जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

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जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी हिंदू महाकाव्य रामायण में आइल एगो संस्कृत श्लोक के उत्तरार्द्ध (बाद के आधा हिस्सा) हवे। एगो चलनसार सूक्ति होखे के अलावा ई वाक्य नेपाल देस के राष्ट्रीय आदर्श वाक्य (मोटो) भी हवे।[1]

अनुवाद[संपादन करीं]

"माई आ मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ बाड़ी स।"[2]

मूल[संपादन करीं]

ई छंद हिंदू महाकाव्य रामायण के कुछ समीक्षा सभ में मिले ला, हालाँकि ई एकरे आलोचनात्मक संस्करण में मौजूद नइखे।[3]

आगे देखल जाय त, एह श्लोक के कम से कम दू गो संस्करण भा वर्शन चलन में बाड़ें। एक संस्करण में (टी आर कृष्ण चारी आ टीआर वेमकोबा चारी के संपादित, 1930 में हिंदी प्रचार प्रेस, मद्रास प्रकाशक द्वारा प्रकाशित संस्करण में 6:124:1 पर)[4] भरद्वाज ऋषि द्वारा राम के संबोधित क के कहल गइल बाटे:

मित्राणि धन धान्यानि प्रजानां सम्मतानिव।

जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥

अनुवाद: "मित्र, धन आ अनाज के एह दुनिया में बहुत सम्मान होला। (बाकिर) माई आ मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ बा।"

एगो अउरी दूसर संस्करण में राम लक्ष्मण के संबोधित क के कहत बाड़ें कि:[5]

अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते।

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥

अनुवाद: "लक्ष्मण, ई सोना के लंका भी हमरा मन ना भावेला। माई आ मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ बाड़ी सऽ।"

उद्धरण[संपादन करीं]

ई एगो बहुत चलनसार उद्धरण (कोटेशन) हवे जेकर इस्तेमाल कई बिद्वान लो अपना लेखन में कइले बाटे। उदाहरण खाती सुभाष चंद्र बोस एकर हवाला दे के लिखले बाड़ें:[6]

"हम कहने को कहते हैं, 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।' मगर क्या तन-मन से जननी और जन्मभूमि से प्रेम करते हैं? जननी से प्रेम करने का अर्थ केवल अपनी माँ को प्रेम करना नहीं है, सम्पूर्ण मातृ-जाति को प्रेम करना है। बंगाल देश-बंगाल का जल, बंगाल की माटी, बंगाल का आकाश, बंगाल का वातास, बंगाल की शिक्षा-दीक्षा और जीवन-दृष्टि सब कुछ बंगाल की नारी-जाति में मूर्त हो उठी है। जो व्यक्ति बंगाल की मातृ-जाति में श्रद्धा नहीं करता, वह बंगाल को कैसे श्रद्धा कर सकता है?"

इहो देखल जाय[संपादन करीं]

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. "रामायण का वो श्लोक, जो नेपाल का नेशनल मोटो है और इसका मतलब क्या है". News18 हिंदी (हिंदी में). 2020-06-17. Retrieved 2022-02-06.
  2. "Janani Janmabhoomi scha Swargadapi Gariyasi". www.speakingtree.in. Retrieved 2022-02-06.
  3. "The Rāmāyaṇa". bombay.indology.info. Retrieved Jun 10, 2020.
  4. "Valmiki Ramayana - Yuddha Kanda". www.valmikiramayan.net. Archived from the original on May 15, 2019. Retrieved Jun 10, 2020.
  5. गुलाबराय, बाबू (1 जनवरी 2009). भारतीय साहित्य की रूपरेखा (हिंदी में). प्रभात प्रकाशन. p. 47. ISBN 978-81-88139-93-4. Retrieved 20 मई 2023.
  6. बोस, सुभाषचंद्र (2004). तरुणाई के सपने (हिंदी में). भारतीय ज्ञानपीठ. p. 106. ISBN 978-81-263-1052-4. Retrieved 20 मई 2023.