उत्तर प्रदेश: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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टेम्पलेट:भारत के प्रान्त

उत्तर प्रदेश भारत के सबसे बिसाल्(जनसंख्या के आधार पर) राज्य हवे । इस प्रदेश के लोग पुरी भारत और महाराष्ट्र मे प्यार् फ़ैलने के लिये जाने जते है । लखनऊ प्रदेश के प्रशासनिक और विधायिक राजधानी हवे और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी हवे।

उत्तर प्रदेश राज्य की मुहर


रचना

१८वी शताब्दी के बीच मे अंग्रेजी ईस्ट इंड़िया कंपनी लड़ के आज के उत्तरांचल एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर कब्ज़ा कइ लिहले रहल ।

इतिहास

प्राचीन्

भारत के हिन्दू धर्म औरी इतिहास में उत्तर प्रदेश के अहम् योगदान रहल बा| उत्तर् प्रदेश् का ज्ञात ईतिहास् लगभग ४००० वर्ष् पुराना है, जब् आय्रों ने अपना पहला कदम् इस् जगह् पर् रखा। इस् समय् वेदिक् सभ्यता का प्रारम्भ् हुआ और् उत्तर् प्रदेश् मे इसका जन्म् हुआ । आय्रों का फ़ैलाव सिन्धु नदी और् सतलज् के मैदानी भागों से यमुना और्गंगा के मैदानी क्षेत्र की ओर् हुआ । आय्रों ने दोब् (दो-आब्, यमुना और् गंगा का मैदानी भाग् ) और्घाघरा नदी क्षेत्र को अपना घर बनाया । इन्ही आय्रों के नाम पर भारत देश् का नाम् आर्यावर्त् या भारतवर्ष् (भारत आय्रों के एक् प्रमुख् राजा थे) पडा। समय् के साथ् आर्य् भारत के दूरस्थ् भागों में फ़ैल् गये।

रामायण् में वर्णित् तथा हिन्दुओं के एक् मुख्य भगवान् "भगवान् राम्" का प्राचीन् राज्य कौशल् इसी क्षेत्र में था, अयोध्या इस् राज्य की राजधानी थी। हिन्दू धर्म् के अनुसार भगवान् विश्णु के आठ्वें अवतार् भगवान् क्रष्ण् का जन्म् उत्तर् प्रदेश् के मथुरा शहर में हुआ था। सन्सार् के प्राचीनतम् शहरो में एक् माना जाने वाला वाराणसी शहर् भी यहीं पर् सिथित् है। वाराणसी के पास् सिथित् सारनाथ् का चौखन्डी स्तूप् भगवान् बुद्ध् के प्रथम् प्रवचन् की याद् दिलाता है।

समय् के साथ् यह् क्षेत्र छोटे छोटे राज्यों में बट् गया या फ़िर् बडे साम्राज्यों , गुप्ता,मोर्या और् कुशाण् का हिस्सा बन् गया। ७ वी शताब्दी में कन्नौज् गुप्ता साम्राज्य का प्रमुख् केन्द्र था।

मध्यकालीन

१२ वी शताब्दी के पास मुस्लिम् आक्रमणकारीयों के आने के साथ् ही राजपूत राजाओ की शक्ति कम् होवे लागल । कुतुबुद्दिन् ऐबक् सन् १२०६ में दिल्ली पर आपन अधिकार कई लिहलन औरि गुलाम् वंश की नीव् डललन। गुलाम्वंश क बादे खिलजी और् तुगलक् वन्श् के राजाओ ने दिल्ली की सीमाओ का विस्तार् किया और् तब् उत्तर् प्रदेश् क्षेत्र इस् साम्राज्य का एक् अंग् बन् गया । १३ वी और् १४ वी शताब्दी का उत्तर् प्रदेश् क्षेत्र का इतिहास् मुगलो के दमन् और् मौलिक साम्राज्यों के बहादुर् प्रतिरोध् की कहानी सुनाता है। १३ वी शताब्दी के अन्त् तक् तुगलक् वन्श् का शासन् बिखरने लगा । सन् १३९४ में उत्तर् प्रदेश् के पूर्वी क्षेत्रज़ौनपुर् में मलिक् सर्वर् खवाज़ा ने एक् स्वतन्त्र राज्य् की स्थापना की, इसे शर्की साम्राज्य कहा गया और् यह् ८४ वर्षो तक् दिल्ली के सुल्तानो से लोहा लेता रहा । सन् १३९८ में तैमूर् के आक्रमण् के साथ् ही दिल्ली पर् तुगलक् वन्श् का शासन् खत्म् हो गया । सन् १४१४ से ले कर् १५२६ तक् दिल्ली पर् सयद् वन्श् और् लोधी वन्श् का शासन् रहा पर् अधिकतर् पूर्वी और् मध्य उत्तर् प्रदेश् विभिन्न् हिन्दू और् मुस्लिम् राजाओ के अन्तर्गत् रहा । इसी काल् में इब्राहिम् लोधी ने आगरा को उप्-राजधानी बनाया ।

