीजन के कीमत में बढ़ती होखे आ ई बढ़ती पर्याप्त समय ले जारी रहे। [1][2][3][4] जब चीजन के कीमत बढ़ जाला, करेंसी के एक इकाई अब पहिले के तुलना में कम सामान भा सेवा खरीदे में सक्षम रह जाले, कहे के मतलब कि करेंसी के मूल्य (वैल्यू) में कमी आवे ले।[5][6]

आम भाषा में कहल जाय तब, बस्तु आ सेवा के मूल्य में बढ़त आ करेंसी के मूल्य में गिरावट के मुद्रा स्फीति भा इन्फ्लेशन कहल जाला। स्फीति भा प्रसार के मतलब ई हवे के अर्थब्यवस्था में करेंसी के मात्रा बढ़ गइल बा जेकरा कारन ओहकर कीमत कम हो गइल बा।[7] एक तरह से ई महँगाई' के तकनीकी नाँव हवे; हालाँकि महँगाई अउरी कई कारण से भी हो सके ला।

कुछ हद तक अर्थब्यवस्था में इन्फ्लेशन के स्थिति होखल बिकास आ बढ़ती खाती जरूरी मानल जाला; हालाँकि ऊँच इन्फ्लेशन दर अर्थब्यवस्था खाती नोक्सान्देह होखे ले। इन्फ्लेशन के उल्टा दस डिफ्लेशन होला जेह में मुद्रा के मात्रा में कमी होखे के कारण ओकर कीमत बढ़े ले आ चीज आ सेवा सभ के कीमत घटे ले।

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. Wyplosz & Burda 1997 (Glossary)
  2. Blanchard 2000 (Glossary)
  3. Barro 1997 (Glossary)
  4. Abel & Bernanke 1995 (Glossary)
  5. Why price stability? Archived अक्टूबर 14, 2008 at the Wayback Machine, Central Bank of Iceland, Accessed on September 11, 2008.
  6. Paul H. Walgenbach, Norman E. Dittrich and Ernest I. Hanson, (1973), Financial Accounting, New York: Harcourt Brace Javonovich, Inc. Page 429. "The Measuring Unit principle: The unit of measure in accounting shall be the base money unit of the most relevant currency. This principle also assumes that the unit of measure is stable; that is, changes in its general purchasing power are not considered sufficiently important to require adjustments to the basic financial statements."
  7. Principles of Money and Banking. Motilal Banarsidass Publishe. pp. 97–. ISBN 978-81-208-3042-4.