हिंदी साहित्य: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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अपना सभसे ब्यापक रूप में, '''दी साहित्य''' में, [[खड़ी बोली]] के मानकीकरण से बनल वर्तमान [[हिंदी भाषा]], आ उत्तरी भारत के मैदानी इलाका के बिसाल हिस्सा में बोलल जाए वाली कई बोली सभ{{sfn|रामकुमार वर्मा|2007|p=46}} में लिखल गइल साहित्य के सामिल कइल जाला। कई बिद्वान लोग सातवीं सदी ईसवी के दौर में [[अपभ्रंश]] में रचल गइल साहित्य के भी हिंदी साहित्य में सामिल करे ला, आ एकरा के पुरानी हिंदी कहे ला,{{sfn|हजारी प्रसाद द्विवेदी|2009|p=18}} हालाँकि एह बारे में कौनों एकमत नइखे।{{sfn|बच्चन सिंह|2004|p=22}}
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हिंदी साहित्य के काल बिभाजन चार हिस्सा में कइल जाला{{efn|हिंदी साहित्य के काल बिभाजन में भी एकरूपता नइखे, सभसे चलनसार बिभाजन रामचंद्र शुक्ल द्वारा कइल गइल बा। शुकुल जी आदिकाल के नाँव से हिंदी में सभसे सुरुआती काल मनले बाने हालाँकि बाद में कई लोग एह समय के हिंदी साहित्य में ना गिने ला। बाद के काल सभ के बिभाजन में भी कई कमी देखावल गइल बा।{{sfn|बच्चन सिंह|2007|p=3}} आधुनिक काल के सुरुआत लोग 1800 ईसवी से भी माने ला{{sfn|सत्यकेतु सांकर्त|2015|p=21}} आ पूरा उन्नीसवीं सदी के साहित्य के आधुनिक काल में रखे ला।}}: (1) वीरगाथा काल, (2) भक्ति काल, (3) रीतिकाल आ (4) आधुनिक काल अउरी उत्तर आधुनिक काल।
हिंदी साहित्य के काल बिभाजन चार हिस्सा में कइल जाला{{efn|हिंदी साहित्य के काल बिभाजन में भी एकरूपता नइखे, सभसे चलनसार बिभाजन रामचंद्र शुक्ल द्वारा कइल गइल बा। शुकुल जी आदिकाल के नाँव से हिंदी में सभसे सुरुआती काल मनले बाने हालाँकि बाद में कई लोग एह समय के हिंदी साहित्य में ना गिने ला। बाद के काल सभ के बिभाजन में भी कई कमी देखावल गइल बा।{{sfn|बच्चन सिंह|2007|p=3}} आधुनिक काल के सुरुआत लोग 1800 ईसवी से भी माने ला{{sfn|सत्यकेतु सांकर्त|2015|p=21}} आ पूरा उन्नीसवीं सदी के साहित्य के आधुनिक काल में रखे ला।}}: (1) वीरगाथा काल, (2) भक्ति काल, (3) रीतिकाल आ (4) आधुनिक काल अउरी उत्तर आधुनिक काल।

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अपना सभसे ब्यापक रूप में, दी हित्य में, खड़ी बोली के मानकीकरण से बनल वर्तमान हिंदी भाषा, आ उत्तरी भारत के मैदानी इलाका के बिसाल हिस्सा में बोलल जाए वाली कई बोली सभ[1] में लिखल गइल साहित्य के सामिल कइल जाला। कई बिद्वान लोग सातवीं सदी ईसवी के दौर में अपभ्रंश में रचल गइल साहित्य के भी हिंदी साहित्य में सामिल करे ला, आ एकरा के पुरानी हिंदी कहे ला,[2] हालाँकि एह बारे में कौनों एकमत नइखे।[3]

हिंदी साहित्य के काल बिभाजन चार हिस्सा में कइल जाला[नोट 1]: (1) वीरगाथा काल, (2) भक्ति काल, (3) रीतिकाल आ (4) आधुनिक काल अउरी उत्तर आधुनिक काल।

कम से कम आधुनिक काल से पहिले के काल सभ में उत्तरी भारत के बिचला हिस्सा में बोलल जाए वाली बोली सभ में रचल गइल सगरी साहित्य के हिंदी साहित्य में रक्खल जाला। एह बोली सभ में ब्रज, अवधी, बुंदेली, कन्नौजी, खड़ी बोली, मारवाड़ी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका बज्जिका आ छत्तीसगढ़ी सामिल बाड़ी स। हलाँकि, बीसवीं सदी के बाद के हिंदी साहित्य में खाली हिंदी भाषा के रचना सभ के सामिल कइल जाला।

टीका टिप्पणी

  1. हिंदी साहित्य के काल बिभाजन में भी एकरूपता नइखे, सभसे चलनसार बिभाजन रामचंद्र शुक्ल द्वारा कइल गइल बा। शुकुल जी आदिकाल के नाँव से हिंदी में सभसे सुरुआती काल मनले बाने हालाँकि बाद में कई लोग एह समय के हिंदी साहित्य में ना गिने ला। बाद के काल सभ के बिभाजन में भी कई कमी देखावल गइल बा।[4] आधुनिक काल के सुरुआत लोग 1800 ईसवी से भी माने ला[5] आ पूरा उन्नीसवीं सदी के साहित्य के आधुनिक काल में रखे ला।

फुटनोट

स्रोत ग्रंथ

  • बच्चन सिंह (2004). हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास. राधाकृष्ण प्रकाशन प्रा॰ लि॰. ISBN 978-81-7119-785-9. {{cite book}}: Invalid |ref=harv (help)
  • बच्चन सिंह (2007). आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास. राजकमल प्रकाशन प्रा॰ लि॰ (मूल: लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद). ISBN 978-81-8031-101-7. {{cite book}}: Invalid |ref=harv (help)</ref>
  • रामकुमार वर्मा (2007). हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास. राजकमल प्रकाशन प्रा॰ लि॰ (मूल: लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद). ISBN 978-81-8031-094-2. {{cite book}}: Invalid |ref=harv (help)
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी (2009). हिंदी साहित्य:उद्भव और विकास. राजकमल प्रकाशन प्रा॰ लि॰. ISBN 978-81-267-0035-6. {{cite book}}: Invalid |ref=harv (help)
  • गोपाल; सत्यकेतु सांकर्त (2015). उन्नीसवीं शताब्दी का हिंदी साहित्य. वाणी प्रकाशन. ISBN 978-93-5229-032-1. {{cite book}}: Invalid |ref=harv (help)