सन् १५२६ में बाबर् ने इब्राहिम् लोधी को पानिपत् की लडाई में हरा दिया और् आगरा पर् अधिकार् कर् लिया पर् अफ़गानो और् मुगलो के बीच् संभल्,जौनपुर्,गाज़ीपुर्,काल्पी,ईटावा और्कन्नौज् मे लडाई होती रही । सन् १५५२ में अकबर ने सत्ता सम्भाली। अकबर् का शासन् काल् शान्ती, मजबूत् प्रशासन् और् उदारता के लिये जाना जाता है। आगरा सन् १६४९ तक् मुगल् शासन् की राजधानी रही। बाद् में शाह्जहां ने राजधानी दिल्ली में विस्थापित् कर् दी। औरंगजेब के शासनकाल् मेंबुन्देलखण्ड् के राजा छ्त्रसाल् ने मुगल् शासन् के खिलाफ़् विद्रोह् कर् दिया। यह् विद्रोह् ५० साल् तक् चला अन्त् में छ्त्रसाल् ने मराठों से मुगलो के खिलाफ़् मदद् मांग़ी । इसके बद्ले में छ्त्रसाल् ने अपना एक् तिहाई बुन्देलखण्ड् राज्य मराठों को दे दिया । इस् प्रकार् मराठों का उत्तर् प्रदेश् क्षेत्र में प्रवेश् हुआ ।

सन् १७३२ में अवध् के नवाब् सआदत् अली खान् ने अवध् के स्वतन्त्र होने की घोषणा कर् दी, अवध् का स्वतन्त्र शासन् सन् १८५० तक् चला। उसी समय् रोहिल्ला ने भी स्वतन्त्र रोहेलखण्ड् की स्थापना की , रोहिल्लो का राज्य सन् १७७४ तक् चला जब् अवध् के नवाब ने अन्ग्रेज़ो की ईस्ट् ईंडिया क्ंपनी की मदद् से उन्हे हरा दिया ।

अवध् के तीसरे नवाब सुजाउद्दोला ने बंगाल् के बागी नवाब मीर् कासिम् के साथ् अन्ग्रेज़ो के खिलाफ़् सन्धि कर् ली । सन् १७८४ में मीर् कासिम् अन्ग्रेज़ो से हार् गया और् उसे कार् और्इलाहाबाद अन्ग्रेज़ो को देने पडे । ईसके बाद् अन्ग्रेज़ो ने फ़ूट डालने की राजनीति की। सन् १८१६ में वर्तमान् कुमाउं , गढ्वाल् और् देह्रादून् के जिले सान्गुलि की सन्धि के अन्तर्गत् अन्ग्रेजी राज्य में मिला लिये गये । इस् तरह् से बने क्षेत्र को नार्थ् वेस्ट् प्रोविन्स् कहा गया । डल्होजी की इसी नीति के अन्तर्गत् अवध् और् झाँसी भी अन्ग्रेजी राज्य में मिला लिये गये ।

प्रथम् स्वतन्त्रता सन्ग्राम्

यूनाइटिड् प्रोविन्स् ओफ़् आगरा एण्ड् अवध् 1903

सन् १८५७ में अन्ग्रेजी फ़ौज् के भारतीय सिपाहियो ने विद्रोह् कर् दिया । यह् विद्रोह् एक् साल तक् चला और् अधिकतर् उत्तर् भारत् में फ़ैल् गया । इसे भारत् का प्रथम् स्वतन्त्रता सन्ग्राम् कहा गया । इस् विद्रोह् का प्रारम्भ् मेरठ् शहर् में हुआ । इस् का कारण् अन्ग्रेज़ो द्वारा गाय और् सुअर् की चर्बी से युक्त् कारतूस देना बताया गया । इस् सन्ग्राम् का एक् प्रमुख् कारण् डलहोजी की राज्य ह्डपने की नीति भी थी। यह् लडाई मुख्यत्ः दिल्ली,लखनऊ,कानपुर,झाँसी और् बरेली में लडी गयी। ईस् लडाई में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, अवध् की बेगम् हज़रत् महल्, बख्त् खान्, नाना साहेब् , मौल्वी अहमदुल्ला शाह् , राजा बेनी माधव् सिंह् , अजीमुल्लाह् खान् और् अनेक् देशभक्तों ने भाग लिया ।

आधुनिक

सन् १९०२ में नार्थ् वेस्ट् प्रोविन्स् का नाम् बदल् कर् यूनाइटिड् प्रोविन्स् ओफ़् आगरा एण्ड् अवध् कर् दिया गया । साधारण् बोलचाल् की भाषा में इसे यूपी कहा गया । सन् १९२० में प्रदेश् की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर् दिया गया । प्रदेश् का उच्च् न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और् लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक् न्यायपीठ स्थापित की गयी । उत्तर प्रदेश आधुनिक भारत के ईतिहास् और् राजनीति का केन्द्र बिन्दु बना रहा और् यहां के निवासियों ने भारत के स्वतन्त्रता सन्ग्राम् और् पाकिस्तान् प्रथकता आन्दोलन् में प्रमुख् भूमिका निभायी । इलाहाबाद शहर् प्रख्यात राष्ट्रवादी नेताओं जैसे मोतीलाल नेहरू, पुरुषोत्तम दास टन्डन् और् लालबहादुर शास्त्री का घर् था । यह प्रदेश् भारत देश् के छ्: प्रधान् मन्त्रियो जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गाँधी,लालबहादुर शास्त्री, विश्वनाथ प्रताप सिंह, राजीव गाँधी और् चन्द्र्शेखर् का चुनाव् क्षेत्र भी रहा । स्वतन्त्रता के बाद् १२ जनवरी सन् १९५० में इस् क्षेत्र का नाम् बदल् कर् उत्तर प्रदेश रख् दिया गया। गोविंद वल्लभ पंत इस् प्रदेश् के प्रथम् मुख्य मन्त्री बने। अक्टूबर् १९६३ में सुचेता क्रिपलानी उत्तर् प्रदेश् एवम् भारत् की प्रथम् महिला मुख्य मन्त्री बनी । सन् २००० में हिमालय के पहाडी क्षेत्र में स्थित गडवाल और् कुमांउ मन्डल् को मिला कर् एक् नये राज्य उत्तरांचल का गठन् किया गया ।

भूगोल

उत्तर् प्रदेश् भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है। प्रदेश् के उत्तरी एवम् पूर्वी भाग् की तरफ़् पहाड तथा पश्चिमी एवम् मध्य भाग् में मैदान् हैं । उत्तर् प्रदेश् को मुख्य्त्: तीन क्षेत्रों में विभाजित् किया जा सकता है।

  1. उत्तर् में हिमालय का क्षेत्र - यह् क्षेत्र बहुत् ही ऊंचा-नीचा और् प्रतिकूल भू-भाग है। यह् क्षेत्र अब् उत्तरांचल के अन्तर्गत् आता है। इस् क्षेत्र की स्थलाकृति बद्लाव् युक्त् है। समुद्र तल् से इसकी ऊन्चाई ३०० से ५००० मीटर् तथा ढ्लान १५० से ६०० मीटर/किलोमीटर है।
  2. मध्य में गंगा का मैदानी भाग् - यह् क्षेत्र अत्यन्त् ही उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी का क्षेत्र है। ईसकी स्थलाकृति सपाट है। इस् क्षेत्र में अनेक तालाब, झीलें और् नदीयां हैं। इसका ढ्लान २ मीटर/किलोमीटर है।
  3. दक्षिण का विन्ध्याचल क्षेत्र - यह् एक् पठारी क्षेत्र है, तथा इसकी स्थलाकृति पहाडों, मैंदानों और् घाटियों से घिरी हुई है। इस् क्षेत्र में पानी कम् मात्रा में उप्लब्ध् है।

यहां की जलवायु मुख्यत्: उष्णदेशीय मानसून की है परन्तु समुद्र तल से ऊन्चाई बदलने के साथ् इसमे परिवर्तन् होता है।

कला एवम् संस्कृति

साहित्य

संगीत

नृत्य

कत्थक उत्तर् प्रदेश् का एक् परिषक्रत् शास्त्रिय नृत्य है जो कि हिन्दुस्तानी शास्त्रिय संगीत के साथ किया जाता है। कत्थक नाम् 'कथा' शब्द् से बना है, इस् नृत्य में नर्तक् किसी कहानी या संवाद को नृत्य के माध्यम् से प्रस्तुत् करता है । कत्थक नृत्य का प्रारम्भ् ६-७वीं शताब्दी में उत्तर् भारत् में हुआ था। प्राचीन समय् में यह् एक् धार्मिक नृत्य हुआ करता था जिसमे नर्तक् महाकाव्य गाते थे और् अभिनय करते थे । १३ वी शताब्दी तक् आते आते कत्थक सौन्दर्यपरक हो गया तथा नृत्य में सूक्ष्म अभिनय् एवम् मुद्राओं पर् अधिक ध्यान् दिया जाने लगा । कत्थक में सूक्ष्म मुद्राओं के साथ् ठुमरी गायन् पर् तबले और् पखावज के साथ् ताल मिलाते हुए नृत्य किया जाता है । कत्थक नृत्य के प्रमुख् कलाकार पन्डित बिरजू महाराज हैं ।

लोक कलायें

  • ब्रज् रासलीला
  • राम् लीला

हस्त शिल्प

सहारनपुर का काष्ठ शिल्प, वाराणसी की साड़ियाँ तथा रेशम व ज़री का काम, लखनऊ का कपड़ों पर चिकन की कढ़ाई का काम, रामपुर का पैचवर्क, मुरादाबाद के पीतल के बरतन आदि

जनसंख्या

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है । करीब १६ करोङ की जनसंख्या के साथउत्तर प्रदेशविश्व का सर्वाधिक आबादी वाला उप राष्ट्रीय इकाई है । विश्व में केवल पांच राष्ट्र चीन, स्वयंभारत,संयुक्त अमरीका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है.

लोकरंग

लोकरंग सांस्कृतिक समिति, बी ४-१४० विशालखंड, गोमतीनगर, लखनऊ २२६०१० द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रम है । लोकरंग सांस्कृतिक समिति, लोक संस्कृतियों के संवर्द्धन, संरक्षण के लिए कार्यरत है। विगत तीन वर्षो से इसने लगभग 150 से अधिक लोककलाकारों को, जो व्यावसायिक नहीं हैं, जो गांवों में खेती-किसानी करते, अपने दुखःसुख भुलाने के वास्ते गीत और संगीत में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं, को मंच प्रदान किया है । लोकरंग सांस्कृतिक समिति कोई व्यावसायिक संगठन नहीं है और न एन0जी0ओ0 है। यह जनता का संगठन है जो जनता के सहयोग से चलाया जाता है। लोकरंग सांस्कृतिक समितिभोजपुरी संस्कृति के उच्च आदर्शों से समाज को परिचित कराना चाहती है न कि फूहड़पन से । लोकरंग सांस्कृतिक समिति ने अपने मंच पर भोजपुरी के तमाम संवेदनात्मक गीतों को मंच प्रदान किया है। प्रकाशन के क्षेत्र में लोकरंग सांस्कृतिक समिति ने `लोकरंग-1´ पुस्तक के माध्यम से लोकसंस्कृतियों के विविध पक्षों को उकेरने वाले देश के 28 श्रेष्ठ रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित की हैं। लोकरंग सांस्कृतिक समिति गुमनाम लोककलाकारों की खोज कर रही है। विस्तृत जानकारी के लिए देखें www.lokrang.in

जिले

उत्तर प्रदेश में 70 जिले हैं -